नई दिल्ली । किशोरी से दुष्कर्म से जुड़ी एक प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि नि:संदेह यह संगीन अपराध का मामला है, लेकिन पीड़िता ने भी याचिकाकर्ता का समर्थन किया है और अब वह उसकी पत्नी है। दोनों की शादी हो चुकी है और उन्हें एक बेटा है। ऐसे में अगर प्राथमिकी को जारी रखा गया तो इसका नकारात्मक असर पति-पत्नी के साथ ही बच्चे के भविष्य पर पड़ेगा। न्यायमूर्ति साैरभ बनर्जी की पीठ ने कहा कि सभी तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए पॉक्सो व दुष्कर्म की धारा की तहत हुई प्राथमिकी को रद्द किया जाता है। पीठ ने कहा कि अदालत के समक्ष पेश किए गए तथ्यों से पता चलता है कि किशोरी व याचिकाकर्ता के बीच लंबे समय से संबंध था और उन्होंने आपस में शादी भी कर ली है। इतना ही नहीं किशोरी व याची के स्वजन ने भी शादी को स्वीकार कर लिया है और यह सबकुछ प्राथमिकी लंबित रहने के दौरान हुआ है। याचिका के अनुसार 17 वर्षीय किशोरी के पेट में दर्द होने पर जब जांच कराई गई तो पता चला कि वह गर्भवती है। इस पर युवक के विरुद्ध प्राथमिकी की गई।