करंट लगा कर वन्य प्राणियों की बढ़ती हत्याएं चिंताजनक इंसानों और वन्य प्राणियों के बीच बढ़ रहा आपसी संघर्ष का खतरा

करंट लगा कर वन्य प्राणियों की बढ़ती हत्याएं चिंताजनक इंसानों और वन्य प्राणियों के बीच बढ़ रहा आपसी संघर्ष का खतरा
अनूपपुर। मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में करंट लगा कर हाथी की हत्या के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। जिला मुख्यालय से लगे कोतवाली अनूपपुर अन्तर्गत ग्राम कांसा में गुरुवार, 1 फरवरी 2024 की सुबह एक व्यक्ति के घर से लगे। बाड़ी में हाथी के मृत होने की सूचना सरपंच द्वारा वन विभाग और पुलिस को दी गयी। दिन भर चली जांच के बाद देर शाम एक आरोपी व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दिन भर वह व्यक्ति वन विभाग को कहानी सुना कर बरगलाता रहा। बहरहाल यह सूक्ष्म फोरेंसिक जांच और कानूनी कार्यवाही का अलग विषय है। जिस पर ना जाते हुए इंसानी आबादी की ओर जंगली जानवरों के पलायन पर चिंतन और चिंता करने की जरुरत है। इससे पहले की यह जंगली जानवरों और इंसानों के अस्तित्व की लड़ाई में बदल जाए, जरुरत कुछ इससे आगे बढ़ कर कुछ ठोस कदम उठाने की है। समय रहते समाज, प्रशासन, सरकार इस पर विचार करे और कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे अस्तित्व का यह संकट टल जाए। कुछ वर्षों से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली जानवरों का मूव्हमेंट बढ़ा है। छत्तीसगढ़, उड़ीसा, मध्यप्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में हाथियों के बहुत से समूहों को जंगलों के दायरे से बाहर निकल कर नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश करते देखा जा रहा है। जिला मुख्यालय के वार्ड क्रमांक 1 मे एक विद्यालय के समीप तेदुंआ भी देखा गया। अमरकंटक, राजेन्द्रग्राम, अनूपपुर में तेंदुआ दिखने की कुछ घटनाएं सामने आई हैं। जबकि हाथी और भालुओं के गाँव में घुसने की घटनाओं में अचानक बढ़ोतरी देखी गयी है। शेर, तेदुंआ, भालू, हाथियों के मानव आबादी में प्रवेश करने, लोगों पर हमले करने, फसलों-घरों को नष्ट करने के बहुत से मामले सामने आए हैं। गाँवों में हाथियों के बढते मूव्हमेंट और उनकी गतिविधियों से ग्रामीणों में दहशत है। जंगलों से बाहर निकल कर इन जानवरों का इंसानों की आबादी वाले क्षेत्रों में दखल तेजी से बढा है तो इसके कुछ राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक कारण हैं। वन भूमि में इंसानों के बेजा घुसपैठ, उनकी आर्थिक-व्यावसायिक गतिविधियों के कारण जंगलों के रकबे तेजी से सिकुड़ रहे हैं। वन्य प्राणियों को इंसानी गतिविधियों से दूर जिस शांत, भय मुक्त वन्य दुर्गम इलाकों की जरुरत होती है, वो सिकुड़ रहे हैं। इंसानों की बढती आबादी और उससे भी अधिक जमीन, खनिज संपदा,वन्य उत्पादों के उनके बढते लालच से वन्यजीवों का जीवन खतरे में डालता रहा है। वन भूमि पर राजनीतिक संरक्षण के चलते तेजी से कब्जे बढ़ रहे हैं। वन्यजीवों को अपने प्राकृतिक आवास, भोजन,पानी की तलाश में अपने क्षेत्र से बाहर निकलना पड़ रहा है। सरकारें अनाप-शनाप पट्टा वितरण करके जंगलों को नष्ट करने में मदद कर रही हैं। पर्यावरण विदों की सलाह और वन्यजीवों की आवश्यकताओं की उपेक्षा अब जानलेवा हो गयी है। हाथियों के समूह ग्रामीणों के खेतों, फसलों, घरों और ग्रामीणों के जीवन के लिये नुकसानदेह साबित हो रहे हैं। डरे-सहमें लोग अब कानून अपने हाथों में ले रहे हैं। ये ध्यान रखना होगा कि कांसा में किसान द्वारा करंट लगा कर हाथी का कोई शिकार नहीं किया गया है। उस व्यक्ति ने हाथियों से स्वयं की, अपने परिवार- हमने घर- अपनी फसलों की रक्षा के लिये नियम विरुद्ध जाकर करंट फैलाया गया। जिसकी चपेट में आकर बेजुबान हाथी की जान चली गयी। जंगली जानवरों और विशेष रुप से हाथियों के गाँव की ओर गतिविधियों को रोकने में वन विभाग का अमला विफल रहा है।वन विभाग , प्रशासन की कार्य प्रणाली के चलते इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष बढ़ गया है। यह जांच का विषय है कि हाथियों के आबादी की ओर मूव्हमेंट को रोकने के नाम पर या निगरानी के नाम पर वन विभाग ने कौन-कौन से जमीनी ठोस कदम उठाए। सरकार को यह देखना होगा कि इसमें क्या कमी थी और उसे समय रहते कैसे दूर किया जा सकता है? इससे पहले कि वन्य जीवों और इंसानों में आपसी संघर्ष और बढे समाज, वन विभाग, प्रशासन और सरकार को समय रहते समन्वयकारी जागरूकता अभियान चलाने, हाथियों के मूवमेंट वाले वन्य मार्ग पर मजबूत वैज्ञानिक फेंसिंग करने और वन्य जीवों को वन्य क्षेत्रों में पोषण की समुचित व्यवस्था करने के साथ जंगल-गाँव की सीमाओं को कंटीले मजबूत तार लगाकर, गहरे खंदक खोद कर सुरक्षित करने सहित अन्य यथोचित कदम उठाने होंगे।