अपराधियों से भक्ति करके जेब सेवा करवाने को तत्पर अनूपपुर जिले की पुलिस
इन्ट्रो- जिले के पुलिस थानों के सामने साफ-साफ मोटे-मोटे अक्षरों में देशभक्ति जन सेवा को  तत्पर पुलिस का स्लोगन लिखा दिखाई पड़ता है। लेकिन अगर आप पुलिस थाने में जा रहे हैं तो इस स्लोगन के चक्कर में मत पड़ियेगा क्योंकि अनूपपुर जिले की पुलिस इस स्लोगन के विपरीत अपराधियों से भक्ति और जेब सेवा करवाने के लिए तत्पर खड़ी मिलेगी फिलहाल अनूपपुर पुलिस की अपराधियों के साथ जहां गलबहिया चर्चा में है वही आम लोगों का भी कहना है कि अनूपपुर जिले की पुलिस बेलगाम होकर केवल अपना जेब भरने के लिए गैर कानूनी धंधा करने की खुली छूट दे रखी है।

अनूपपुर। पुलिस का फुल फॉर्म है पब्लिक ऑफिसर फॉर लीगल इन्वेस्टिगेशन्स एंड क्रिमिनल इमर्जेंसीज है। जिनका काम देश में उग्रवादी गतिविधियों को रोकने, आतंकवादी गतिविधियों को कंट्रोल करने और समाज में सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए कानून बनाया गया हैं। गौरतलब है कि किसी भी देश अथवा राज्य में पुलिस एक अभिन्न अंग होती है। इसका मुख्य काम होता है संबंधित क्षेत्र में शांति बनाए रखना एवं कानून का राज स्थापित करना अगर पुलिस न हो तो हर तरफ अपराध फैल जाएगा और समाज में अफरा तफरी मच जाएगी. ऐसे में पुलिस का रोल काफी अहम हो जाता है। अनूपपुर जिले में बिजुरी, कोतमा, राजनगर, अनूपपुर कोतवाली, जैतहरी, चचाई, रामनगर, राजेंद्रग्राम, करनपठार, अमरकंटक सहित 10 पुलिस थाने हैं। इसके बाद मुख्य रूप से वेंकटनगर, फुनगा, देवहरा और सरई पुलिस चौकी है। यह पुलिस थाने क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के साथ-साथ क्षेत्र की जनता में अमन चैन बनाए रखने के लिए स्थापित किए गए थे। लेकिन यहां पर तैनात पुलिस विभाग के कर्मियों अधिकारियों और जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की उदासीनता के साथ-साथ पैसे को प्रमुखता देने के कारण ऐसा लगता है कि अनूपपुर जिले की पुलिस अपने मुख्य उद्देश्य से भटक गई है। यही कारण है कि अब यहां की जनता यह कहने लगी है कि अनूपपुर जिले के थानों के सामने देश भक्ति जन सेवा में तत्पर की जगह अपराधियों से भक्ति और जेब सेवा करवाने के लिए तत्पर का बोर्ड लगा देना चाहिए।
जाने किस थाने की कितनी अवैध वसूली
वैसे तो पुलिस की परिभाषा में देखा जाए तो जिस थाने में जितना ज्यादा अपराध होता है उतने ही तेज तर्रार थाना प्रभारी की वहां पर नियुक्ति होती है। लेकिन अनूपपुर जिला इसका अपवाद है यहां पर जिस थाने में जितनी ज्यादा अवैध वसूली करके पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के यहां जितनी बड़ी रकम जो पहुंचने में सफल होता है उसी को उसे थाने का प्रभार दे दिया जाता है। फिलहाल अनूपपुर जिले की बात की जाए तो यहां पर बड़े अपराध तो नहीं है लेकिन अवैध काले धंधों का भरमार है और इससे अवैध वसूली करके पुलिस अधिकारियों की झोली भरने वाले थाना प्रभारी में जहां बिजुरी थाना नंबर वन है इस थाने के अंतर्गत अवैध खनन कोयला रेत और पत्थर के साथ कबाड़ और जुआ, पालतू जानवरो की तस्करी पुलिस के लिए इनकम का मुख्य स्रोत है और एक अनुमान के तहत अगर बिजुरी थाने की मासिक अवैध वसूली को देखा जाए तो लगभग 40 से 50 लाख रुपए यहां पर आती है। इसके बाद कोतमा थाने का नंबर आता है जहां पर भी बिजुरी की ही तरह कोयला, रेत और पत्थर के अवैध खनन के साथ-साथ जुआ कबाड़ और सट्टा और पालतू जानवरो की तस्करी अवैध इनकम का मुख्य स्रोत है इस तरह देखा जाए तो कोतमा थाने की मासिक अवैध वसूली लगभग 30 से 40 लख रुपए होती है। इसके बाद रामनगर और भालूमाड़ा थाने का नंबर आता है जहां पर अवैध खनन के साथ-साथ कबाड़ और जुआ सट्टा और पालतू जानवरो की तस्करी मुख्य वसूली के केंद्र है और राजनगर भालूमाडा थाना अंतर्गत लगभग 25 से 30 लाख की अवैध वसूली प्रतिमा होती हैस जिला मुख्यालय के अनूपपुर कोतवाली की बात की जाए तो यहां पर भी मुख्य रूप से अवैध खनन में कोयला पत्थर और रेत ही अवैध वसूली का मुख्य केंद्र है लेकिन अनूपपुर कोतवाली के अंतर्गत जुआ सट्टा और नशीले पदार्थों का कारोबार भी चरम सीमा पर है और सूत्रों का कहना है कि अनूपपुर कोतवाली की मासिक अवैध वसूली 20 से 25 लाख प्रतिमह है। इसी तरह से चचाई जैतहरी और राजेंद्र ग्राम में भी 20 से 25 लाख प्रति माह थाने की वसूली है। अगर अवैध वसूली के मामले में कहा जाए तो अमरकंटक और करन पठार थाना सबसे फिसड्डी है और उक्त दोनों थानों की मासिक अवैध वसूली लगभग 5 लाख प्रति माह के आसपास है। वहीं अवैध वसूली के मामले में जैतहरी थाना अंतर्गत छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित वेंकटनगर पुलिस सहायता केंद्र की मासिक अवैध वसूली लगभग 15 से 20 लाख बताई जाती है तो वही इस मामले में फुनगा का पुलिस चैकी भी किसी से काम नहीं है। यहां पर भी 10 से 15 लख रुपए की प्रतिमाह वसूली होती है।
एसपी, एडीजीपी और डीजीपी तक जाता है यह पैसा?
जिले के थानों की अवैध वसूली की भारी भरकम रकम देखकर चौकिये मत यह पैसा पद और कद के हिसाब से बांटा जाता है। थाने में प्रत्येक सिपाहियों के साथ-साथ निरीक्षक उप निरीक्षक, हेड कांस्टेबल, चैकीदार से होते हुए संबंधित थाने के एसडीओपी कार्यालय के बाद एडिशनल एसपी, एसपी जिले के पुलिस कप्तान, संभाग के एडिशनल डीजीपी, डीआईजी और प्रदेश मुख्यालय के प्रदेश पुलिस मुखिया डीजीपी तक पहुंचाया जाता है। यही कारण है कि सब कुछ जानते हुए भी जब कभी कोई ईमानदार पुलिस अधिकारी जिले की कमान संभाला है तो भ्रष्टाचार की वह रही गंगा के कारण वह ना चाहते हुए भी अपने आप को मौन रख लेता है। फिलहाल इस समय अनूपपुर जिले में पुलिस विभाग में केवल एकमात्र उद्देश्य जनता की सेवा नहीं जनता से अपनी जेब की सेवा करवाना ही रह गया है। जिले भर में अवैध ढंग से कोयले की चोरी, खनन के साथ-साथ परिवहन तो हो ही रहा है वही अवैध पत्थरों के खदानों से भी अब ढंग के परिवहन और खनन कार्य चल रहे हैं रेत का अवैध खनन या परिवहन रुकने का नाम नहीं लेता यही नहीं जिले भर में जगह-जगह अवैध ढंग से जुड़े की फड़े, सट्टा का कारोबार, नशीले पदार्थों का काला धंधा  भी चल रहा है आम जनता इस काले कारोबार के कारण त्रस्त है लेकिन जिले की पुलिस अवैध वसूली में मस्त है।