अब शहडोल सांसद हिमाद्री का कैसे होगा बेड़ा पार जब नरेंद्र मरावी बन गए खुद दावेदार
इन्ट्रो- 
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी बूथ स्टार की तैयारी में जुटी हुई है विधानसभा जिला और लोकसभा संयोजकों की नियुक्ति करने के साथ-साथ प्रभारी की भी नियुक्ति कर दी गई है। लेकिन लोकसभा शहडोल के चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सामने जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे असमंजस की स्थिति बनती जा रही है। इसका मुख्य कारण यही है कि वर्तमान भाजपा सांसद हिमाद्री सिंह के पति वरिष्ठ भाजपा नेता नरेंद्र मरावी इस बार खुद लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं और उन्होंने इसके लिए अपनी दावेदारी ठोक दी है। जो भाजपा के लिए चिंता की बात तो है ही सांसद हिमाद्री सिंह के लिए खतरे का संकेत भी है क्योंकि 5 साल तक हिमाद्री सिंह नरेंद्र मरावी की ही तैयार की गई टीम को दिल्ली में बैठकर शहडोल की जिम्मेदारी सौंप दी थी।

अनूपपुर। वैसे तो देश की राजनीति में अक्सर यह देखा गया है किस पति-पत्नी अलग-अलग पार्टियों में रहकर चुनावी मैदान में उतर जाते हैं तो कभी मां बेटे और कभी पिता पुत्र भी चुनावी मैदान में आमने-सामने होते हैं। लेकिन लोकसभा शहडोल के आगामी चुनाव में इस बार जो तस्वीर निकलकर आ रही है वह आने वाले दिनों में पूरे देश के लिए चर्चा बन सकती है इस बात की संभावना ज्यादा देखी जा रही है। भाजपा सूत्रों की माने तो शहडोल लोकसभा की वर्तमान सांसद हिमाद्री सिंह के पति और वरिष्ठ भाजपा नेता नरेंद्र मरावी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपना दावा ठोक दिया है। यहां पर यह बता दिया जाए कि संसद हिमाद्री सिंह से शादी करने के पहले नरेंद्र मरावी शहडोल लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे और बहुत ही कम अंतर से हिमाद्री सिंह की मां और उसे समय कांग्रेस की प्रत्याशी रही स्वर्गीय राजेश नंदिनी से चुनाव हार गए थे। यही नहीं नरेंद्र मरावी राष्ट्रीय स्वयं संघ पप चाहते नेता है और यही नहीं वह मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहकर अपने राजनीतिक सफर को आगे बढ़ा रहे थे। लेकिन शादी के बाद जिस तरह से कहां जाता है कि जब छोटी नदियां समुद्र में जाकर मिलती है तो छोटी नदियों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है इस तरह से शहडोल संभाग के सबसे बड़े आदिवासी राजनीतिक घराने में शादी करने के बाद भाजपा के उभरते हुए नेता का अस्तित्व भी खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है। अब जिसकी छटपटाहट नरेंद्र मरावी में देखी जा रही है और कहा तो यह जा रहा है कि अपना राजनीतिक बावजूद बचाने के लिए नरेंद्र मरावी आगामी लोकसभा चुनाव के दावेदार बन गए हैं वहीं इसके पीछे कुछ लोग पारिवारिक अनुबंध भी बता रहे हैं लेकिन इस अनबानों का कारण क्या है इसका खुलासा होना अभी बाकी है जिसका अनूपपुर की जनता को भी इंतजार है।
सभी सांसद प्रतिनिधि नरेंद्र के है करीबी
अनबन के साथ-साथ आगामी लोकसभा के लिए दावेदारी की खबरें जब बाहर निकाल कर आ रही थी तो इस समय अनूपपुर के राजनीतिक विश्लेषण को शैली के शहडोल संभाग के भाजपा नेताओं का भी कहना था कि यह तो होना ही था क्योंकि जिस तरह से सांसद बनने के बाद लाभ के सारे पदों के साथ-साथ विभिन्न सरकारी उपक्रमों में भी जब प्रतिनिधियों की नियुक्ति का मामला उठाया गया तो भाजपा संसद में भाजपा संगठन की सूची को नकार कर नरेंद्र के करीबियों को जगह-जगह अपना प्रतिनिधि बना दियास सूत्रों का दावा है कि सांसद निधि से भी शहडोल संसदीय क्षेत्र में जितने भी कार्य हुए उसका ठेका नरेंद्र के करीबियों को ही मिला यही कारण है कि हिमाद्री सिंह के परिवार से दलगत भावना से दूर रहकर कई वर्षों से जुड़े इस परिवार के शुभचिंतक को और करीबियों ने दूरियां बनानी शुरू कर दी थी और जैसे ही इस बात का आभास सांसद हिमाद्री सिंह को हुआ तो उन्होंने इस पर लगाम लगाने की कोशिश की लेकिन तब तक बात इतनी बिगड़ चुकी थी कि ना चाहते हुए भी हिमाद्री सिंह ने अपना बोरिया बिस्तर दिल्ली में समेट लिया और शहडोल संसदीय क्षेत्र की जिम्मेदारी ठेकेदारी नरेंद्र के कंधों पर सौंप दी और अब वही कंधा हिमाद्री सिंह के नाम का पट्टा उतार कर खुद मैदान में उतरने के लिए तैयार हो गया है।
आपसी लड़ाई का फायदा उठाने के लिए कई नेता तैयार
हिमाद्री सिंह और नरेंद्र मरावी में मची खींचतान का फायदा उठाने के लिए शहडोल संसदीय क्षेत्र के कई नेता अंदर-अंदर ही टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो कॉल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रामलाल रौतेल, पूर्व सांसद दलपत सिंह की बेटी और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अनूपपुर रूपमती सिंह, शहडोल के पूर्व सांसद ज्ञान सिंह, और जैतपुर के भाजपा विधायक पूर्व मंत्री जय सिंह मरावी, और भाजपा सूत्रों की माने तो अनूपपुर भाजपा जिला अध्यक्ष रामदासपुरी भी टिकट के दावेदारी में जुटे हुए हैं।