अमन सेठी के किस गोरख धंधे पर पर्दा डाल रहा जिला खनिज विभाग जांच का विषय जिला कलेक्टर के ऊपर भी उठ रहे सवालिया निषान
इन्ट्रो-अनूपपुर भाजपा विधायक और प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री बिसाहू लाल सिंह के विधान सभा एक सवाल के जवाब में जिला खनिज अधिकारी आशा लता वैद्य ने विधानसभा में जो जवाब प्रस्तुत किया है उसमें कहा गया है कि वर्तमान में जिले में 6 रेत की खदान संचालित है। जबकि वास्तविकता इससे कोसों दूर है वर्तमान में जिले में एक भी खदान संचालित नहीं है यहां रेत का ठेका लेने वाली कंपनी अपना बोरिया बिस्तर बांध कर जा चुकी है। और इस कंपनी के मालिक अमन सेठी द्वारा मात्र दो खदानें ही चलाई जा रही थी लेकिन जिला खनिज विभाग 6 खदान संचालित होने की बात कर रहा है इसके पीछे का कौन सा राज है यह जांच का विषय है।
अनूपपुर। प्रदेश में भाजपा की नई सरकार बनने के बाद जब खनिज विभाग को मुख्यमंत्री ने अपने पास रखा तो आम जनता में इस बात का विश्वास जगा की सीधे मुख्यमंत्री की निगरानी में रहने के कारण खनिज विभाग में भ्रष्टाचार की कमी होगी। लेकिन मुख्यमंत्री को भी ठेगा दिखाते हुए जिला खनिज अधिकारी आशा लता वैद्य ने विधानसभा में उठाए गए एक सवाल के जवाब में जिस तरह से झूठ बोलकर अमन सेठी की कंपनी के गोरख धंधे पर पर्दा डालने की कोशिश की है वह इस समय अनूपपुर में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिला खनिज अधिकारी ने अपने जवाब में जिले में जिन छः खदानों को संचालित होने के लिए उल्लेख किया है उसमें से चचाई की खदान में पानी भरा हुआ है और सेंदुरी की खदान के परिवहन मार्ग को वन विभाग ने परमिशन नहीं दिया इसके बावजूद भी जिला खनिज अधिकारी का यह कहना कि उक्त खदानें संचालित है कहीं ना कहीं अमन सेठी के बड़े गोरख धंधे पर पर्दा डालने की कोशिश माना जा रहा है। फिलहाल यहां पर यह बता दिया जाए की वर्तमान में जिला खनिज विभाग अपने भ्रष्ट कार्यों के कारण जिले में सबसे नंबर वन भ्रष्ट विभाग का खिताब पा चुका है और दुर्भाग्य की बात है कि जिले के सबसे वरिष्ठ अधिकारी अगर यह कहा जाए कि जिले के कलेक्टर भी आंख मूंद कर इस भ्रष्ट विभाग के काले गोरख धंधे पर अपनी मोहर सहमति प्रदान कर रहे हैं तो गलत नहीं है। वैसे इस विभाग का पूरा नाम है कलेक्टर शाखा खनिज विभाग जिसका सीधा-साधा मतलब यही निकलता है कि यह विभाग कलेक्टर के अधीन संचालित होता है लेकिन आम जनता के भी समझ में यह बात नहीं आ रही है कि जिले भर में भ्रष्टाचार पर कार्यवाही पर कार्यवाही करने वाले जिला कलेक्टर अनूपपुर आशीष वशिष्ठ इस विभाग के भ्रष्ट कार्यों पर मेहरबान क्यों है यह जांच का विषय है।
*चचाई में डूबा पानी सेंदुरी को नहीं दिया वन विभाग ने एनओसी फिर कैसे संचालित *

 

 


भाजपा विधायक बिसाहू लाल सिंह के विधानसभा में उठाए गए सवाल के जवाब में जिला खनिज अधिकारी अनूपपुर आशा लता वैद्य ने लिखित जवाब में उल्लेख किया है कि जिले में चचाई, देखल, सेंदुरी, कदमसरा, चगेरी, मौहरी की रेत खदानें संचालित है। जबकि वास्तविकता यह है कि चचाई के रेत खदान में आज भी पानी भरा हुआ है वही सिंदरी की रेत खदान के परिवहन मार्ग को वन विभाग ने परमिशन नहीं दिया इसके बावजूद उक्त दोनों खदानों को संचालित लिखकर जिला खनिज अधिकारी आशा लता वैद्य किस तरह से ठेका कंपनी के मालिक अमन सेठी को फायदा पहुंचाना चाहती थी यह किसी के समझ में नहीं आ रहा है। वही इस विषय में प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले की ठेका कंपनी माइन्स डेवलपर कम ऑपरेटर ने जिले के रेत का ठेका लेने के बाद सबसे पहले कोतमा क्षेत्र की चंगेरी खदान को बिना सीमांकन कराए खनिज विभाग ने संचालित कराने की अनुमति दी और सूत्रों की माने तो चंगेरी खदान में सीमा से बाहर जाकर तय मानक से लगभग 20 गुना का खनन कार्य मात्र 2 महीने में ही कर लिया। जब इस बात की खबर मीडिया में आने लगी तो अपने इस गोरख धंधे को छुपाने के लिए अमन सेठी एंड कंपनी ने जिला खनिज विभाग को चांदी के सिक्कों से तौल कर जिले के कई अन्य खदानों की टीपी जारी करवा ली जबकि सच यही है कि इस कंपनी ने इसके बाद वेंकटनगर क्षेत्र की कदमसरा की खदान ही संचालित की इन दोनों खदानों के अलावा कंपनी ने कई खदानों की बिना रजिस्ट्री कराए और बिना पैमाइश किए खनन कार्य किया सूत्रों की माने तो अमन सेठी ने इस तरह से जिला खनिज विभाग को चंद चांदी के सिक्कों के दम पर अपनी मनमानी करने की खुली छूट प्राप्त कर ली और इस कंपनी ने इस जिले से तीन माह में ही करोड़ों की लूट करके अपना बोरिया बिस्तर बांध लिया और अब इसके गोरख धंधे को छिपाने के लिए खनिज विभाग झूठ पर झूठ बोल रहा है।
अपनी जवाबदारी से नहीं बच सकते जिला कलेक्टर 


अनूपपुर जिला कलेक्टर बनने के बाद आशीष वशिष्ठ ने जिस तरह से कई विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अधिकारियों कर्मचारियों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए सराहनीय कदम उठाए उसकी चर्चा आम जनता में होती रहती है। वहीं अब आम जनता भी कहने लगी है कि जिले के कई विभागों में भ्रष्टाचार खत्म करने वाले जिला कलेक्टर जिले के सबसे भ्रष्ट विभाग पर क्यों मेहरबान है यह जांच का विषय है फिलहाल यहां पर यह विशेष उल्लेखनीय है कि जिला खनिज विभाग सीधे कलेक्टर के अधीन होता है और अपने अधीन ही विभाग में वह वही भ्रष्टाचार की गंगा पर मौन रहकर यहां के भ्रष्ट अधिकारियों को जिस तरह से जिला कलेक्टर खुला संरक्षण दे रहे हैं यह आम जनता में भी चर्चा का विषय बन गया है। फिलहाल जिले के सबसे भ्रष्ट विभाग या यह कहा जाए कि जिला कलेक्टर के लिए सबसे बड़े कमाऊ विभाग द्वारा प्रदेश के सर्वोच्च सदन विधानसभा में भी झूठ पर झूठ बोलना अपने आप इस बात का गवाह है कि इस विभाग के अधिकारी खुलेआम कहने लगे हैं कि तुम लाख कोशिश कर लो ना हम सुधरेंगे क्योंकि हमें तो अपने अधिकारियों के साथ-साथ भोपाल के सचिवालय का भी संरक्षण प्राप्त है और यह संरक्षण क्यों प्राप्त है यह किसी से छिपा नहीं है।