नई दिल्ली । पति व बच्चे को भरण-पोषण देने संबंधी मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट (महिला अदालत) के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महिला को अदालत की अवमानना दोषी करार दिया है। अदालत ने कहा कि महिला को आर्थिक अक्षमता इस हद तक नहीं है कि वह अदालत के आदेशों का अनुपालन नहीं कर सके। अदालत ने कहा कि तथ्य यह नहीं है कि महिला अदालत के निर्देशों का अनुपान नहीं कर सकती थी, बल्कि आदेश का अनुपालन करने से बचने के लिए अधूरे कारण बताए। अदालत ने नोट किया कि महिला एक अच्छा व्यापार चलाती है और अदालत द्वारा भरण-पोषण के रूप में निर्धारित की गई धनराशि इतनी बड़ी नहीं थी कि वह इसका प्रबंध न कर सके। महिला को एक महीने के साधारण कारावास की सजा व दो हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि प्रतिवादी महिला ऐसी कोई परिस्थिति अदालत के समक्ष पेश करने में असफल रही है कि उसे जानबूझकर की गई अदालत की अवमानना के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी नोट किया महिला के दो संपत्ति है और वह एक अदालत ने माना कि महिला ने जानबूझकर 19 जनवरी 2021 के आदेश की अवहेलना की। अदालत ने उक्त टिप्पणी याचिकाकर्ता पति द्वारा दायर अवमानना याचिका को स्वीकार करते हुए दिया। याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता व महिला की शादी जून 2023 में हुई और उन्हें तीन बच्चे हुए। महिला ने याचिकाकर्ता पर पर्याप्त दहेज नहीं लाने पर मानसिक व शारीरिक क्रूरता का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता का आरोप है कि महिला ने उसे वर्ष 2018 में घर बाहर निकाल दिया था और इसके बाद से वह अपने तीन बच्चों के साथ अकेले रह रह रहा है। वर्ष 2019 में याचिकाकर्ता ने घरेलू हिंसा के आधार पर रोहिणी कोर्ट में आवेदन दाखिल कर दावा किया कि महिला एक व्यापार चलाती है और वह दो से तीन करोड़ रुपये सालाना कमाती है। उसने महिला को उसके व बच्चे के भरण-पोषण देने का निर्देश देने की मांग की थी। मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट (महिला अदालत) ने 19 फरवरी 2021 को दिए अपने आदेश में यह निष्कर्ष निकाला की याचिकाकर्ता प्रतिवादी महिला से भरण-पोषण लेने का अधिकार है।