भृष्टाचार में लिप्त टी आई रामकुमार धारिया को एडीजीपी डीसी सागर के निर्देश पर अनूपपुर एस पी ने किया ने किया लाइन अटैच,,रिपोर्ट@राजकुमार गौतम पाली

भृष्टाचार में लिप्त टी आई रामकुमार धारिया को एडीजीपी डीसी सागर के निर्देश पर अनूपपुर एस पी ने किया ने किया लाइन अटैच
अनूपपुर जिले के भालूमाड़ा थाने में पदस्थ टी आई रामकुमार धारिया को शहडोल ज़ोन के डीजीपी डी सी सागर जी के निर्देश पर अनूपपुर एसपी जितेंद्र पवार ने लाइन अटैच किया है प्राप्त जानकारी के अनुसार क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी के द्वारा लोगो के साथ पैसों की धोखाधड़ी की गई थी जिसे शिकायत करने लोग थाने गए थे लेकिन लोगो की शिकायत दर्ज न करते हुए टी आई धारिया के द्वारा सेटलमेंट करवाने की बात कही जा रही थी यानी के पहले तो उक्त कंपनी ने लोगो को इसी तरह ठगा अब टी आई भी दोबारा उनको ठग रहे थे परेशान लोगो ने इसकी शिकायत शहडोल जोन के निष्ठावान एवम सवेंदशील एडीजीपी श्री डी सी सागर से की तो तत्काल एडीजीपी श्री सागर ने अनूपपुर एस पी को टी आई धारिया के विरुद्ध कार्यवाही करने एवं उक्त कंपनी के संचालक अरविंद त्रिपाठी शहित पांच एजेंट के विरूद्ध धारा 420 शहित अन्य धाराओं के विरुद्ध मामला कायम करने के निर्देश दिए है।
रामकुमार धारिया का ट्रांसफर विधानसभा चुनाव के पहले उमरिया जिले से शहडोल संभाग में हुआ था जिसके बाद टी आई धारिया ने जुगाड़ लगाकर जिला अनुपपुर के भालूमाड़ा में अपनी पदस्थापना करवाई थी भालूमाड़ा बॉर्डर का थाना है जिससे वहां अवैध कार्य की सम्भवना ज्यादा रहती है और जहां अवैध कार्य ज्यादा हो स्व्भविक सी बात है वहा अवैध पैसों की कमाई की आवक भी बहोत है इसी वजह से इस भृष्ट टी आई ने अपनी पदस्थापना जुगाड़ से भालूमाड़ा करवा ली थी जैसे ही भालूमाड़ा में टी आई का पद संभाला वैसे ही भालूमाड़ा के तमाम अखबारों में धारिया जी सुर्खियों में रहने लगे किसी इनके कारनामो को लेकर जो खबरे छपी उनमें ऐसे कोई भी अपराध शेष नही रह गए जिनसे टी आई धारिया का नाम न जोड़ा गया हो चाहे फिर वो अवैध गांजे के बिक्री हो रेत का अवैध चोरी का ठेका हुआ फड़ संचालन का ठेका गली गली अवैध शराब की बिक्री चोरी अपराधों में बढ़ोतरी तमाम वो चीजे जिसके रोकथाम के लिए वर्दी पहन कर जिन्हें खत्म करने की कसम खाई जाती है उन अवैध गतिविधियों को मानो वर्दी की आड़ में ठेका दे दिया गया हो।
*भ्र्ष्टाचारी से रहा है पुराना नाता।*
टी आई आर के धारिया का भ्र्ष्टाचारी से पुराना नाता रहा है उमरिया जिले में एस पी सचिन शर्मा के कार्यकाल के दौरान टी आई आर के धारिया नौरोजाबाद थाने में पदस्थ थे जहां से उन्हें अवैध गांजे की बिक्री करवाये जाने को लेकर सष्पेंड किया गया था जिसके बाद टी आई आर के धारिया अनूपपुर जिला पहुचे थे और बुढार थाने में पदस्थ हुए वहां भी पदस्थापना के साथ ही उन पर तमाम अवैध गतिविधियों में सलिप्तता पाई गई जिसके बाद कुछ ही महीनों में बुढार से हटा कर जयसिंघनगर थाना भेजा गया वहां भी ज्यादा दिन नही टिके जिसके बाद पुनः अनूपपुर और फिर उमरिया जिले के पाली थाना पहुचे जहां आर के धारिया का गोल्डल चांश साबित हुआ ।
उमरिया जिले के पाली थाने में लगभग 3 साल तक पाली नगर के लोगो का जमकर शोषण किया।
कारण यहां पर आर के धारिया को राजनीति का जमकर सरंक्षण प्राप्त हुआ।और यहां की जनता भी अत्याचारों को सहने की आदी हो चुकी थी जनता जाना चुकी थी हम टी आई धारिया के विरुद्ध कुछ किया तो हमे ही उल्टे प्रकरण में फंसा दिया जाएगा ऐसा सोच पाली नगर की जनता चुपचाप शांत होकर नगर में तीन सालों तक अवैध कार्यो को देखती व सुनती रही।
*पाली थाने में पदस्थापना के दौरान इनके द्वारा किये गए कारनामो की जांच हो तो थाने में इनके कार्यकाल के दौरान हुए कई बड़े अपराधों की सुलझ सकती है गुत्थी।*
पाली थाने में रहते हुए आर के धारिया ने पुलिस की वर्दी पहन कर सैकड़ो अपराध किये है लेकिन राजनीतिक सरंक्षण की वजह से आर के धारिया के विरुद्ध वरिष्ठ अधिकारी चाह कर भी कुछ नही कर पाए हम हम आपको बता दे की नाबलिको के विरुद्ध सरकार कड़े कानून बना कर उसका कड़ाई से पालन करने के आदेश तमाम अधिकारियों को समय समय पर देती रहती है लेकिन ऐसे आदर्शों का उलंघन पाली में टी आई रहते आर के धारिया के द्वारा किया गया है पाली थाना में इनके सेवा के दौरान दिनांक 20 दिसम्बर 2021 को सहडोल के साशकीय अस्पताल से पाली पुलिस को तहरीर प्राप्त हुई थी की एक नाबालिक के डिलवरी हुई है जिसका तहरीर क्रमांक 774/21 विधि के जानकारों के मुताबिक ऐसे मामलों में त्तकाल आर आई आर कर आरोपित के विरुद्ध पास्को एक्ट शहित दुष्कर्म का मामला कायम किया जाना चाहिए लेकिन उक्त मामले में धारिया के द्वारा लाखो रुपये लेकर उल्टा ही पीड़ित के परिजनों को सेटलमेंट की बात कह कर मामला कायम नही किया गया था वही डरे सहमे पीड़िता और उसके परिजनों ने स्थानीय गणमान्य नागरीको की मदद से घटने के 16 माह बाद उक्त मामले में कायमी कराई थी। यह पहला मामला नही इसी तरह एक मामला आया था जिसमे पाली के वार्ड क्रमांक 6 निवासी लोकनाथ अग्रहरि ने अपनी मां को आग के हवाले कर दिया था जिसमे एडीजीपी डीसी सागर ने स्वयं मौके पर जाकर मामले को संज्ञान लिया था और उक्त मामले में आरोपित के विरुद्ध हत्या की धारा के विरुद्ध मामला कायम करने की बात कही थी लेकिन इस संगीन अपराध में भी आर के धारिया ने चंद पैसे लेकर मामले को 302 कायम न कर 306 का मामूली मामला कायम कर दिया था जिसे लेकर एडीजीपी डीसी सागर ने उक्त मामले में धारिया को लाइन अटैच कर दिया था।लेकिन धारिया को राजनीतिक सरंक्षण इतना प्रापत था की ऐडीजीपी का यह आदेश महज कुछ ही घण्टो में निष्क्रिय हो गया था वही एक घटना यह भी यह जिसमे सीआईएसएफ के जवान जो की पाली प्रॉजेक्ट कालरी में सुरक्षा में तैनात था उसे अज्ञात चोरों के द्वारा चाकू मारकर अधमरा कर दिया गया था उस मामले भी कार्यवाही के नाम पर लोकल छोटे मोटे चोरों को उठाकर कार्यवाही के नाम पर थाने लाकर बैठा कर जम कर जेब भरी गई वही नाम न बताने के शर्त पर एक पुलिस अधिकारी ने बताया है की उक्त मामले में पुलिस सहदोल के एक हिस्ट्री शीटर कबाड़ी को उक्त मामले में पकड़ने सहडोल पहुची थी और लगभग उक्त आरोपित तक पुलिस पहुच ही चुकी थी लेकिन धारिया ने स्थाफ को चुपचाप गाड़ी में ही बैठने को कहा और तबतक उक्त आरोपित वहां से निकल गया उसके बाद से आजतक उक्त मामले में कोई भी आरोपित का नाम तक सामने नही आ सका। वही एक मामला इनके कार्यकाल के दौरान अवैध गांजे को लेकर एक अपराध दर्ज किया गया था जिसमे बताया गया था की मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई की बूढ़ी माता मंदिर के समीप एक सफेद झोला पड़ा है जो की संदिग्ध प्रतीत होता है पुलिस ने जाकर देखा तो उस सफेद झोला में गांजा पाया गया जिको लेकर अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया जबकि स्त्यता यह है की वही सफेद झोला थाने के सामीप ही मुन्नी नामक महिला के घर से पुलिस ने जपत किया था लेकिन मुन्नी को अभयदान देकर उक्त झोले को सुनसान जगह में पड़े होने की अज्ञात के विरुद्ध मामला कायम किया गया जो आज तक अनसुलझा है ऐसे कई संगीन अपराध पाली थाने में आर के धारिया के कार्यकाल के दौरान अनसुलझे पड़े है जो की अज्ञात है यदि उन मामलों की जांच धारिया जी से पूछताछ कर की जाए तो निश्चयत ही सभी अज्ञात ज्ञात हो जाएंगे और ऐसे भृष्ट टी आई के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए और इनके ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए इनको किसी भी थाने की कमान नही सौपी जानी चाहिए लेकिन वरिष्ठ अधिकारी भी क्या करे पैसा बोलता है और भर्ष्टाचारी से कमाई के दम पर राजनीति ताकत को चढ़ावा चढ़ाकर ऐसे भृष्ट अधिकारी अपने मन के मंनन्त माग फिर किसी अन्य जगह भर्ष्टाचार करने पहुच ही जाते है।यही है सिष्टम जो शायद कभी बंद न और लोग का शोषण और कानून की छवि इसी तरह धूमिल होती रहे।