राशनकार्ड बनवाने पहुंचे थे दंपति, पुलिस कर रही जांच


भोपाल । राशनकार्ड बनवाने पहुंचे दंपति से तहसीलदार ने  झूमाझपटी कर दी। इतना ही नहीं, पीडित ने तहसीलदार पर चांटा मारने का आरोप भी लगाया। पीडित का मोबाइल जमीन पर पटककर तोड दिया। यह मामला जबलपुर जिले के शहपुरा क्षेत्र का है। पुलिस में शिकायत भी की लेकिन पुलिस मामले की जांच का दावा कर मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। प्रभारी थाना प्रभारी का कहना है कि सोमवार को इस मामले में कार्रवाई होगी। जबकि तहसीलदार का दावा है कि किसी तरह की घटना नहीं हुई। राशन कार्ड के लिए आवेदन को खारिज किया था ऐसा वो हर दिन करते हैं वह आरोप लगाने वाले दंपति को नहीं जानते हैं। शहपुरा के रमखिरिया निवासी बालकिशन बर्मन अपनी 26 वर्षीय पूजा बर्मन के साथ 23 फरवरी को राशन कार्ड बनवाने तहसील आफिस पहुंचा। पूजा बर्मन पति के साथ रोज तहसील के चक्कर काट रही थी, पर उसका राशन कार्ड नहीं बन पा रहा था। पूजा बर्मन ने कहा कि वह एक माह से राशन कार्ड के लिए परेशान हो रहे हैं। किसी तरह गांव के सरपंच और सचिव की मदद से राशन कार्ड का आवेदन भरवाकर तहसील में जमा किया। जहां उसे उसे कई बार टहला दिया गया। शुक्रवार को पूजा पति बालकिशन और दो छोटे बच्चों को लेकर जैसे ही तहसीलदार रविन्द्र पटेल के दफ्तर में पहुंची तो वे बिफर गए। पूजा ने तहसीलदार से कहा कि उसका आवेदन क्यों खारिज हुआ जबकि उसके पास न मकान है न जमीन। यह सुनते ही तहसीलदार बात को अनसुना करते हुए उन्होंने पति के साथ झूमाझपटी करनी शुरू कर दी। पूजा बातचीत का मोबाइल पर वीडियो बना रही थी जिसे देखकर तहसीदार नाराज हो गए और मोबाइल छीनकर जमीन पर पटककर तोड़ दिया। उन्होंने पूजा पर भी हाथ उठाने की कोशिश की। घटना के बाद पीड़ित ने इस मामले की शिकायत थाना शहपुरा में दी जिसकी जांच का दावा हुआ। मोबाइल छीनने के दौरान पूजा के हाथ में खरोंच भी आ गई। शिकायत पर पुलिस जांच कर रही है। शहपुरा पुलिस की तत्परता का आलम ये है कि घटना के 24 घंटे बीतने के बाद भी आरोपित तहसीलदार से कोई अधिकारिक पूछताछ नहीं हुई है। थाना प्रभारी दीपू कुशवाहा ने कहा कि शनिवार और रविवार को कार्यालयीन अवकाश की वजह से जांच प्रारंभ नहीं हो पाई है। इस मामले में तहसीलदार से पूछताछ की जाएगी। जिसके बाद आगामी कार्रवाई होगी। इस मामले में तहसीलदार रविंन्द्र पटेल ने कहा कि मुझे बालकिशन बर्मन और उसके परिवार की जानकारी नहीं है दैनिक कार्य के दौरान अपात्रों के आवेदन खारिज किए जाते हैं इनका भी हुआ था। बाकी विवाद जैसा कुछ नहीं हुआ है।