कोतमा पुलिस ने शिकायतकर्ता को बना दिया 307 का आरोपी,राजनैतिक दबाव के चलते बिना जाँच हो गई एफआईआर - विजय उरमलिया की कलम से

कोतमा पुलिस ने शिकायतकर्ता को बना दिया 307 का आरोपी,राजनैतिक दबाव के चलते बिना जाँच हो गई एफआईआर
अनूपपुर - जब शिकायत करता को ही पुलिस 307 का आरोपी महज इसलिए बना दे की उक्त शिकायत करता मुस्लिम है और सत्ता पक्ष का दबाव 307 का मुकदमा कायम करने को मजबूर कर रहा हो
दरसल कोतमा लहसुई निवासीे ऐतशाम अंसारी कोतमा के केशवाही रोड पर अंसारी ऑटो मोबाईल के नाम से गैराज चलते है बीते दिनों दिनांक 2,3,2024 को कोतमा थाने में लिखित शिकायत दी थी की रात को चोरो के द्वारा चोरी की वारदात को अंजाम दिया जा रहा है और 1 मार्च को भी चोरी हुई थी लिखित शिकायत पर पुलिस ने कोई कार्यवाही करना लाजमी तो नहीं समझा बल्कि गैराज मालिक दिनांक 6,3,2024 को रंगे हांथो चोरी करते पकडे जाने वाले विष्णु दयाल द्धिवेदी जो बोलेरो गाड़ी का दरवाजा खोल कर रात लगभग 10 बजे चोरी करते हुए गैराज के कर्मचारियों ने देखा और जब पकड़ने का प्रयास किया तो भाग ने लगा जिसे दौड़ कर राधिका होटल के पास पकड़ कर कोतमा थाने के सुपुर्द किया गया और पुलिस को लिखत आवेदन देते हुए पूर्व में भी हुई इस तरह चोरी की घटना की जाँच की मांग की गई जाँच तो दूर की बात सुबह आरोपी अपने भाई के साथ गैराज कैसे पहुँच गया अपने आप में बड़ा सवालिया निशान है जब चोरी के आरोपी को रंगे हाँथ पकड़ कर पुलिस को सुपूर्द किया गया था तो आरोपी का गैराज में पहुँच जाना अपने आप में पुलिस की कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है
इस पूरे मामले में सवाल यह है की आखिर जिस व्यक्ति ने खुद शिकायत की हो उसको राजनैतिक दबाव में आखिर कैसे बिना जाँच के 307 का आरोपी बना दिया
और सबसे बड़ा सवाल यह उठता है की आखिर कार जिसके ऊपर चोरी का आरोप हो वह दोबारा कैसे वहां पहुंचा
इस पूरे मामले में एतेशाम अंसारी को मुस्लिम होना भारी पड गया उसके शिकायत पर जाँच तो दूर सत्ता पक्ष के नेताओं का थाने में हंगामा कर अपने पार्टी के कार्यकर्ता के साथ जानलेवा हमले का हवाला दे कर पुलिस पर दबाव बनाते हुए 307 का आरोपी बनवा दिया क्या हो गया कोतमा की राजनीती को इसी शहर में स्वर्गीय राजेश सोनी जैसा नेता हुआ करते थे जो न्याय संगत बात करते हुए कार्यवाही करवाते थे पर आज कोतमा के भाजपाइयों ने सामजिक समरसता में 307 अपराधनामक जहर घोल दिया और धन्य है कोतमा पुलिस जो शिकायतकर्ता की जाँच करने की जगह चोरी करने वाले के भाई की शिकायत पर 307 दर्ज करते हुए सत्ता पक्ष की नौकरी बजाने की मिशाल पेश की है
अब सवालिया निशान पुलिस की कार्यप्रणाली पर है और कल की ऐतशाम अंसारी के शिकायत के दौरान कोतमा थाने की सीसीटीवी फुटेज सार्वजानिक करनी चाहिये और उस शिकायत पर कोतमा पुलिस ने अब तक क्या एफआईआर दर्ज की है और आरोपी कितने बजे थाने से किसके कहने पर या किसके दबाव में छोड़ा सार्वजानिक करे चूँकि पुलिस ने चोरी के आरोपी को छोड़ा और उसके बाद सड़यंत्रपूर्वक वापस गैरेज पहुंचे और विवाद कर शिकायतकर्ता को ही राजनैतिक दबाव बना कर 307 का आरोपी बना दिया