ललित दुबे हाई प्रोफाइल सोसाइटी का चमकता हुआ चेहरा हैवान या शैतान आया पुलिस के शिकंजे में पर्दे के पीछे छिपी है कई कहानी जनता के सामने सच आना जरूरी

ललित दुबे हाई प्रोफाइल सोसाइटी का चमकता हुआ चेहरा हैवान या शैतान आया पुलिस के शिकंजे में
पर्दे के पीछे छिपी है कई कहानी जनता के सामने सच आना जरूरी
इन्ट्रो-ललित दुबे एक ऐसा नाम जो अनूपपुर जिले के लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं था। हाई फाई समिति के बीच समाजसेवी का लबदा ओढ़े यह व्यक्ति समाज के लिए घातक कहा जाए या कलंक इसका फैसला तो बाद में होगा लेकिन इसके घिनौने चेहरे से जब नकाब हटा तो अब हर कोई कहने लगा यह शैतान है या हैवान या समाज में बदनुमा धब्बा किसी के समझ में नहीं आ रहा किस उपाधि से इसे अलंकृत किया जाए।
(क्राइम रिपोर्टर)
अनूपपुर। अनूपपुर 10 वर्षीय बालिका जिसे ललित दुबे ने आदिवासी समाज की परंपरा के अनुसार नारियल देकर अपनी मुंह बोली बेटी बना लिया था उसी के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में दिक्कत दो दिनों से फरार चल रहा ललित दुबे शुक्रवार को कोतवाली पुलिस के शिकंजे में धरा गया। कोतवाली पुलिस ने जहां उसे अस्पताल भेजकर मेडिकल जांच करके मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के बाद जेल भेज दिया। वहीं अब ललित दुबे के चमकते चेहरे के पीछे की कहानी परत दर परत निकलनी शुरू हो गई है। जिसको सुनकर जानकर जहां हर कोई दंग है वही किसी के भी समझ में नहीं आ रहा समाजसेवी का लवादा ओढ़ कर अपने हाई प्रोफाइल रहन सहन का दिखावा करने वाला यह ललित दुबे समाज के लिए एक ऐसा बदनुमा धब्बा भी हो सकता इसकी किसी को कल्पना तक नहीं थी। कटनी जिले के बरही क्षेत्र का मूल निवासी ललित दुबे लगभग 15 वर्ष पूर्व शहडोल जिले में एनआरएलएम का कर्मचारी था जहां पर इसके ऊपर इसी तरह का एक आरोप लगा जो ललित दुबे को इस पाप से छुटकारा पाने के लिए अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर अनूपपुर जिले से पलायन करना पड़ा। शहडोल जिले से भाग कर यह ललित दुबे अनूपपुर जिले में आया और किसी तरह से अपनी ऊंची पहुंच के कारण पहले जन अभियान परिषद से जुड़कर नौकरी कर ली बाद में यह किसी तरह से जन अभियान परिषद को छोड़कर किशोर कल्याण बोर्ड का सदस्य बना और उसके बाद से ही समाज सेवा का ओढ़ कर कुछ ऐसे कृत करता चला गया जिसके कारण इसे अमलाई से रात में घर छोड़कर भागना पड़ा और फिर यह अनूपपुर नगर में जाकर शरण ले लिया।
पर्दे के पीछे छिपे हैं कई राज जांच की जरूरत
सूत्रों की माने तो ललित दुबे के परदे की पीछे की अभी बहुत सारी ऐसी कहानी है जो जनता के सामने आना बाकी है। लगभग 10-12 सालों से यह व्यक्ति अनूपपुर में अपनी इतनी अच्छी पैठ बना लिया था कि यह अनूपपुर के हाई प्रोफाइल चेहरों के साथ लगातार देखा जा सकता था स पत्रकार संपादक फिल्मकार खाने वाला यह व्यक्ति किशोर कल्याण बोर्ड का सदस्य बनने के साथ-साथ कई एनजीओ से जुड़ा हुआ था। यही नहीं बताया तो यहां तक जाता है कि एनजीओ के नाम पर अपने पर्दे की पीछे कहानी के दम पर कई सरकारी विभागों का ठेका भी लेता था स सूत्रों की माने तो राजेंद्रग्राम क्षेत्र के आदिवासी इलाकों में यह समाज सेवा के नाम पर सक्रिय रहता था लेकिन इसके पीछे वह कौन सा खेल खेलता था यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है।
सच सामने लाने के लिए उषा को लाना होगा सामने
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ललित दुबे जब अमलाई क्षेत्र में रहता था उसी समय से इसके साथ उषा नाम की एक आदिवासी बालिका जुड़ी हुई थी जो इसके घर में कामकाज करती थी। अमलाई में इसी तरह के एक आरोप में जब इसे वहां से भागना पड़ा तो इसके घर का कामकाज करने वाली यह आदिवासी बालिका अनूपपुर में भी इसके घर में कामकाज करने लगी। सूत्रों का दावा है कि अगर पुलिस इस आदिवासी बालिका से संपर्क करके उसे ललित दुबे की जानकारी ले तो कई ऐसे मामले सामने आएंगे जिसके बाद ललित दुबे हैवान है या शैतान इसका फैसला करना पुलिस के लिए नहीं जनता के लिए भी भारी पड़ जाएगा। फिलहाल गंभीर और घातक बीमारी से जूझ रहा यह 10 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म का आरोपी ललित दुबे के पर्दे के पीछे की कहानी निकल कर समाज के सामने आ पाएगी या नहीं यह तो नहीं कहा जा सकता फिलहाल यह जरूर कहा जा सकता है कि इसके इसी मानसिक घिनौनी प्रवृत्ति के कारण ऊपर वाले ने इसे एक ऐसी बीमारी उपहार में दे दी थी लेकिन यह ऊपर वाले के दंड को नहीं समझ सका यही कारण है कि आज यह कानून के शिकंजे में अपना चेहरा छुपाते घूम रहा है।