नई दिल्ली । एक शख्स अपने दोस्त की मदद से नशा मुक्ति केंद्र के अवैध बंधन से आजाद हो सका। उसे आजादी दिलाई दिल्ली हाईकोर्ट ने, जो उसकी रिहाई की मांग के साथ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार कर रहा था। कोर्ट ने माना कि पीड़ित को उसके छोटे भाई ने पिछले लगभग नौ साल से नशा मुक्ति केंद्र में बंदी बनाकर रखा। पीड़ित जगदीश मल्होत्रा के दोस्त कुमेश्वर दयाल सम्मी ने कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। एडवोकेट अभिषेक कुमार के जरिए दायर याचिका में पीड़ित को नशा मुक्ति केंद्र से आजाद कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया। पीड़ित ने अपने छोटे भाई राजीव मल्होत्रा और उनकी पत्नी पूजा मल्होत्रा पर कई गंभीर आरोप लगाए। फर्श बाजार थाने के एसएचओ को पिछले साल इस बारे में कंप्लेंट दी गई थी, जिसमें नशा मुक्ति केंद्र में शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न देने, अवैध तरीके से बंदी बनाकर और अगवा कर रखने और मारने-पीटने के आरोप लगाए गए थे। हाईकोर्टने पीड़ित के छोटे भाई का पक्ष भी सुना। दोनों भाइयों ने कोर्ट के सामने समझौता किया। छोटा भाई शाहदरा की प्रॉपर्टी छोड़ने के लिए और 25,000 रुपये खर्च के तौर पर बड़े भाई को देने के लिए राजी हो गया। दोनों में से कोई भी एक दूसरे के अधिकार वाली प्रॉपर्टी में दखल नहीं देगा। ऐसा करने पर अदालत की अवमानना माना जाएगा। हालांकि, आदेश के अनुपालन की जांच के लिए कोर्ट मामले में अगली सुनवाई 15 अप्रैल को करेगा। कोर्ट ने छोटे भाई को चेतावनी देने के साथ यह निर्देश भी दिया कि वह बड़े भाई के सभी जरूरी दस्तावेज उन्हें सौंप दे।