वन परिक्षेत्र में पेंडो की अवैध की कटाई जोरों पर रेंजर, डिप्टी रेंजर सहित बीट गार्ड की भूमिका संदिग्ध

वन परिक्षेत्र में पेंडो की अवैध की कटाई जोरों पर रेंजर, डिप्टी रेंजर सहित बीट गार्ड की भूमिका संदिग्ध
कोटमी धुरवासिन के जंगलो मे वनो की अवैध कटाई मामले की जांच करने पहंची शहडोल एसटीएफ की टीम को मिले 23 सूखे 12 गीले सहित कुल 35 ठूंठ जांच दल ने दो से नौ माह के बीच बताई समयावधि, अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए स्वयं वन विभाग के आला अधिकारी चल रहे हैं नए-नए पैतरे ..! कोतमा वन परिक्षेत्र के लतार चौकी अंतर्गत कोटमी धुरवासिन के जंगलो मे हुई वन वृक्षो की अवैध कटाई को लेकर ग्राम कोटमी निवासी वन प्रेमी हरि प्रसाद यादव ने वनमंडलाधिकारी से लिखित शिकायत कर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। शिकायतकर्ता ने लतार चौकी के डिप्टी रेंजर विनोद मिश्रा सहित वन क्षेत्र रक्षक सोमपाल सिंह पर आरोप लगाते हुए बताया कि आर. एफ. 442 के जंगल से सूखे हुए सरई के अनेक मोटे पेडो को काटकर ठिकाने लगा दिया गया है। शिकायतकर्ता की माने तो पेडो की अवैध कटाई का यह सिलसिला पिछले काफी समय से अनवरत चल रहा है जिनमे कभी सूखे तो कभी हरे पेड़ों को काटकर वनो को लगातार नुकसान पहुंचाया गया मामले में शिकायत के बाद मौके पर पंहुची अनूपपुर वन विभाग की जांच टीम ने जिन 19 ठूंठो का निरीक्षण किया उन्हे लगभग सात वर्ष पूर्व का बताया जिसके बाद से ही जांच पर ही सवाल खडे होने लगे ,अगर जांच टीम की कथनी और करनी पर नजर डाले तो वन संरक्षण के दावे दम तोडते नजर आएगें।
शहडोल एसटीएफ की जांच से कसेगा शिकंजा ---
कोटमी और धुरवासिन के जंगलो मे पेड़ों की अवैध कटाई मामले में वन विभाग के रेंजर अशोक निगम एवं उनके मातहत कार्य करने वाले डिप्टी रेंजर सहित वनकर्मी की सहभगिता से अवैध वन वृक्षो की कटाई को लेकर वन मंडलाधिकारी से हुई लिखित शिकायत मामले मे 10 मार्च 2024 को शहडोल एसटीएफ की जांच टीम को कोटमी के जंगलो मे पांच घंटो के सघन जांच के दौरान कुल सरई के नए 23 सूखे पेडो के ठूंठ मिले निरीक्षण के दौरान ठूंठो की मौजूदा स्थित को देख अनुमानित दो चार माह के भीतर कटने का आकलन एसटीएफ की टीम द्वारा बताया गया वहीं धुरवासिन के जंगल मे महज बीस फीसदी हिस्से मे भ्रमण के दौरान ही शहडोल एसटीएफ की टीम को 12 हरे वृक्ष के ठूंठ मिले जांच दल द्वारा उक्त ठूंठो को भी दो माह के अंदर का बताया गया, जांच टीम ने दोनो जंगल भाग कोटमी एवं धुरवासिन के निरीक्षण के उपरांत मौका पंचनामा बना मौके से रवाना हो गयी।
एसटीएफ की जांच से पूर्व जांचकर्ताओ की खुली पोल ---
शहडोल एसटीएफ दल की जांच के बाद अनूपपुर जांच टीम पर पूर्व सरपंच सहित अन्य ग्रामीणो ने सवाल खडे कर दिए कि आखिर जिन ठूंठो को शहडोल एसटीएफ की जांच टीम
ने एक माह से नौ माह के अंदर का बताया उन्ही ठूंठो को अनूपपुर जांच टीम ने एक से सात वर्ष का किस आधार पर बता रही थी जिस कारण शिकायतकर्ता सहित ग्रामीणो ने पूर्व जांच के समय बनाए जा रहे पंचनामा मे हस्ताक्षर करने से मना कर दिया सूत्रो की माने तो अनूपपुर जांच दल द्वारा जान बूझकर पूरे मामले मे लीपापोती का प्रयास किया गया जिससे नवागत वन मंडलाधिकारी सुश्री श्रद्धा पन्द्रे को अवैध कटाई मामले मे पूरी तयह गुमराह किया जा सके। उससे भी शर्मनाक विषय यह है कि जिनके उपर पेडो की अवैध कटाई के आरोप लगे है दामन दागदार होने का जिक्र शिकायतो मे किया गया है उन्ही सुरमाओ को अनूपपुर जाँच टीम का शहंशाह बनाकर उनकी ताजपोशी की जा रही है और शिकायत कर्ता के साथ तनाव पूर्ण स्थित पैदा कर दबाव बनाने का प्रयास किया जाता रहा। जिससे जांच की आंच का दायरा शागिर्द सिपहसलारो तक पहुच ही न सके।
जंगलो में अवैध कटाई का सरगना कौन ---
सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार कोतमा वन परिक्षेत्र अंतर्गत लतार चौकी सहित अन्य चौकियो में वन वृक्षो की अवैध कटाई का मुख्य मास्टरमाइंड कोतमा वन परिक्षेत्र के रेंजर अशोक निगम है इन्ही के इशारे पर लाडले डिप्टी रेंजर विनोद मिश्रा बीट प्रभारी सोमपाल सिंह पेडो की अवैध कटाई के बाद भी मूकदर्शक बने रहे आमजन चर्चा तो यह भी है रेंजर साहब बिजुरी वन परिक्षेत्र मे हजारो यू.के. लिपटिस पेड काटने वाले मामले की तरह सब कुछ परदे मे रहने दो की पटकथा लिखने की रणनीति पर काम करने का भरसक प्रयास कर नया कीर्तिमान स्थापित करने की फिराक में है बहरहाल शिकायत कर्ता सहित ग्रामीण जनता अपने क्षेत्र मे हो रहे वनो की अवैध कटाई मामले में शहडोल एसटीएफ जांच दल की जांच को जिला वनमण्डलाधिकारी द्वारा गंभीरता से लेकर दोषियों के विरूध्द कडी कार्यवाही की मांग कर रहे है।
न खाता न बही जो निगम कहे वो ही सही ---
लतार चौकी अंतर्गत वृक्षो की अवैध कटाई मामले में ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोतमा वन परिक्षेत्र सहित लतार वन चौकी मे वन संरक्षण अधिनियम रेंजर अशोक निगम डिप्टी रेंजर विनोद मिश्रा सहित सोमपाल सिंह पर लागू ही नही होता इन्हे इसकी धज्जिया उडाने का विशेष अधिकार प्राप्त है तभी तो रेंजर की ऐ दलील 'की जब लोगो की जेबें कट सकती है तो पेड क्या चीज है' सुनकर वनमंडलाधिकारी भी अपना माथ पीट ले रेंजर की बेशर्म बयानबाजी के इतर अगर कोटमी धुरवासिन भाग के जंगल पर ध्यान दे अभी लगभग तीन दर्जन से अधिक सूखे पेडो को नीचे से काट काट कर ठिकाने लगाने के फिराक में वन माफिया सक्रिय है जिसकी फोटो शहडोल एसटीएफ की जांच टीम ने संरक्षित की, और यदि वन विभाग के द्वारा इन पेडो की कटाई हुई तो कुक कटाई के पूर्व जिन पेडो की कटाई करानी होती है उन्हे चिन्हित कर उन पर मार्क किया जाता है और कटाई के उपरांत उनकी ठूंठ पर हैमर नंबर अंकित सील लगायी जाती है।
वन माफियाओ को जिम्मेदारो का संरक्षण ----
पेड़ों की अवैध कटाई से जहां जंगल खत्म हो रहे तो वही पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है एक ओर सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर पर्यावरण को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश के मुखिया से लेकर आमजन तक को प्रतिदिन पौधारोपण करने के लिए प्रेरित किया जाता है किंतु वन विभाग के जिम्मेदारों की सहभागिता उदासीनता और लापरवाही के कारण शासन के मंसूबों पर पानी फिर रहा है वनो के संरक्षण के लिए प्रदेश के सभी जिलो में वनमंडलाधिकारी वन परिक्षेत्राधिकारी से लेकर वनक्षेत्र रक्षक तक की तैनाती की गयी है जिससे वनो को अवैध कटाई पर अंकुश लगाकर उन्हे संरक्षित किया जा सके लेकिन जब वन रक्षक पर ही वन भक्षक होने के आरोप लगने लगे और जांच के नाम पर भर्रेशाही का आलम पसरा हो तो वनो का संरक्षण होगा कैसे। जब इस संबंध मे वन मंडलाधिकारी अनूपपुर, रेंजर कोतमा से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके द्वारा फोन नही उठाया गया।
कहना है ---
एसटीएफ जांच के दौरान मै उपस्थित नही था इस कारण मै इस पर कुछ नही कह सकता।
विनोद मिश्रा
डिप्टी रेंजर लतार चौकी