झूठ के पुलिंदों पर रची गई रोजगार सहायक के खिलाफ शिकायतो की साजिश बरकरार दीपक का जलवा हर पन्ना पलटने पर निकल रहे चौकाने वाले तथ्य

झूठ के पुलिंदों पर रची गई रोजगार सहायक के खिलाफ शिकायतो की साजिश बरकरार दीपक का जलवा
हर पन्ना पलटने पर निकल रहे चौकाने वाले तथ्य
इन्ट्रो-एक अध्यापक जिसे समाज में चरित्र निर्माण और बच्चों के उज्जवल भविष्य का निर्माता माना जाता है वहीं शिक्षक जब ऐसी हरकतें करने लगता है जिससे शिक्षक पद की गरिमा पर सवाल खड़ा होने लगता है। फिलहाल यह मामला बिजली थाना अंतर्गत बहेरा बांध गांव के निवासी शिक्षक दीपक साहू से जुड़ा है जिसे हर पन्ना पलटने पर एक नए षड्यंत्र और झूठ का खुलासा होता है।
(क्राइम रिपोर्टर)
अनूपपुर। लगभग 2 साल से जनपद पंचायत कोतमा में अटैच बहरा बांध गांव के रोजगार सहायक तुलसी साहू के परेषान, हतास होने कि कहानी के पन्ने पलटने के बाद देने के साथ-साथ मुंह से बरबस यही निकलता है कि आखिर एक सच पर अडे रहने के कारण तुलसीदास को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल यहां पर बात की जा रही है कोठी ग्राम में शिक्षक के पद पर कार्य कर रहे और बहेरा बांध गांव निवासी दीपक साहू की उनको जब इस बात की जानकारी हुई की समग्र आईडी में दो बीवियों का नाम होने के कारण शिक्षक पद से हटा दिए जा सकते हैं तो आनन फानन में दीपक साहू ने अपनी दूसरी पत्नी रूपा साहू को आगे करके दीपक साहू के परिवार से रूपा साहू को पृथक करने की प्रार्थना पत्र दिलवा दिया। और यही से शुरू होती है झूठ के पुलिंदों पर टिकी दीपक साहू और रूपा साहू की वह शिकायत जो आज रोजगार सहायक के लिए जी का बवाल बन गई है। और ऐसा भी नहीं विभागीय शिकायतों के कारण परेशान रोजगार सहायक को सबक सिखाने के लिए पुलिस का भी सहारा लिया गया और जिसमें भी गवाह और कोई नहीं दीपक साहू की पहली पत्नी सावित्री साहू और दूसरी पत्नी रूपा साहू ही है। फिलहाल रोजगार सहायक जनपद पंचायत कोतमा में अटैच होकर न्याय के लिए पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों का दरवाजा खटखटा रहा है लेकिन दीपक साहू के राजनीतिक पहुंच के आगे अधिकारी निष्पक्षता से जांच करने की जगह रोजगार सहायक को गोल-गोल घुमा रहे हैं।
शपथ पत्र झूठ या प्राचार्य का प्रमाण पत्र
अपने पति के शिक्षक पद की नौकरी को खतरे में देख कर रूपा साहू ने दीपक साहू के समग्र आईडी के खाते से अपना नाम पृथक करने का आवेदन तो दिया लेकिन इस आवेदन में उन्होंने कुछ और कारण बताया और बाद में जब उन्होंने शपथ पत्र दिया तो कारण कुछ और था। कहां जाता है कि झूठ कितने ही सोच समझ के बोला जाए लेकिन झूठ का पर्दाफाश तो हो ही जाता है। रूपा साहू ने अपने प्रार्थना पत्र पर जहां केवल ससुराल की जगह मायके में रहना बताया तो वही जब उन्होंने शपथ पत्र बनवाया तो इस बात का उल्लेख किया कि वह विगत दो वर्षों से अपने ससुराल बहरा बांध से दूर अपने माइके बिजुरी नगर पालिका क्षेत्र में निवास कर रही है। वही शपथ पत्र के बाद बहरा बांध के प्राचार्य ने जानकारी मांगने पर इस बात को प्रमाणित किया कि रूपा साहू का बेटा दीपेश साहू उनके विद्यालय में अध्यनरत है और रोजाना आता है। ऐसे में यह सवाल पूछना लाजमी है कि जब रूपा साहू का पुत्र दीपेश साहू बहरा बांध स्कूल में रोजाना पढ़ने जाता था तो वह शपथ पत्र में कैसे लिख रही है कि वह विगत दो वर्षों से बहरा बांध की जगह अपने मायके बिजुरी में रह रही है। फिलहाल यह तो जांच का विषय है लेकिन यह तय है कि इस मामले में अगर निष्पक्षता के साथ जांच की जाए तो और कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।
पहली पत्नी फरियादी तो दूसरी पत्नी गवांह
रोजगार सहायक के ऊपर बिजली थाने में रूपा साहू ने शिकायत पत्र देकर जहां फरियादी बनी लेकिन पुलिस द्वारा किसी गंभीर धारा में मुकदमा न पंजीकृत करने के कारण रोजगार सहायक के ऊपर एक और मुकदमा कायम होता है एससी एसटी एक्ट के तहत इसमें गवाह के रूप में कोई और नहीं दीपक साहू की पहली पत्नी सावित्री साहू मैदान में उतरती है। रोजगार सहायक के हर मामले में दीपक साहू सावित्री साहू और रूपा साहू का नाम कहीं ना कहीं से जुड़ा जरूर मिलेगा। ऐसे में पुलिस और प्रशासन के अधिकारी निष्पक्षता के साथ इस प्रकरण की जांच करें तो रोजगार सहायक को न्याय मिल सकता है।