लोकसभा चुनाव में भाजपा के चुनावी चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए कांग्रेस के पास नहीं है महारथी शहडोल के नेताओं में उत्साह सक्रियता ना होने से कार्यकर्ताओं में करंट नहीं

लोकसभा चुनाव में भाजपा के चुनावी चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए कांग्रेस के पास नहीं है महारथी
शहडोल के नेताओं में उत्साह सक्रियता ना होने से कार्यकर्ताओं में करंट नहीं
इन्ट्रो-शहडोल लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने बिगुल बजाते हुए 19 अप्रैल को मतदान की तिथि की घोषणा कर दी है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी चक्रव्यूह की रचना करने के लिए अपने नेताओं को बूथ तक का कार्यक्रम दे दिया लेकिन अभी तक कांग्रेस के नेता चुनावी बैठक भी नहीं आयोजित कर पा रहे हैं।
(राम भैय्या)
अनूपपुर। शहडोल लोकसभा चुनाव के लिए 19 अप्रैल की मतदान की तिथि घोषित होते ही भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह और जनता के बीच चुनावी करंट पैदा करने के लिए कई तरह की योजनाएं बनाकर अपने नेताओं को मैदान में उतार दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के साथ शहडोल संभाग के कार्यकर्ताओं की बैठक पर बैठक करके लगभग अपने चुनावी चक्रव्यूह की रचना कर दी है। वहीं कांग्रेस के पास लोकसभा चुनाव लड़ने की कोई ठोस योजना अभी तक सामने नहीं है और यही कारण है कि कांग्रेस ने अभी तक अपना प्रत्याशी भी मैदान में घोषित नहीं किया है। अगर इस तरह से कहा जाए की कांग्रेस के पास शहडोल लोकसभा में भाजपा द्वारा तैयार की गई चुनावी चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए कोई महारथी नहीं है तो गलत नहीं होगा। अंतिम समय में अभिमन्यु की तरह भले ही कोई यह जानते हुए भी की हार तो जाना ही है मैदान में कूद जाए तो उसे बलि का बकरा भी कहा जा सकता है फिलहाल कांग्रेस के पास ऐसे कई बलि के बकरे हैं जो हार सुनिष्चित होने के बावजूद भी कांग्रेस द्वारा मिलने वाले चुनावी खर्चे से कार और बंगला बनवाने के लिए तैयार हैं। फिलहाल यह तय माना जा रहा है अंतिम समय में यहां से पुष्पराजगढ़ विधायक फुन्देलाल सिंह मार्को ही कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी होंगे लेकिन उनके सामने महाभारत के चक्रव्यूह की तरह शहडोल लोकसभा की सात विधानसभा सीटों पर लड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है।
अभिमन्यु के लिए सात द्वार तो कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सात विधानसभा
जिस तरह से महाभारत में कौरव द्वारा तैयार किए गए चक्रव्यूह में सात द्वार तोड़कर बाहर निकलने पर विजय का परचम लहराना था इस तरह से शहडोल लोकसभा में कांग्रेस को सात विधानसभा क्षेत्र में अपनी विजय पताका लहराने के बाद ही शहडोल लोकसभा का विजई प्रत्याशी बना जा सकता है। वैसे तो शहडोल लोकसभा में आठ विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें से मात्र पुष्पराजगढ़ विधानसभा में ही कांग्रेस का विधायक है शेष सात विधानसभा में भाजपा के विधायक हैं और भाजपा के विधायक की विधानसभा मे कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी को चुनाव लड़ना महाभारत के चक्रव्यूह के सातों द्वारों को तोड़ने के समान है। ऐसे में कांग्रेस जिसे भी शहडोल लोकसभा का प्रत्याशी बनाएगी उसके सामने भाजपा के विधायकों वाली सातों विधानसभा में भाजपा के चुनावी चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए महारथियों की जरूरत पड़ेगी जो कांग्रेस की वर्तमान हालात को देखते हुए कहीं से भी यह संभव नहीं दिख रहा है। सीधे-सीधे शब्दों में अगर कहा जाए की शहडोल लोकसभा क्षेत्र में विजय का पताका फहराने के लिए कांग्रेस के पास महारथियों का अभाव है तो गलत होगा।
कांग्रेस के नेताओं में सक्रियता ना होने से कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं
शहडोल लोकसभा क्षेत्र में अनूपपुर शहडोल उमरिया और कटनी चार जिलों की विधानसभा आती है और चारों जिलों में कांग्रेस के नेता अभी तक सक्रिय होकर लोकसभा की तैयारी में नहीं जुटे हैं यही कारण बताया जा रहा है कि जब नेता ही निष्क्रिय है तो कार्यकर्ताओं में उत्साह कहां से आएगा अगर इसे इस तरह से देखा जाए की जब अभिमन्यु महाभारत काल में चक्रव्यूह तोड़ने के लिए कह रहे थे कि मुझसे अंतिम द्वार नहीं टूटेगा उस समय भीम ने ललकारते हुए कहा था कि तुम चक्रव्यूह में चलो अंतिम द्वार में अपनी गदा से तोड़ दूंगा भीम का यह ललकारना अभिमन्यु के लिए ताकत के साथ उत्साह देना था लेकिन शहडोल लोकसभा क्षेत्र में अभी तक कांग्रेस का ऐसा कोई महारथी जनता के बीच नहीं आ रहा है जो यह कह सके की आप हमें समर्थन दो हम लोकसभा जीत कर दिखाएंगे। यहां तक की शहडोल लोकसभा क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण तीन विधानसभा क्षेत्र वाले अनूपपुर जिले के कांग्रेस जिला अध्यक्ष लगभग जिले से लापता है ऐसा हम नही कांग्रेा के कार्यकर्ता ही कह रहे है। फिलहाल विधानसभा चुनाव में हवा-हवाई दावों के कारण पराजय का स्वाद चख चुके कांग्रेसी नेताओं ने अभी तक कोई सबक नहीं लिया है।