एसोसिएट कामर्स के आगे नतमस्तक पूरा का पूरा खनिज अमला,जिला कलेक्टर बचाएँ सोन का अस्तित्व,रेत ठेकेदार माफिया बन कर रहा अवैध उत्खनन 
अनूपपुर - कहते है बिना मालिक की फौज बड़ी खतरनाक होती है चाहे तो जंग जीत ले और चाहे तो सब कुछ हार कर अपना कुनबा भर ले कुछ ऐसा ही हाल जिला खनिज अधिकारी आशालता वैद्य,और खनिज निरीक्षक ईशा वर्मा का है जहां खनिज ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए अनूपपुर जिले की खनिज संपदा को माफिया के आगे गिरवी रख दिया सूत्रों की माने तो खनिज विभाग के ये दोनों जिम्मेदार और रेत ठेकेदार के बीच गठबंधन हो चुका है और उसके बाद रेत ठेकेदार एसोसिएट कामर्स जो जिले में रेत का ठेका लिया था पर अब रेत माफिया बन नदी का दोहन नही सरेआम चीरहरण कर रहा है एक तरफ जहां मान पुर रेत खदान में सिमा क्षेत्र के बाहर जा कर लगातार रेत की खुदाई कर रहा है वही एनजीटी के नियमो की सरेआम धज्जियाँ उड़ा रहा है नदी के बीच मे सड़क निर्माण कर पानी के भीतर से रेत का उत्खनन कर रहा है तो दूसरी तरफ लगातार मौत के कुएं नदी में खोद रहा है ऐसा ही मामला था सीतापुर खदान का जहाँ रेत माफ़ियाओं ने कुछ इसी तरह गढ्डा किया था और उन्ही गढ्ढों में तीन मासूमो की मौत हो गई थी और वही घटना दोबारा होने के इंतजार में जिला प्रशासन बैठा हुआ है दूसरी तरफ जिला खनिज विभाग ने किससे और कैसा सीमांकन कराया कि रेत ठेकेदार नदी के उस छोर तक रेत निकालनी शुरू कर दी जबकि नियमतः अगर सीमांकन हो जाये तो रेत ठेकेदार के द्वारा किये गए अवैध उत्खनन का मामला पंजीबद्ध करते हुए उत्खनन में लगी पोकलेन मशीन को।जप्त कर कार्यवाही सुनिश्चित करनी चाहिए, नदी के किनारे से कितने मीटर रेत ठेकेदार को खदान स्वीकृत है  कहीं नही दर्शाया गया और न ही चिन्हांकित किया गया नतीजतन रेत ठेकेदार  रेत माफिया की तर्ज पर नदी के इस किनारे से उस किनारे तक रेत का उत्खनन कर रहा है सूत्रों की माने तो रेत ठेकेदार ने जिला खनिज विभाग के जिम्मेदारों को मोटी रकम अवैध कार्य करने के लिये बतौर चढ़ोत्तरी दी है कमोवेश कुछ ऐसा ही हाल मौहरी खदान का है जहां खनिज विभाग के संरक्षण में तो नदी पर ही संकट के बादल गहरा गये है जिम्मेदारों का क्या है आज यहां नौकरी कल कही और पर अपनी तिजोरी भरने के लिए जिले की खनिज संपदा के साथ साथ यहां के भगौलिक स्थिति को भी माफ़ियाओं के यहां गिरवी रखने का काम कर रहे है समय रहते अगर जिला कलेक्टर आशीष वसिष्ट ने ध्यान नही दिया तो खनिज विभाग और रेत माफिया के गठबंध की वजह से जिले की भगौलिक स्थिति को तबाह और बर्बाद होने में वक्त नही लगेगा आखिर किस नियम और कानून के तहत मौहरी खदान में नदी के बीचों बीच सड़क निर्माण की स्वीकृत किसने और क्यों दी क्या आप यहां रेत ठेकेदार की नौकरी बजाने के लिए सरकारी खजाने से तनख्वा लेते है या फिर सोन नदी के अस्तित्व की कीमत ठेकेदार ने आप को चुकाई बहरहाल जो भी हो खनिज विभाग के नाक के नीचे ये सब हो रहा है और सब कुछ जानकारी होने के बावजूद भी अवैध कार्य पर रोक न लगा पाना ये साबित करता है कि इस रेत माफिया के सामने या तो सबने अपने आप को गिरवी रख दिया या फिर कोई सत्ता का दबाव है यह तो जिम्मेदार ही भली भांति बता सकते है