सीबीआई ने एक साल में खोला दिल्ली के 2 बड़े अस्पतालों का गड़बड़झाला
नई दिल्ली । राम मनोहर लोहिया और सफदरजंग अस्पताल, दिल्ली ही नहीं देश के दो बड़े नामी अस्पताल हैं। लेकिन कुछ लोगों की वजह से ये गलत कारणों की वजह से सुर्खियों में आ गए। इन दोनों अस्पतालों में रिश्वत लेकर मरीजों का इलाज किया जा रहा था। सीबीआई ने बुधवार को आरएमएल के 9 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया। वहीं पिछले साल सफदरजंग हॉस्पिटल के डॉ मनीष रावत गिरफ्तार किए गए थे। राम मनोहर लोहिया और सफदरजंग अस्पताल…ये दिल्ली के दो बड़े हॉस्पिटल हैं। मरीजों के परिजनों की आस हैं ये। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, अन्य प्रदेशों के मरीज भी यहां पर इलाज कराने आते हैं। लेकिन सीबीआई ने एक साल में इन दोनों अस्पतालों की सच्चाई सबके सामने रख दी है। देश के इन दोनों बड़े अस्पतालों में रिश्वत लेकर इलाज किया जा रहा था। आरोपियों में अस्पताल का कोई आम कर्मचारी नहीं, बल्कि डॉक्टर हैं। केंद्रीय जांच एजेंसी ने बुधवार को भ्रष्टाचार के मामले में आरएमएल में काम करने वाले 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें कुछ डॉक्टर्स भी हैं। इनपर मेडिकल इक्यूपमेंट्स सप्लाई करने वाली कंपनियों और दवा कंपनियों से पैसे लेने का आरोप है। अस्पताल में एडमिशन कराने के नाम पर, मेडिकल रेस्ट देने का सर्टिफिकेट देने के नाम पर और इलाज कराने के नाम कार पैसे की उगाही का धंधा चल रहा था। कैश के अलावा रिश्वत का पैसा यूपीआई से लिया जा रहा था। एक महिला की डिलीवरी कराने के लिए उसे पति से 20 हजार रिश्वत मांगी गई और नहीं देने पर डिलीवरी रोकने की धमकी दी गई। सीबीआई ने डॉक्टर्स, मेडिकल इक्यूपमेंट्स से जुड़े डीलर्स के यहां 15 ठिकानों पर रेड्स की। आरएमएल अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर को ढाई लाख रुपए की रिश्वत के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार किया, जिसने यूपीआई से पेमेंट रिसीव की थी। इनके अलावा रजनीश कुमार जो कि आरएमएल अस्पताल की कैथ लैब में सीनियर टेक्निकल इंचार्ज हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन और आपराधिक साजिश के तहत गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई को जानकारी मिली थी कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कई डॉक्टर्स और कर्मचारी करप्शन में शामिल हैं। ये अलग-अलग मॉड्यूल के जरिए करप्शन करते हैं। पिछले साल मार्च में सीबीआई ने सफदरजंग अस्पताल के एक न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष रावत को गिरफ्तार किया था। उनपर कथित तौर पर मरीजों को एक विशेष शॉप से अत्यधिक कीमतों पर सर्जिकल उपकरण खरीदने के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मामला दस्तावेजों की जांच के स्तर पर है। जांच पूरी होने के बाद आरोप तय करने पर बहस शुरू होगी अधिकारियों ने कहा कि अन्य आरोपियों के बैंक खाते में एक निजी व्यक्ति के माध्यम से डॉ. रावत के मरीजों से तीन अलग-अलग मामलों में 1,15,000, 55,000 और 30,000 रुपये की रिश्वत ली गई थी। अधिकारियों ने कहा, न्यूरोसर्जन के निर्देश पर ऐसा ही किया गया।