*कोविशील्ड टीके के दुष्प्रभाव* । *चैतन्य मिश्रा*

*कोविशील्ड टीके के दुष्प्रभाव* । *चैतन्य मिश्रा*
अनूपपुर । एस्ट्राजेनेका की कोविड वैक्सीन से साइड इफेक्ट को लेकर कई तरह की चिंताएं सामने आई हैं। कंपनी ने माना है कि कुछ मामलो में वैक्सीन के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। ब्रिटेन की एक अदालत में दवा कंपनी के खिलाफ 100 मिलियन पाउंड के क्लास एक्शन मुकदमे में यह स्वीकार किया कि टीका थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) का कारण बन सकता है।शायद इसी के चलते एस्ट्राजेनेका ने मार्केट से सभी वैक्सीन वापस मंगाने का फैसला लिया है , अब कंपनी ने वैश्विक स्तर पर अपनी सभी वैक्सीन वापस मंगा रही है। इसी वैक्सीन को भारत में हम कोविशील्ड के नाम से जानते हैं. एस्ट्राजेनेका ने इस वैक्सीन को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर तैयार किया था. वैक्सीन लेने के बाद मौत, ब्लड क्लॉटिंग और दूसरी गंभीर दिक्कतों के कारण एस्ट्राजेनेका कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है. कई परिवारों ने आरोप लगाया कि वैक्सीन के कारण गंभीर साइड इफेक्ट हुए हैं। भारत में कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर बवाल इसलिए मचा है कि यहां 80 फीसदी लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन ही लगाई गई है। भारत में उत्पादन के बाद भारत समेत दुनियाभर के और लोगों को भी कोविशील्ड वैक्सीन सप्लाई की गई। कोरोना महामारी से बचाने के लिए बनाई गई कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर हुए चौंकाने वाले खुलासे से देश-दुनिया के साथ भारत में भी बवाल मचा हुआ है। अब इस खुलासे में कितना दम है यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा। लेकिन इसको लेकर जो तरह-तरह की अफवाहों का दौर चल रहा है, जो कि खतरनाक है। ऐसा माना जा रहा है कि कोविशील्ड वैक्सीन लेने वालों को गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। यानी हार्ट अटैक से लेकर अन्य गंभीर बीमारी हो सकती है। सोशल मीडिया में तो यह भी चल रहा है कि कोविशील्ड वैक्सीन लेने चालों की अधिकतम आयु 10 वर्ष है। कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर देशभर में अलग तरह का माहौल बनाया जा रहा है। हालांकि कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी के साथ साथ विशेषज्ञ यह स्पष्ट कर चुके हैं साइड इफेक्ट्स डोज लेने के दो-चार महीने में हो सकता है। वह भी औसतन 1 लाख लोगों में से महज 6-7 लोगों में। ऐसे में इस वैक्सीन को लेकर किसी तरह का दुष्प्रचार नहीं खड़ा करना चाहिए।कोविशील्ड बनाने वाली ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन के कोर्ट में पहली बार वैक्सीन की खामी कबूल की है। कंपनी ने माना है कि वैक्सीन से थ्रॉन्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम जैसे खतरनाक गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। इससे शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं। प्लेटलेट्स तेजी से गिरने लगती हैं, जिससे ब्रेन स्ट्रोक या कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि बेहद दुर्लभ मामलों में ही ऐसे साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। इसलिए सभी लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। भारत में कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर बवाल इसलिए मचा है कि यहां 80 फीसदी लोगों को कोनिशील्ड वैक्सीन ही लगाई गई है। भारत में उत्पादन के बाद भारत समेत दुनिया भर के और लोगों को भी कोविशील्ड वैक्सीन सप्लाई की गई। देश में कोविशील्ड की 175 करोड़ से अधिक खुराकें दी गई हैं। भारत में यह मामला अब उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया है। याचिकाकर्ता ने कोविशील्ड टीके के किसी भी संभावित दुष्प्रभाव और जोखिम कारकों की जांच के लिए देखरेख में एक चिकित्सा विशेषज्ञ समिति गठित करने का अनुरोध किया गया। दरअसल, ब्रिटेन में वैक्सीन लगने के बाद मौत, ब्लड क्लॉटिंग और दूसरी गंभीर दिक्कतों के कारण एस्ट्राजेनेका को पीड़ित परिवारों ने कोर्ट में घसीटा है। जिसके बाद एस्ट्राजेनेका कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है। परिवारों का दावा है कि वैक्सीन के कारण ही उन्हें गंभीर साइड इफेक्ट हुए हैं। कंपनी के खिलाफ कोर्ट में 51 मामलों में मुकदमा चल रहा है। कोरोना महामारी के दौरान एस्ट्राजेनेका ने इस वैक्सीन के फॉर्मूले को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर तैयार किया था। वहीं बाद में भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन अदार पूनावाला के सीरम इंस्टीट्यूट ने किया था। इसी वैक्सीन को भारत में हम कोविशील्ड के नाम से जानते हैं। कोरोना महामारी के दौरान भारत में कोविशील्ड के साथ-साथ कोवैक्सीन भी लगी थी। लेकिन लोगों को कोविशील्ड की ही डोज ज्यादा दी गईं। उस समय ट्रेन, स्कूल, कॉलेज, दफ्तरों और अन्य कई स्थानों और सुविधाओं में वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट की मांग की जा रही थी। जिसके चलते उन लोगों को भी वैक्सीन लगवानी पड़ी, जो नहीं लगवाना चाहते थे। वहीं पिछले कई महीनों से हंसते-बैठते और नाचते व जिम करते हुए लोगों की मौतें रहस्य बनी हुई हैं। इन सभी की अचानक हार्ट अटैक से सांसें थम गईं। कोई अखबार पढ़ते हुए जमीन पर गिर पड़ा तो कोई नाचते और गाना गाते हुए, तो वहीं कोई सड़क चलते और कोई काम करते हुए खत्म हो गया। वहीं अब कंपनी के इस कबूलनामे के बाद अचानक हार्ट अटैक से हो रहीं मौतों को लेकर वैक्सीन पर संशय बढ़ रहा है। वैक्सीन को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है । कुछ विपक्षी दलों का सरकार पर आरोप है कि सरकार ने आनन-फानन में कोविशेल्ड को मंजूरी देकर देश के करोड़ों लोगों को मौत के मुंह में ढकेल दिया है। हालांकि विशेषज्ञ साफ कर चुके हैं कि जिन्होंने कोविशील्ड ले रखी है उन्हें किसी तरह का खतरा नहीं है।