मौहरी के नाम स्वीकृत खदान,छुलखारी की ओर नदी की बीच धार से हो रहा रेत का उत्खनन प्रदेश सरकार और एनजीटी के नियमादेशों का खुलेआम हो रहा उल्लंघन,अनूपपुर कलेक्टर अवैध कारोबार पर नकेल कसने में नाकामयाब ,,रिपोर्ट@राज नारायण द्विवेदी

मौहरी के नाम स्वीकृत खदान,छुलखारी की ओर नदी की बीच धार से हो रहा रेत का उत्खनन
प्रदेश सरकार और एनजीटी के नियमादेशों का खुलेआम हो रहा उल्लंघन,अनूपपुर कलेक्टर अवैध कारोबार पर कब लगायेंगे रोक
रेत खदानों के समूह का ठेका लेने वाली कंपनी
एशोसीएट कामर्स द्वारा मौहरी के नाम सोन नदी पर स्वीकृत रेत खदान से उत्खनन न करते हुये सुलखारी गांव की तरफ पोकलेन मशीन सोन नदी की बीच धार में लगाकर रेत का उत्खनन किया जा रहा है। प्रशासन की नजरों में यह भले ही वैध उत्खनन है पर कारोबार से जुड़े सूत्रों की माने तो एशोसीएट कामर्स द्वारा यहां पूरी तरह से अवैध उत्खनन किया जा रहा है। क्योंकि उसके कर्ताधर्ताओं को मालूम है कि कोई कुछ भी कहे लेकिन कार्यवाही तो होनी नहीं है बरहाल बुधवार 15 मई को हमारी टीम ने जब पड़ताल की तो नदी के बीचोबीच पहुंचने के लिए बनाये गये रैंप पर खड़े हुए ट्रकों में पानी के अंदर से रेत लोड कर रेत का परिवहन किया जा रहा था,यहां रैंप बनाने के लिए नदी में पानी के बहाव को भी मोड़ा गया है। नदी के बीच में से रेत निकालने से इसके इकोसिस्टम पर असर पड़ने के साथ ही जलीय जीव जंतुओं को भी नुकसान पहुंच रहा है। पर जिम्मेदारों के लिए सब जायज है तो इसके लिए कुछ नहीं कहा जा सकता।
अनूपपुर
मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में सरकार और एनजीटी के नियमों का उल्लंघन कर सोन नदी से रेत का अवैध खनन किया जा रहा है। नदी के बीचों-बीच धार में पोकलेन मशीन लगाकर रेत निकाली जा रही है। हमारी टीम के पास इसके सबूत मौजूद हैं,लेकिन जिम्मेदार इससे इनकार करते हैं। खनिज अधिकारी ने तो मौन धारण कर लिया है। जिला प्रशासन शायद किसी हादसे के बाद जागे इसके पहले तो अवैध होता दिखाई देने के बाद अब तक कार्यवाही नहीं की गई जबकि पड़ोसी जिले शहडोल उमरिया की बात करें वहां प्रशासन के द्वारा अवैध खनन का प्रकरण बनाया गया। जिले में कोतमा तहसील के चंगेरी व अनूपपुर तहसील के मानपुर एवं मौहरी में बगैर सीमांकन के रेत खदानों के समूह का ठेका लेने वाली कंपनी एशोसीएट कामर्स कई दिनों तक उत्खनन का कार्य किया गया लेकिन प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगी,मीडिया में लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद आनन-फानन में खनिज विभाग व राजस्व की टीम के द्वारा अड़ा-तिरछा सीमांकन किया गया जिसे दूसरे ही दिन कंपनी के कर्ताधर्ताओं के द्वारा अपने अनुसार चिन्हित कर नदी की बीच धार से रेत का उत्खनन किया जा रहा है।
नदी के बीच में पोकलेन मशीन
जिले में सोन नदी के मौहरी-सुलखारी में नदी के बीच पोकलेन मशीन लगाकर नियम विरुद्ध तरीके से रेत निकाली जा रही है। रेत की खातिर पोकलेन मशीन से बेदर्दी से सोन नदी का सीना चीरा जा रहा है। जिससे रेत खदानों के समूह का ठेका लेने वाली कंपनी एशोसीएट कामर्स द्वारा नदी का प्राकृतिक स्वरूप बिगाड़ते हुए पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है यह कहा जाए तो कोई अतिसंयोक्ति नहीं होगी। यहां रेत का ठेका लेने वाली कम्पनी के साथ कई खननकर्ता शामिल हैं। जिन्हें जिले के कई नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। शायद यही वजह है कि जिला प्रशासन रेत कंपनी के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।
ठेंगे पर रखे गए एनजीटी के नियम कायदे
मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में नदियों से रेत के उत्खनन में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिसकी कुछ ही दिनों में एक नही कई तस्वीर समाने आई है,जहां पहले तो बड़ी-बड़ी मशीनों से नदी के बीचो-बीच रेत की रोड बनाई गई। फिर मजदूर लगाकर जंगलों से झाड़ियां काटकर रेतनुमा सड़क पर उसे बिछाया गया। और नदी के बीच नियम का उल्लंघन कर रैंप बनाकर उसमें पोकलेन मशीन खड़ी कर नदी में बहती पानी की धार से रेत का खनन किया जा रहा है। इस तरह यहां रेत खनन का खेल जारी है, जिससे न सिर्फ मानव जीवन प्रभावित हो रहा बल्कि इससे जलीय जीवों पर संकट खड़ा हो रहा है।
अनुमति से कहीं अधिक गहराई तक उत्खनन
रेत खदानों में सतह से 3 मीटर की गहराई अथवा जल स्तर तक इनमें से जो भी कम हो, खनन की अनुमति है। यानी अधिकतम 3 मीटर की गहराई तक ही खनन किया जा सकता है,लेकिन जिले में सोन नदी पर स्थित मौहरी-छुलखारी में बीच में बड़े- बड़े गड्ढे करके रेत का उत्खनन किया जा रहा है। जो कि अनुमति से कहीं अधिक है यह सब कुछ जिम्मेदारों को क्यों दिखाई नहीं दे रहा है यह समझ के परे है, या फिर यह कहा जाए की जिम्मेदारों ने ही खुले तौर पर कंपनी के कर्ताधर्ताओं को जैसा चाहे वैसा करने की अपनी स्वीकृति दी हुई है तो अतिसंयोक्ति नही होनी चाहिए, अन्यथा अब तक इसके विरुद्ध जिम्मेदार कार्यवाही की कलम चला चुके होते।
जहां मर्जी वहां बना लेते सीमा
बुधवार 15 मई को हमारी टीम ने जब सोन नदी पर स्थित मौहरी-छुलखारी रेत खदान की पड़ताल की तो खनिज विभाग व राजस्व हमले की टीम के द्वारा बीते सप्ताह निर्धारित की गई सीमा या किए गए सीमांकन से दूर लकड़ी में विभिन्न रंगों के झंडे लगाकर अलग ही सीमा निर्धारित करते हुए कंपनी के कर्ताधर्ताओं के द्वारा रेत के उत्खनन का कार्य नदी की बीच धार में पोकलेन मशीन लगाकर कराया जा रहा था, कुल मिलाकर जिले में 24 अप्रैल 2024 से 24 अप्रैल 2027 तक रेत खदानों के समूह का ठेका लेने वाली कंपनी एशोसीएट कामर्स द्वारा समय-समय पर रेत उत्खनन के लिए मनमर्जी अनुसार नदी में सीमा का निर्धारण किया जाता रहेगा।
एक तरफ जिले में अवैध उत्खनन जहां चरम पर है वही कलेक्टर आशीष वशिष्ट की कार्यप्रणाली भी अब समझ के परे है आखिर कलेक्टर की क्या जिम्मेदारी है कि सभी विभागों से काम सही तरीके से करायें पर इसके इतर जिले में अवैध उत्खनन चरम सीमा को लांघ चुका है और कलेक्टर गुटटीपर बैगा गांव का भ्रमण कर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री करते दिखाई दे रहे है अब तो रेत माफिया यह भी कहते सुनाई दे रहे है कि साहब का कहना है छपने दीजिये खदान तो चलेगी अरे साहब हम कहाँ कह रहे है कि नही चले पर वैध तरीके से चले जो न तो शायद आपकी मंशा है और न आपके अधीनस्थों की