पुष्पराजगढ़ का शिविरिचन्दास चढ़ा माफ़ियाओं की भेँट, मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये भू अधिकार पट्टे के नाम पर मूल खसरा नंबर 280 जो शासकीय था अवैध माले तैयार,बची सरकारी जमीन पर हो रहा लगातार कब्जा 
अनूपपुर - कहते है या तो प्रशासन निरंकुश हो जाये या माफ़ियाओं से गठबंधन हो जाये फिर चाहे आप जितने बड़े भृष्टाचार को अंजाम दे लो कोई देखने सुनने वाला नही है ऐसा ही मामला पुष्पराजगढ़ तहसील अन्तर्गत शिविरिचन्दास का है जहां कभी खसरा नंबर 280 शासकीय भूमि गैर हकदार पतालू गोंड दर्ज थी और बाकायदा इस 33 एकड़ 45 डिसमिल जमीन पर कभी पहाड़ दिखाई देता था पर भू माफ़ियाओं की नजर कुछ इस कदर पड़ी की खसरा नंबर 280 के कई तुकडे हो गए और जो जमीन 1974-75 में खसरा नंबर 280/1 मध्यप्रदेश शासन हुआ करती थी आज वह जमीन 280/1,280/2,280/3,280/4,280/5,280/6,280/7 साथ ही 280/5 जिसमे करिया अहीर के बच्चों को 33-33 डिसमिल का बाकायदा भूमि अधिकार पट्टा दिया गया पर इस यादव का परिवार जहां रहता है वो जमीन का खसरा नंबर कुछ और है और रोड के किनारे मेन रोड पर करोड़ों की भूमि महज चंद रुपयों में कौड़ियों के दाम पर कुछ लोगों ने खरीद ली और राजस्व विभाग पुष्पराजगढ़ या तो सोता रहा या फिर स्वयं इस घोटाले में पैसे के कर जमीन बिक्री में अहम योगदान किया आब आ जाये 280/5/1/1/1/2/3(S) 0.0168 हेक्टेयर विजय कुमार पिता छोटेलाल,280/5/1/1/1/2/2(s) विजय कुमार पिता छोटेलाल 0.0042 हेक्टेयर भूमि क्रय की,उमाशंकर जायसवाल पिता नंदकिशोर 280/5/1/1/1/2/1/2(S) 0.0042 हेक्टेयर खरीदी,उमाशंकर जायसवाल पिता नंदकिशोर 280/5/1/1/1/2/1/1(s) 0.0168 हेक्टेयर ,कुसुम पांडेय पति अच्छेलाल पांडेय 280/5/1/3(s)0.0200 हेक्टेयर,सुभाष द्विवेद पिता रामदुलारे  280/5/1/2(s) 0.0200 हेक्टेयर, शिरीष कुमार पिता बाबूलाल जयसवाल 280/5/1/1/2(s) 0.0120 हेक्टेयर,धर्मेंद्र पिता चंद्रिका  280/5/1/1/1/1/2/2(s) 0.0080 हेक्टेयर,धर्मेंद्र पिता चन्द्रिका प्रसाद 280/5/1/1/1/1/2/1(s) 0.0120 हेक्टेयर ,प्रिंस कुमार जायसवाल पिता बाबूलाल जायसवाल 280/5/1/1/1/1/1/2(s) 0.0160 हेक्टेयर ,ये सभी जमीन विस्थापन की थी जो आज बिक गई और इसमें सबसे ज्यादा योगदान यादव परिवार के राजू पिता करिया अहीर का है जिसे लोगों ने बहला फुसला कर राजस्व के अधिकारियों के साथ मिल कर इस जमीन को कैसे  बिकवा दिया समझ से परे है और भी कई लोग है जो स पूरे घोटाले में शामिल है और सबसे बड़ी चौकाने वाली जो बात सामने आई कि जब इस जमीन का मूल खसरा नंबर 280  पूरी जमीन शासकीय थी तो आखिर किसी को भी कैसे बिकी ,खसरा नंबर 280 के कई बटांको में कई धन्नासेठों ने इसी तरह अपनी रजिस्ट्री करवा कर आज कई मंजिलों के हवेलिया तान रखी है,खरीदारों ने पहले तो जुगाड़ लगा कर सरकारी जमीन की रजिस्ट्री करवाई उसके बाद बची कुची जमीन जो आज भी शासन की है उस पर लगातार कब्जा किये जा रहे है,एक तरफ अनूपपुर कलेक्टर विस्थापन की जमीन मामले में गंभीर दिखाई देते है और हाल ही में कई विस्थापन के जमीन मामले में कार्यवाही करते हुए मध्यप्रदेश शासन की है फिर आखिर शिविरिचन्दास कलेक्टर की नजरों से कैसे बचा हुआ है आखिर खसरा नंबर 280 जो 1954-55 में था और यहां सरई के पेड़ों की मौजूदगी थी और 1974-75में 280/1 जो कि 10.704 हेक्टेयर जमीन मध्यप्रदेश शासन थी उसको कभी मुक्त करा पायेंगे चूंकि ध्यान रखने योग्य बात आज है कि बांकी के खसरा नंबर 280 खसरा के बटांक है फिर जमीन कैसे बिकती रही अब यह कलेक्टर अनूपपुर को देखना है चूंकि राजस्व विभाग ने अपनी जिम्मेदारी दिखाते हुए विस्थापन की जमीनों को बिकवाने में कोई कोर कसर नही छोड़ी फिर राजस्व विभाग से उम्मीद करना बेमानी ही साबित होगा