शिक्षक ही शिक्षक का सम्मान कर रहा है करना चहिए था समाज को 

* समय बदलने पर शिक्षक ही शिक्षक का सम्मान कर रहा है
*  जबकि समाज को शिक्षक का सम्मान करना चाहिए था 
* कार्यक्रम अशोकनगर जिले के मुंगावली सरस्वती शिशु मंदिर में हुआ 
* महान शिक्षक रहें ड्रा सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया 


अशोकनगर :-  कहते है कि बच्चों के माता-पिता ही उनके प्रथम गुरु होते हैं और इसी परिकल्पना को शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को सम्मानित करने के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में सेवा देखकर सेवानिवृत हुए शासकीय कर्मचारी एवं कई अन्य कर्मचारियों को सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय शिक्षक दिवस पर सम्मानित कर  मनाया गया।
  सरस्वती शिशु मंदिर में शिक्षक दिवस का आयोजन भव्य और गरिमामय तरीके से मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्यों, मौजूदा प्रधानाचार्य और समस्त आचार्य बंधु/आचार्या बहनों को विद्यालय प्रबंधन द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मां शारदे के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित कर और दीप प्रज्वलन से हुई। 

*शिक्षको का सम्मान अब केवल शिक्षक ही कर रहे है*

शिक्षक दिवस इसलिए मनाया जाता है  केबल शिक्षकों का सम्मान बो लोग करे जो पूरे समाज के लिए शिक्षा देते हैं  विद्यालय आना आवश्यक नहीं है समाज में रहकर भी शिक्षक लगातार समाज को बच्चों के लिए बूढ़ों के लिए शिक्षा देते रहते है जो व्यक्ति को जो सिखाए मार्गदशन्न दे दिशा बताए वही शिक्षक कहलाता है, तो ऐसे शिक्षकों को समाज द्वारा सम्मान देकर सम्मानित किया जाना चाहिए बच्चें जिन गुरुओं से सीखते हैं, अपनी कृतज्ञता अपना आभार व्यक्त करने के लिए आज का दिन ड्रा सर्व पल्ली श्री राधा कृष्णन जी ने समर्पित किया है।और आज यह विसंगतियां हो गई है  कि शिक्षक ही शिक्षक को सम्मान कर रहा है अपेक्षा तो की समाज शिक्षक को सम्मानित करें यही अपेक्षा राष्ट्रपति ने उसे भी की थी लेकिन समय बदला शिक्षक बदले समाज भी बदला कुछ गलतियां शिक्षको ने भी रखी हैं कुछ समाज ने बदली आज यह स्तिथि देख रहे हैं हमने देश का विकास बहुत हुआ है लेकिन नैतिकता का पतन बहुत हुआ है । हालांकि इस चीज का हमको बच्चों को शिक्षकों को सबको ध्यान रखना चाहिए कि राष्ट्रपति जी का सपनो को तोड़े नही साकार करते रहें