रद्दी के कागजों को दो रूपये प्रति पेज बेंच जनअभियान परिषद ने वसूले 10 हजार,आरटीआई से मांगी जानकारी तो अखबारों व खींची फोटो की मिली छायाचित्र असल जानकारी नदारद,इनके भृष्टाचारो की पोल परत दर परत जरूर पढ़े

 पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की परिकल्पना से उतरकर उनके कार्यकाल में धरातल तक आई जनअभियान परिषद का अनूपपुर कार्यालय जिला समन्वयक अधिकारी उमेश पांडे के वनमेंन शो बनकर रह गया है जहां खरीदी, कार्यक्रम, डीजल, पेट्रोल, नास्ता, टेबल, कुर्सी जैसी सभी चीजें अनियमितता का शिकार बनी दिखाई पड़ती हैं इतना ही नही जब सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई तब अखबारों में छपी खबरों के प्रतियों को देकर इस नियम का माखौल उड़ाने से भी गुरहेज नही किया गया।

*अनूपपुर।* जनअभियान परिषद की स्थापना जिन स्वपनों को संजोकर किया गया था वे अब तक कोसों दूर बने हुये हैं उसकी जगह खानापूर्ती कर सरकारी खजानें को खाली करने का उपक्रम पुरजोर तरीके से चल रहा है जिसके वनमेंन शो वाले अधिकारी उमेश पांडे बने दिखाई देते हैं वैसे तो कागजों में सारे काम व्यवस्थित तौर पर किये जा रहे हैं किन्तु दस्तावेजों के नाम पर ऐसे कागजी बिलों का भण्डार लगाकर रखा गया है जिनकी बारीकी से जांच करने पर फर्जीवाड़े की बू आने लगती है, सूचना के अधिकार के तहत जब उक्त विभाग से जानकारी मांगी गई तब पत्राचार कर 13 हजार 776 रूपये जमा किये जाने पर जानकारी देने की बात कही गई इधर आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा जब राशि जमा करा दी गई तब अखबारों में छपी खबरों के साथ खींची/खिंचवाई गई फोटों की छायाप्रति के बंडल कुछ आधी-अधूरी जानकारी के साथ दिया गया लेकिन इन अधूरी जानकारियों में भी भारी गड़बड़ी वाली बातें सामने आ रही हैं।

*तारीख एक बिल अनेक*
सूचना के अधिकार के तहत मिली आधी अधूरी जानकारी को जब गंभीरता से खंगाला गया तब कई अनियमितताओं के साथ जो बात सामने आई है वह कई बिलों में एक ही दिनांक का होना दिख रहा है, इन बिलों में लिखी गई सामाग्रियां भी एक हैं लेकिन प्रतिष्ठान अलग-अलग दिख रहे हैं और लगभग सभी जगह कार्यक्रम व्यय दर्शाया गया है। सर्वाधिक बिल जो अब तक सामने आये हैं वे प्राय: बड़े कार्यक्रमों वाले रहे हैं जिनमें से एक विवेकानंद जयंती उत्सव कार्यक्रम है जिसे जनअभियान परिषद अपने बैनर तले मनाने की बातें किये गये खर्चे के हिसाब से बता रहा है।

*7 हजार 500 एकमुस्त निकासी*

जन अभियान परिषद के प्रस्फुटन समिति को सरकार छ: माह के संचालन एवं गतिविधियों में न्यूनतम खर्च हेतु 7 हजार 500 रूपये प्रदान करती है जिसको दरी, कुर्सी, टेबल, स्टेशनरी, यातायात आदि में खर्च करना होता है जाहिर है ऐसे खर्चे एकमुस्त नही किये जा सकते लेकिन लगभग सभी समितियों ने एक मुस्त ही राशि का लगातार आहरण किया है जो स्वत: करप्सन की ओर इशारा करती है ज्ञात हो कि जिले के सभी ग्राम पंचायतों में प्रस्फुटन की समिति कागजों में संचालित हैं इतना ही नही इन्ही समितियों में से किन्ही 5 समितियों को विकासखंड स्तर पर नवांकुर योजना से जोड़ा जाता है जिन्हे प्रति छ: माह में 50 हजार रूपये उपयुक्त गतिविधियों पर खर्च के लिये दिया जाता है यह राशि भी प्राय: एकमुस्त ही निकाशी होना बताती है। 

*बिना नंबर की गाड़ी भुगतान हुआ हजारी*
जो जानकारी सूचना के अधिकार से प्राप्त हुई है उसमें एक बिल राजकुमार सिंह ग्राम धिरौल का मिला है जिसमें 30 हजार 732 रूपये भुगतान होना दिखाया गया है किन्तु यह बिल किस वजह से दिया गया है इसका स्पष्ट उल्लेख नही है प्रथम दृष्टया देखने पर बिल किसी टे्रवल एंजेंसी का प्रतीत होता है साथ ही विवरण में डीजल व किलोमीटर भी लिखा गया है किन्तु वाहन क्रमांक के साथ टे्रवलिंग कंपनी का रजिस्ट्रेशन व बिल में जीएसटी एवं टिन में से किसी भी के नंबर का न होना भ्रष्टाचार की ओर ईशारा कर रहा है साथ ही जिन बिलों में वाहन नंबर डाले गये हैं उन नंबरों के वाहनों का पता परिवहन विभाग को नही है। 

*चाय, समोसा, मोबाईल रिचार्ज में भी झोल*

जनअभियान परिषद द्वारा दिये गये कागजातों के माध्यम से बताया गया है कि उनके द्वारा लगातार कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं जिसमें चाय नास्ता की व्यवस्था की जाती है साथ ही चुनिंदा व तय किये गये मोबाईल नंबरों को भी रिचार्ज कराया जाता है नियमत: यह बात सही दिखाती है किन्तु उन स्थानों से भी चाय नास्ता हजारों का खरीदा गया है जहां पर ऐसी कोई दुकान बिल दिनांक पर संचालित ही नही है वहीं ऐसे भी नंबर रिचार्ज किये गये हैं जो सूचीबद्ध के दायरे से बाहर हैं।