कार्यालय कलेक्टर जनजातीय कार्य विभाग अनूपपुर की डबल बेंच ने पाया अपराध सिद्ध,कार्यवाही के नाम पर बिके जिम्मेदार,आखिर कब होगी साबित भृष्टाचार की राशि वसूल - विजय उरमलिया की कलम से

जनजातीय कार्य विभाग के जिम्मेदारों ने पैसे ले कर सतनु राठौर को दिया अभयदान - सूत्र ,कार्यवाही के नाम पर स्कूल अटैच हुआ लाखों का गबन कर्ता
अनूपपुर - कलेक्टर कार्यालय जनजातीय कार्य विभाग के जिम्मेदारों ने आदिवासी बच्चों के हितों में डांका डालने वाले को खुद की जाँच में अपराध साबित पाए जाने के बावजूद कार्यवाही के नाम पर उसी स्कूल में छात्रावास अधीक्षक से हटाते हुए अटैच किया गया जबकि उसी स्कूल के बच्चों ने मीडिया से अपनी आपबीती सुनाई थी जिसके चलते विभाग ने खुद जाँच की और आरोप सही पाये गये थे
क्या है मामला
दरसल चोलना सीनियर आदिवासी बालक छात्रावास में रहे अधीक्षक सतनु राठौर पर बच्चो के सही खाना न देने ,खेल सामग्री न उपलब्ध कराये जाने,उपस्थति छात्रों से अधिक अनुपस्थति छात्रों की संख्या बता कर पैसों का आहरण करना जैसी कई अनियमितता की जानकारी जनजातीय कार्य विभाग के कार्यालय को प्राप्त हुई थी जिसमे इस विभाग के द्वारा दो बेंचिय जाँच जिसमे दिनांक 19.12.2023 को एस के बाजपेयी क्षेत्र संयोजक ,जनजातीय कार्य विभाग अनूपपुर एवं सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग अनूपपुर द्वारा संयुक्त रूप से आदिवासी बालक छात्रावास चोलना का निरीक्षण किया जिसमे छात्रावास में 50 छात्र ऑनबोर्ड पाए गये किन्तु निरीक्षण के दौरान 18 छात्र ही उपस्थिति थे खुद विभाग के जिम्मेदारों ने जाँच प्रतिवेदन में यह बात लिखी और यह खेल कोई एक दिन का नहीं था रोजाना इस छात्रावास का कुछ यही हाल था और जाँच के दौरान खाने के साथ साथ छात्रावास में कई अनियमितताएं पाई गई सूत्रों की माने तो इस अधीक्षक के द्वारा लगातर कई सालों से भृष्टाचार को अंजाम दिया जारहा था यहाँ तक की छात्र कमलेश एवं बीरेंद्र जो कैशा 10 के छात्र थे और इनके नाम बाकायदा जुलाई 2014 में काटे गए थे इसके बावजूद दोनों छात्रों के माह अक्टूबर 2014 तक शिष्यवृति का आहरण वितरण किया जाता रहा और ऐसे लगातार कई बच्चों की शिष्यवृति कहीं किसी और खाते में स्थांतरित होती रही अब सवाल यह उठता है की जब जनजातीय कार्य विभाग की डबल बेंच ने अपराध सिद्ध पाया और सतनु राठौर के गुनाहो की फेहरिस्त इतनी ही नहीं है हम आगे भी बताएँगे किस किस तरह से बच्चों के शिष्यवृति,और पेट में डांका सतनु डालता रहा और जनजातीय कार्य विभाग की डबल बेंच ने जाँच में दोषी पाए जाने के बावजूद उसी स्कूल में अटैच करते हुए सतनु की कार्यवाही को पूर्णविराम लगा दिया जबकि सूत्रों की माने तो जनजातीय कार्य विभाग की डबल बेंच जो जांच करने पहुंची थी भारी आर्थिक अनियमितताओं के साथ साथ आदिवासी सीनियर बालक छात्रावास के बच्चों के साथ खान पान रहन सहन,में भी भारी अनियमिताएं पाई गई थी जिसमे एक तरफ बाकायदा इस पूरे मामले में थाने में मामला पंजीबद्ध कराते हुए विभागीय कार्यवाही बनती थी पर हमारे सूत्र बताते है कि इस खेल में भी सतनु राठौर से एक मोटी रकम वसूल कर कार्यवाही के नाम पर स्कूल अटैच कर खाना पूर्ति की गई