तीन सचिवों को निलंबन करना जिला पंचायत को पड़ा महंगा,सचिव हुए लामबंद,भृष्टाचार की चाहते है खुली छूट,कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, सीईओ ने नही दी सहमति - विजय उरमलिया की कलम से
अनूपपुर - जिला प्रशासन के लिए भृष्टाचार पर जीरो टॉलरेंश की नीति अब महंगी पड़ती दिख रही है एक तरफ जिला पंचायत के सीईओ तन्मय वशिष्ट के द्वारा विगत दिनों धिरौल के सचिव शिशुपाल सिंह को निलंबन का आदेश चंद दिनों में ही वापस लेना पड़ा था और अब एक बार फिर जब कल तीन सचिवों को आदेश के उलंघन मामले में जिला पंचायत के द्वारा निलंबित किया गया जिसके बाद सचिव संगठन ने आज सीईओ के खिलाफ ही लामबंद हो कर निलंबन वापस लेने का दवाब बनाना शुरू कर दिया पहले कलेक्टर को ज्ञापन दे कर दबाव बनाने का प्रयास किया गया जिला पंचायत सीईओ पर उसके बाद सचिव संगठन के कर्ता धर्ता सीईओ को अपना ज्ञापन देने पहुंचे थे पर सीईओ ने ज्ञापन लेने से मना करते हुए फटकार लगाई और बताया कि उन्हें सब कुछ पता है और जिला पंचायत सीईओ का यह निर्णय यह बताता है कि वाकई में पंचायती राज में ऐसे अधिकारी की आवश्यकता कितनी जरूरी है,जहां तक इस पूरे निलंबन मामले में व्यक्तिगत तौर पर जो हमे जानकारी है उसमें रामपुर खाडा में पदस्थ रहे तत्कालीन सचिव वृंदावन कोल वर्तमान ओढेरा में पदस्थ अपने आप मे भृष्टाचार की इबारत लिखने में माहिर माना जाता है और जिस मामले में निलंबित किया गया उस मामले में पसला निवासी प्रभा मसीह के द्वारा शिकायत सीएम हेल्प लाइन में 735 दिन पहले दर्ज कराई गई थी जहां उनके पति सोनू मसीह के द्वारा खाडा पंचायत में सामग्री सप्लाई की गई थी और उसी दरमियान सोनू मसीह को परलेससी अटैक आया और वो पूरी तरह चलने फिरने में अक्षम हो गये और उनके परिवार में उनके अलावा कोई नही जो परिवार का भरण पोषण कर सके उनकी पत्नी लगातार वृंदावन कोल तत्कालीन सचिव खाडा से मिन्नते करती रही कि उनका बकाया भुगतान तीन लाख रुपये कराया जाये पर सचिव आज दिनांक तक भुगतान नही किया नतीजतन शिकायत कर्ता राशि के अभाव में अपने पति सोनू मसीह के इलाज तक नही करा सकी जिसके चलते आज भी पायरलेसिस अटैक से पीड़ित सोनू मसीह को इलाज की दरकार है एक तरफ इलाज का अभाव तो है ही दूसरी तरफ दो बेटियों की जिम्मेदारी भी उनकी पत्नी प्रभा मसीह के कंधों पर है ऐसे में जब सचिव ने भुगतान करना मुनासिब नही समझा तो हार कर पीड़िता ने सीएम हेल्प लाइन में शिकायत दर्ज कराई थी जिसकी सुनवाई 735 दिनों बाद जिला पंचायत के सीईओ तन्मय वसिष्ट की उपस्थित में सचिव और पीड़िता को सामने बुला कर सुनवाई की गई जिसमें सभी तथ्य सचिव के खिलाफ पाये गये और सीईओ के द्वारा दिनांक 20,11,2024 तक शिकायत का निराकरण कर शिकायत बंद करने के निर्देश दिए गये थे किंतु वृंदावन कोल वर्तमान सचिव ओढेरा के द्वारा सीईओ के आदेश को दरकिनार करते हुए न तो पीड़िता को बकाया भुगतान किया गया और न ही लंबित शिकायत बंद हुई जिसके चलते जिला पंचायत के सीईओ ने सचिव वृंदावन कोल सहित अन्य मामलों में दो और सचिवों समेत कुल तीन सचिवों को निलंबित किया गया था इस कार्यवाही से नाराज सचिव संगठन ने आज निलंबन वापस लेने हेतु एकत्र हो कर ज्ञापन सौंप निलंबन वापस लेने की मांग की जिससे यह तो साफ हो जाता है कि अब भृष्टाचार या कार्य मे लापरवाही करने वालो की खिलाफ कार्यवाही पर प्रशासन को संगठनों एवं राजनैतिक दबाव से दो चार होना पड़ेगा तो वही आज के इस ज्ञापन से यह भी साफ हो गया कि सचिव संगठन ऐसे सचिवों की लड़ाई लड़ रहा है जो वाकई में कार्यवाही योग्य थे चूंकि संगठन ने सचिव का पक्ष तो जानना मुनासिब समझा पर पीडत पक्ष का सुनना या जानना लाजमी नही समझा