भाजपा मे संगठन पर्व की रायशुमारी महज आडंबर,शीर्ष नेतृत्व को चिंतन और चिंता करने  की जरुरत

अनूपपुर / संगठन पर्व में रायशुमारी महज एक प्रक्रिया है। इसका जमीनी, विचारधारा और निष्ठावान  कार्यकर्ताओं की मंशा , उनकी इच्छाओं और उनके सम्मान से कोई लेना देना नहीं है। भारतीय जनता पार्टी हमेशा कार्यकर्ता आधारित पार्टी रही है। टिकट वितरण की तरह मंडल और जिलाध्यक्ष निर्वाचन के लिये रायशुमारी केवल खुश करने की एक प्रक्रिया मात्र है। इससे जुड़े आम कार्यकर्ताओं के कुछ सवाल हैं । 
जैसे ---
1. दशकों से प्रत्येक निर्वाचन और उसके बाद पूरे साल , 52 सप्ताह तमाम कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं को झोंकने वाली पार्टी की राज्य और केन्द्र इकाई के पास एक - एक कार्यकर्ता
       का पूरा कार्य ,व्यवहार, आचरण का डिटेल होता है। उनकी वरिष्ठता, अनुशासन से जुडे मामलों का भी। दायित्व और टिकट वितरण में फिर इतनी मारामारी क्यों ?
2. मध्यप्रदेश में कभी उम्र को लेकर तो कभी अलग - अलग बिन्दुओं को लेकर संगठन के भीतर नियम बनाए जाते हैं। ऐसे नियम सभी लोगों पर लागू नहीं होते।
3. जिलाध्यक्ष निर्वाचन की रायशुमारी के पूर्व इसमें शामिल होने वाले लोगों के चयन में जमकर जातिवाद और पट्ठावाद चलाया गया। वर्षो पुराने कार्यकर्ता और पूर्व पदाधिकारियो को इससे बाहर रखा गया।
4. मंडल अध्यक्ष के चयन में कार्यकर्ताओं की जगह मंत्री, सांसद, विधायकों की पसंद को तवज्जो दी गयी। यह परिपाटी वर्षों से होने के कारण भारतीय जनता पार्टी जिला, राज्य स्तर पर अन्य दलों के दोष से युक्त और गुटबाजी का शिकार हो कर रह गयी है।
5. लगभग हर चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के विरुद्ध कार्य करने वाले, अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लडने वाले दागी, बागी,गद्दार और आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग टिकट और संगठन चुनाव में जमकर दावेदारी करते हैं। आरोप लगाए गये है कि ऐसे लोगों को वरिष्ठ नेताओं से ही प्रश्रय मिलता है । क्योंकि अनुशासन समिति किसी के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही नहीं करती।
6. प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि टिकट और जिलाध्यक्ष के लिये दिल्ली, भोपाल की परिक्रमा ना करें। इसके बावजूद वहाँ ठेकेदार,सप्लायर, सेठ टाईप दावेदारों को सूटकेस लेकर होटलों में हफ्तों से टिके होने और नेताओं से संपर्क साधते देखा जा रहा है।
7. मंडल अध्यक्ष के लिये 35-45 और जिलाध्यक्ष के लिये 45-60 के नियमों की जमकर धज्जियां उडाई गयीं। इसे प्रेक्षक ,निर्वाचन अधिकारी और जिला संगान पदा़धिकारियों की असफलता क्यों नहीं माना जाना चाहिए ।
8. भारतीय जनता पार्टी विश्व की एकमात्र विचारधारा आधारित, बूथ लेवल की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी है। लगातार सत्ता में होने के कारण संगठन और सत्ता में समन्वय की जगह बहुत से जिलों में संगठन मंत्रियों , विधायकों की शरणागत् है। यह स्थिति जमीनी कार्यकर्ताओं और संगठन के लिये असहज है। समय रहते पार्टी के कर्ता - धर्ताओं को विचार करना होगा।