इंदौर,मालवा क्षेत्र के भक्तों द्वारा नर्मदा तट पर नवरात्रि पूर्व अपने ईष्ट देवी देवताओं की पूजा,अर्चना,जप तप,साधना में है लीन,,संवाददाता / श्रवण उपाध्याय अमरकंटक

इंदौर,मालवा क्षेत्र के भक्तों द्वारा नर्मदा तट पर नवरात्रि पूर्व अपने ईष्ट देवी देवताओं की पूजा,अर्चना,जप तप,साधना में है लीन
अमरकंटक । मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक के पावन सलिला माँ नर्मदा नदी के तट रामघाट पर इन दिनों मध्य प्रदेश के मालवा अंचल के भक्त , इंदौर क्षेत्र के श्रद्धालु पुरुष - महिलाएं अपने ईष्ट आराध्य कुल देवी देवताओं की पूजन अर्चना , आराधना , जप-तप , साधना हेतु प्रत्येक दिन सैकड़ों की संख्या में यहां भक्त पहुंच रहे हैं । यह क्रम शायं से शुरू होकर देर रात एवं सुबह सूर्यादय तक अनवरत चलता रहता है । महिलाएं एवं पुरुष रतजगा कर पूजन , आरती , मांन मनौती करती हैं । परंपरागत ढोल नगाड़ा वाद्य यंत्रों के धुन में आरती पूजन झूमते गाते नाचते तप साधना में भक्त लीन रहते हैं । इंदौर पास के गांव से लगभग 80/85 लोगों का एक दल इस हेतु आया उन्होंने बताया कि हम लोग शारदीय एवं चैत्र नवरात्रि में नर्मदा तट में अपने आराध्य की पूजन अर्चन हेतु आते हैं अमरकंटक का मौसम बहुत सुहाना है पसंद आता है इसी तरह शाजापुर , धार , रायसेन , राजगढ़ जिले के आसपास के गांव से भी भारी तादाद में भक्त और श्रद्धालुगण मां नर्मदा के उद्गम स्थल पवित्र नगरी अमरकंटक आ रहे हैं मालवा अंचल के भक्त श्रद्धालुओं द्वारा आराध्य की पूजन अर्चन श्रद्धा भक्ति तप साधना का यह क्रम अमावस्या तिथि तक निरंतर चलता रहेगा ।
इंदौर से आए भक्त श्रद्धालुओं ने बताया कि हम लोग नाग देवता की पूजन अर्चन करते हैं यह हमारे आराध्य एवं कुल देवता हैं । हमारे समाज परिवार की रक्षा करते हैं हम सब का इन पर पूरा भरोसा है वहीं शाजापुर के भक्त एवं श्रद्धालु ने बताया कि हमारे आराध्य कुलदेवी काली मैया हैं । मालवा अंचल के भक्ति श्रद्धालु गण एकादशी से अमावस्या तक पूजन अर्चन हेतु पवित्र नदियों में आते हैं । भक्त श्रद्धालु पूजन अर्चन के दौरान पारंपरिक अस्त्र-शास्त्र की पूजा भी करते हैं जो देवी देवताओं के पास रखा जाता है । कई भक्त श्रद्धालुओं को देवी देवताओं के भाव भी आते हैं जो मस्त होकर घूमते हैं उनसे साथ आए भक्ति श्रद्धालु मनोकामना मांगते हैं तथा अपनी हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना भी करते हैं । दया भाव आशीर्वाद भी मांगते हैं । उक्त पूजन अर्चन में हर वर्ग जाति के लोग होते हैं ।