चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से अखंड रामचरित मानस का पाठ मृत्युंजय आश्रम में हुआ प्रारंभ,अखंड गौ घृत ज्योति भी की गई प्रज्वलित  

अमरकंटक / मां नर्मदा की उद्गम स्थली पवित्र नगरी अमरकंटक में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हिन्दू नव वर्ष , चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर विक्रम संवत् 2082 का प्रथम दिवस पर ब्रह्मलीन गुरु महाराज स्वामी शारदानन्द सरस्वती जी की स्मृति में  महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में अखंड रामचरित मानस का अनवरत चौबीसों घंटों का पाठ प्रारंभ स्वामी भजनानंद मृत्युंजय सेवा ट्रस्ट अमरकंटक में यह अखंड श्रीरामचरित मानस का पाठ सुप्रारंभ किया गया । इस पाठ का सम्पुट "सिव प्रिय मेकल शैल सुता सी , सकल सिद्धि सुख संपति रासी" यह गुरु महाराज जी की प्रेरणा से प्राप्त हुआ था जिसे उनकी स्मृति में यह सम्पुट लगाकर अनवरत अखंड रामायण पाठ का शुभारंभ किया गया है । साथ ही अखंड गौ घृत की ज्योति (दीपक) भी प्रज्वलित किया गया है । ब्राह्मणों द्वारा यह अखंड श्रीरामचरित मानस  रामायण का पाठ प्रारंभ किया गया है । छः छः घंटों के अंतराल में चार प्रहर के कालखंडों के दौरान चौबीसों घंटे अनवरत रामायण का पाठ चलता रहेगा । 
मृत्युंजय आश्रम के कार्यालय व्यवस्थापक पंडित सुधाकर पाण्डेय ने बताया कि यह बड़े महाराज जी की प्रेरणा और स्वामी जी की अनुकम्पा से हिंदू नव वर्ष और नवरात्रि के पावन पर्व पर अखंड श्रीरामचरित मानस "रामायण" का अनवरत चौबीसों घंटों का पाठ प्रारंभ किया गया है । यह पाठ लगातार दिन रात बराबर ब्राह्मणों के मुखारविंद से अनवरत चलता रहेगा । यह अखंड पाठ कब तक चलेगा के जवाब में पंडित जी ने कहा कि जब तक "हरि ईक्षा" ।