तमिलनाडु में छिड़ी भाषा की जंग का असर देश के कई राज्यों में देखने को मिल रहा है। सत्तापक्ष के लोग हिन्दी पढ़ाने का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं कई विपक्षी नेताओं ने हिन्दी भाषा के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। महाराष्ट्र में भी हिन्दी भाषा को स्कूलों में लागू करने की योजना बन रही है। इसी बीच राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस पर चुप्पी तोड़ी है।

महाराष्ट्र सरकार स्कूलों में कक्षा 1-5 तक हिन्दी पढ़ाने पर जोर दे रही है। ऐसे में मराठी और अंग्रेजी के अलावा हिन्दी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने की योजना बन रही है। हालांकि कई पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं।

अजित पवार का बयान
महाराष्ट्र के स्कूलों में हिन्दी पढ़ाने पर बात करते हुए अजित पवार ने कहा कि मराठी हमारी मातृभाषा है और इसे हमेशा राज्य में पहला दर्जा प्राप्त रहेगा। इसी के साथ अजित पवार ने हिन्दी भाषा का विरोध करने वालों की आलोचना की है। उनका कहना है कि जो भी लोग हिन्दी का विरोध कर रहे हैं, उनके पास बोलने के लिए कोई मुद्दा नहीं है, तो वो इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

हिन्दी का किया समर्थन
दरअसल अजित पवार ने पिंपरी छिंदवाड़ा में चापेकर बंधुओं को समर्पित राष्ट्रीय मेमोरियल के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया था। इस दौरान हिन्दी भाषा पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कई लोग हिन्दी को लेकर विवाद खड़ा कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास करने के लिए और कुछ है ही नहीं। अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल पूरे देश में होता है। इसी तरह कई राज्यों में हिन्दी भी बोली जाती है।

राज ठाकरे ने जताया विरोध
महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 1-5 तक में हिन्दी भाषा को अनिवार्य करने का फैसला लिया है। अब स्कूलों में मराठी और अंग्रेजी के अलावा हिन्दी भी पढ़ाई जाएगी। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि वो केंद्र के इन प्रयासों को सफल नहीं होने देंगे।

अजित पवार ने दिया जवाब
विपक्षी पार्टियों पर पलटवार करते हुए अजित पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। मराठी को शास्त्रीय भाषा में शामिल करने का फैसला पिछले कई सालों से केंद्र सरकार के लंबित था, NDA सरकार ने इसे पूरा करने की हिम्मत दिखाई। सरकार मुंबई में मराठी भाषा भवन बनाने की योजना बना रही है। नई शिक्षा नीति (NEP 2020) भी त्रिभाषाई शिक्षा फॉर्मूले का समर्थन करती है। तो इसे लागू करने में क्या परेशानी है?