माता सीता के शोक को हरने वाला अशोक वृक्ष बेहद खास, पौराणिक महत्व के साथ-साथ महिलाओं की कई समस्याओं का समाधान
हिंदू धर्म में अशोक वृक्ष का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस वृक्ष की पूजा करने से सभी रोग और दुख दूर होते हैं और कई कष्टों से मुक्ति भी मिलती है. “तरु अशोक मम करहूं अशोका…” माता सीता कहती हैं कि लंका में अशोक वृक्ष ने मेरी विरह वेदना को दूर किया, इसलिए मैं इस वृक्ष का सम्मान करती हूं. माता सीता की विरह वेदना को दूर करने वाले अशोक के वृक्ष के पास महिलाओं की हर समस्या का समाधान है. अशोक की पत्तियों और छाल से कई बीमारियों का इलाज भी किया जाता है. वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि घर में अशोक वृक्ष के होने से सभी तरह की नकारात्मकता दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है.
भगवान शिव की हुई अशोक वृक्ष से उत्पत्ति
धर्म शास्त्रों में अशोक वृक्ष को विशेष महत्व दिया जाता है. अशोक का शाब्दिक अर्थ है – किसी प्रकार का शोक ना होना. अर्थात जहां यह वृक्ष होता है, वहां सभी प्रकार के दुख, शोक और रोग को यह वृक्ष सोख लेता है और खुशियों में वृद्धि करता है. मान्यता है कि पवित्र वृक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव से हुई थी. अशोक वृक्ष की चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पूजा की जाती है. मान्यता है कि अशोक अष्टमी के दिन पूजा करने से न केवल सुख-शांति की प्राप्ति होती है, बल्कि रोग-शोक भी दूर होते हैं.
अशोक वृक्ष का आर्युवेदिक महत्व
ये तो था पौराणिक महत्व, इसके औषधीय गुणों से आयुर्वेदाचार्य और पंजाब स्थित ‘बाबे के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल’ के डॉ. प्रमोद आनंद तिवारी ने रूबरू कराया. उन्होंने बताया कि अशोक के वृक्ष का आयुर्वेदिक महत्व है. इसे महिलाओं का दोस्त कहें तो ज्यादा नहीं होगा. इसका इस्तेमाल स्त्री रोग और मासिक धर्म की समस्याओं जैसे- भारीपन, ऐंठन, अनियमितता और दर्द को कम करने में भी सहायक है.
इन रोगों को करता है दूर
आयुर्वेदाचार्य ने बताया कि समस्याओं से राहत पाने के लिए इसे भोजन के बाद दिन में दो बार गर्म पानी या शहद के साथ चूर्ण के साथ ले सकते हैं. अशोक की छाल खून साफ करती है, जिससे महिलाओं की त्वचा में निखार आती है. अशोक की छाल को चेहरे पर लगाने से डेड स्किन से छुटकारा मिलता है. रिसर्च बताती है कि अशोक की छाल पीरियड्स में होने वाले तेज दर्द और ऐंठन, सूजन को कम कर देती है. यह बढ़े हुए वात को नियंत्रित करती है. अशोक के सेवन से वात की समस्या खत्म होती है. इससे पाचन तंत्र भी मजबूत होता है, जिससे कब्ज, वात, ऐंठन, दर्द में राहत मिलती है.
अशोक की जड़ और छाल से होती हैं ये समस्याएं दूर
अशोक के पेड़ में कई प्रकार के पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारी विभिन्न रोगों से रक्षा करने में सहायक होते हैं. इसमें प्रचुर मात्रा में ग्लाइकोसाइड्स, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए टॉनिक के रूप में काम करते हैं. अशोक के पेड़ की जड़ें और छाल मुहासे और त्वचा संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक हैं. आयुर्वेदाचार्य प्रेग्नेंसी के दौरान और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रसित लोगों को इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतने और बिना डॉक्टर के परामर्श के इस्तेमाल न करने की सलाह देते हैं.