कोतमा में पशु तस्करी का भंडाफोड़ — अवैध पिस्टल, मांस सहित दो गिरफ्तार,कोतमा से कब खत्म होगा पशु तश्करी का खूनी कारोबार ?बजरंग दल की सूचना पर पुलिस की कार्रवाई, 22 मवेशी भी बरामद ,हिंदू संगठनों ने की बुलडोजर कार्रवाई की मांग


अनुपपुर - जिले के कोतमा थाना क्षेत्र में शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात बजरंग दल की सूचना पर पुलिस की एक बड़ी कार्रवाई में दो पशु तस्करों को गिरफ्तार किया गया। वहीं मुख्य सरगना बल्लू,वाजिद मौके से फरार हो गए विदित होकि बजरंग दल की सक्रिय सूचना पर गुरुकृपा ढाबा के बगल में पशु तस्करों के रिहायशी ठीहे में पुलिस ने छापा मारते हुए आरोपियों के कमरे से अवैध पिस्टल, जिंदा कारतूस और फ्रिज में रखा हुआ मांस बरामद किया। वहीं पकड़े गए आरोपियों की निशानदेही पर पथरोडी गांव के पास से 22 नग मवेशी भी जब्त किए गए। पुलिस द्वारा मौके पर ही मौका पंचनामा बनाकर कार्यवाही की गई, जबकि गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ के आधार पर आगे की कार्रवाई जारी है।

 *संवेदनशील मामले को लेकर लापरवाही?* 

स्थानीय लोगों और हिन्दू संगठनों ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि यह मामला अत्यंत संवेदनशील था, बावजूद इसके थाना प्रभारी द्वारा एफआईआर की कार्यवाही में समय क्यों लगाया जो कि  पुलिस की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि जब रात 9 बजे बजरंग बजरंग दल एक्टिव हुआ तब जाकर मुखबिरी होने पर वाहन लौटकर पेट्रोल टंकी पर खड़ा हो गया, वहीं जब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पशु तस्करों के ठीहे से मांस व पिस्टल होने की पुष्टि किए और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मो, इसरार मंसूरी को देर रात सूचना दी गई तब जाकर पुलिस ने कार्यवाही की। इससे यह एक बड़ा सवाल खड़ा होना लाजमी है कि क्या पुलिस के नाक के नीचे नेताओं के संरक्षण में पशु तश्करी का खूनी कारोबार फल फूल रहा है। 

 *बजरंग दल और हिंदू संगठनों स्थानीय  लोगों में आक्रोश** 

बजरंग दल एवं विश्व हिंदू परिषद ने  स्पष्ट कहा कि गौमांस और मवेशियों की तस्करी करने वाले आरोपी बल्लू वाजिद जैसे लोगों पर एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया जाए तथा उनके मकानों पर बुलडोजर चलाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन इस मामले में सख्त कदम नहीं उठाता, तो हिन्दू समाज सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा।

 *स्थानीय लोगों का बयान* 

स्थानीय नागरिकों का कहना है, "इन जैसे कई और भी आस्तीन के सांप हैं, जो समाज में दोस्ती का मुखौटा पहनकर ऐसे अपराधियों को संरक्षण दे रहे हैं। इनसे जिनकी नजदीकी है, जहां-जहां इनके संबंध हैं, उनकी गहन जांच होनी चाहिए।"
लोगों की मांग है कि केवल गिरफ्तारी नहीं, एक बड़ा नेटवर्क उजागर हो, जो गौतस्करी में लिप्त है।

कोतमा से कब खत्म होगा पशु तश्करी का खूनी कारोबार ?

बीते वर्ष 2021 में शहडोल जिले सहित अनूपपुर जिले में पशु तश्करी पर लगाम लगाने पुलिस प्रशासन द्वारा जमकर धरपकड़ की कार्यवाही काबिले तारीफ थी । प्रशासन की सख्ती से जहां पशु तशकरों पर खौफ नजर आने लगा था। ट्रकों पर पशु लोड कर स्लाटर हाउस कटिंग में भेजने जानवरों की तश्करी से जुटे पशु माफियाओं पर अच्छा अंकुश लगा था। साथ ही सम्भाग के कई पशु सरगना सलाखों के पीछे पहुंच गए थे। 
पुलिस प्रशासन के पशु तश्करी पर सख्त कार्यवाही से सम्भाग सहित अनुपपुर जिले में अवैध कारोबार जहां बन्द हो गए थे। मगर बीते चार वर्ष में पुलिस की ढिलाई के कारण पशु तश्करी का कारोबार फिर अपने उफान पर है। अनुपपुर जिले के नवागत पुलिस कप्तान मोतिउर रहमान एवम उप कप्तान मो, इसरार मंसूरी के निर्देश पर अपराधों पर लगातार हो रही धरपकड़ की कार्यवाही से एक तरफ जहां शराब माफियाओं व कबाड़ियों में दहशत का माहौल देखा जा रहा है। वहीँ पशु तश्करी पर अंकुश लगा पाना पुलिस के लिए अभी भी चुनौती बना हुआ है।

कोतमा से जुड़े पशु तश्करी के तार

विदित होकि बीते वर्ष 2021 में कटनी,सतना,व्योहारी,जयसिंहनगर गोहपारू शहडोल बुढ़ार थानों में एक साथ हुई कार्यवाही के बाद विभागीय जांच में पशु तशकरों के तार कोतमा,राजनगर,केशवाही,झींक बिजुरी के पशु तशकरों से जुड़े होने की बात सामने आई। सूत्रों की माने तो विभागीय जांच पर मुख्यतः कोतमा पशु बाजार को पशु तश्करी का मुख्य अड्डा होना ज्ञात हुआ। जहां पशु तश्कर पशु मंडी की आड़ में आसपास के गांवों निगवानी,गढ़ी, उरा,पथरौड़ीं जमुडी,लहसुई,केशवाही झींक बिजुरी, बदरा, से प्रतिदिन जानवर लोड कर उत्तरप्रदेस के स्लाटर हाउस में जानवर कटिंग करने भेजते हैं। कहने को तो कोतमा पशु बाजार दुधारू व कृषि योग्य जानवरो की खरीदी बिक्री की एक बड़ी मंडी है। मगर इस मंडी की आड़ में पशु तश्करी का कोतमा सबसे बड़ा हब बना हुआ है। जहां खाकी और खादी के संरक्षण में प्रतिदिन पशु तश्करी बदस्तूर जारी है।

*तेज तर्रार अधिकारी के आते ही होती है धरपकड़*

विदित होकि जब कभी सम्भाग में या जिले मे कोई तेज तर्रार अधिकारी आता है। तब थानों में पदस्थ पुराने घाघ  कर्मचारी समस्त काले कारोबारियों को कुछ दिन के लिए कारोबार को संभाल कर चलाने पहले से सतर्क कर देते है। जब जब विभाग का दवाव स्थानीय पुलिस पर आता है तो हाइवे से जुड़े थाना प्रभारी धरपकड़ की कार्यवाही करते हुए दो तीन वाहनों पर धड़ाधड़ धरपकड़ कर जहां पशु तश्करी पर अंकुश कार्यवाही दिखाकर वाहन चालक पर अवैध परिवहन का मुकदमा दर्ज कर मामले पर धारा 4/9,6/9 मध्यप्रदेश गौ वंश प्रतिषेध अधिनियम 2004 व 11 घ पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्यवाहीयां कर खाना पूर्ति कर देते है। पर पशु तश्करी का कारोबार है कि बन्द होने का नाम नही लेता। उसके लिए विभाग में लंबे अर्से से थानों में पदस्थ कुछ घाघ पुलिसकर्मी व थानों में पुलिस और पशु तशकरो के बीच मध्यस्थता की भूमिका निभाने वाले दलाल शामिल है। 

*पूर्व में हुई कार्यवाही के बाद ठंडा पड़ गया था कारोबार*

विदित होकि बीते वर्ष 2021 में पशु तश्करी पर लगाम लगाने बुढ़ार थाने में पशु तश्करो पर गांजे की कार्यवाही कर जेल भेज दिया गया था। वही कोतमा पशु बाजार में पूर्व थाना प्रभारी राकेश वैश्य द्वारा तशकरो के ठिहों को बंद करवाया गया। व ताले जड़वाये गए। लंबे समय से कोतमा में कूल्हे टिकाए बैठे पशु तशकरो पर कार्यवाही हुई व कुछ समय के लिए पशु तश्करी पर अंकुश भी लगा। हालांकि अब क्षेत्र में दर्जनों पशु तश्कर सक्रिय हैं। जो कोतमा के आसपास के गांवों से जानवरो को वाहनों में लोडकर रांत के अंधेरे में बाहर भेजते हैं। पशु तश्करी का कारोबार बिना पुलिस के सेटिंग के सम्भव नही है। नही तो मजाल है, राजनगर, बिजुरी,कोतमा, भालूमाड़ा, केशवाही फुनगा,अनुपपुर, अमलाई,बुढार,शहडोल, सोहागपुर,मानपुर,व्यौहारी थानों की सीमा से वाहन बिना किसी रोकटोक के लगातार गुजरते रहे।

*खाकी और खादी के संरक्षण में चलता है पशु तश्करी का कारोबार*

सूत्रों की माने तो खाकी व खादी धारियों की सह पर यह कारोबार जारी है। यदि पुलिस थानों पर पशु चोरी की शिकायतों पर नजर डालें तो अनूपपुर जिले के कोतमा,बिजुरी राजनगर, भालूमाड़ा फुनगा में सैकड़ों जानवरों की चोरी की शिकायतें पड़ी हुई है। जो जांच में मामले लंबित हैं। मगर जानवर गायब कहां हो गए । यह सवाल आज भी मुंह बाए खड़ा है। क्या बिना पुलिस व राजनेताओं के संरक्षण के जानवरों की तश्करी सम्भव है यह भी एक बड़ा सवाल है। फिर अचानक क्या कारण हुआ कि पशु तश्करी पर सख्त कार्यवाही हुई। पशु तश्करी के अलावा गांजे,अवैध शराब तक के मुकदमे बनाकर पशु तशकरों को सींखचों के पीछे पहुंचाया गया।

विभाग में है ख़बरीलालो की भरमार 

नाम न छापने की शर्त पर एक पशु व्यापारी ने कहाकि नीचे से लेकर ऊपर तक पैसा बंधा हुआ है। जिस कारण अवैध पशु तश्करी होती है। पहले गश्ती दल 2 हजार रुपये लेकर जाने देते थे अब कहते हैं ऊपर से कार्यवाही का दवाव है। रकम बढाइये आगे बढिये रकम जहां बढ़ी नही की ठीक है सम्भलकर निकल जाओ कहते हैं। पुलिस की कभी कभार की धरपकड़ से क्या पशु तश्करी बन्द हो जाएगी यह अपने आप मे बड़ा सवाल यह है। भले नवागत पुलिस कप्तान मोती उर रहमान व उप कप्तान मो, इसरार मंसूरी अपराधों पर अंकुश लगाने प्रतिबद्ध हैं। व कार्यवाहियां कर भी रहे हैं। मगर वर्षों से थानों पर जमे ऐसे पुलिस कर्मी जो आये दिन अपराधियो व दलालों के साथ जाम छलकाते नजर आते है व उनके संरक्षक बने हुए है। उनकी सूची बनाकर बगैर उनकी छंटनी किये व बिना विभाग के फेरबदल के अपराधों पर अंकुश लगा पाना पुलिस कप्तान और उप कप्तान के लिए चुनौती साबित होगी।
थाना प्रभारी सुंदरेश मेरावी ने बताया:

> "हमें गुप्त सूचना मिली थी, जिस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बरामद सामान में पिस्टल, कारतूस और मांस शामिल है। आगे की जांच जारी है।"