अमरकंटक के भजनानंद मृत्युंजय आश्रम द्वारा छग के सुदूर वनांचल में 56 जनजातीय कन्याओं का सामूहिक विवाह सम्पन्न,भजनानंद वनवासी सेवा आश्रम में 44 वर्षों से आयोजित हो रहा विष्णु महायज्ञ,,रिपोर्ट @ श्रवण उपाध्याय अमरकंटक

अमरकंटक के भजनानंद मृत्युंजय आश्रम द्वारा छग के सुदूर वनांचल में 56 जनजातीय कन्याओं का सामूहिक विवाह सम्पन्न,भजनानंद वनवासी सेवा आश्रम में 44 वर्षों से आयोजित हो रहा विष्णु महायज्ञ
अमरकंटक / अनूपपुर / मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में स्थित भजनानंद मृत्युंजय सेवा आश्रम द्वारा छग के सुदूर इलाके में स्थित विख्यात , आध्यात्मिक , धार्मिक , सामाजिक सेवा संगठन *स्वामी भजनानन्द वनवासी सेवा आश्रम केन्दई* (छ.ग.) द्वारा 3 से 11 मार्च 2025 तक 44 वें भगवान विष्णु महायज्ञ एवं पच्चीसवें वनवासी कन्या सामूहिक विवाह का आयोजन परमपूज्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री हरिहरानंद सरस्वती जी महाराज की विशेष उपस्थिति में आयोजित किया गया । इस शुभ अवसर पर परमपूज्य संत महामंडलेश्वर स्वामी श्री हरिहरानंद सरस्वती जी महाराज ,
शांतिकुटी आश्रम अमरकंटक के श्रीमहंत स्वामी रामभूषण दास जी महाराज , मृत्युंजय सेवा आश्रम अमरकंटक के समाजसेवी योगेश दुबे , अनूपपुर जिले के वरिष्ठ समाजसेवी मनोज कुमार द्विवेदी , अजय शुक्ला बिजुरी , सुनील कुशवाहा , प्रयागराज से हरिभूषण (हेमू) , वृंदावन से विवेक द्विवेदी के साथ
मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ , उड़ीसा , उत्तरप्रदेश , दिल्ली , महाराष्ट्र , बिहार , झारखंड के हजारों श्रद्धालु एवं सहयोगीगण शामिल हुए । स्वामी भजनानन्द जनजातीय सेवा आश्रम केन्दई द्वारा जनजातीय सामूहिक विवाह आयोजन के रजत जयंती वर्ष 2025 में 56 जनजातीय कन्याओं का आश्रम द्वारा नि: शुल्क सामूहिक विवाह करवाया गया ।
*3 से 11 मार्च तक सम्पन्न हुए विविध कार्यक्रम --*
स्वामी भजनानन्द वनवासी सेवा आश्रम , केंदई में वार्षिक समारोह , यज्ञ , कथा एवं सामूहिक विवाह कार्यक्रम का पूर्ण विधि विधान से शुभारंभ 3 मार्च सोमवार को संतो, आचार्यो अतिथियों, स्थानीय जनजातीय लोगों की उपस्थिति मे कलश शोभायात्रा और यज्ञ कर्म से किया गया। शोभायात्रा में सैकडों लोग शामिल हुए । प्रतिदिन नियमित रुप से यज्ञाचार्य पं रवि कुमार मिश्र की उपस्थिति में प्रात: 6 से 8 बजे तक रुद्राभिषेक और शिवार्चन , तत्पश्चात यज्ञ , दोपहर 2 से शायं 5 बजे तक आचार्य राजपुरोहित पं चन्द्रहास त्रिपाठी महाराज के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ , 11 मार्च को यज्ञ पूर्णाहुति , 9 - 10 मार्च को विद्यालय के छात्र - छात्राओ द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा 11मार्च मंगलवार को सामूहिक विवाह कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
*45 वर्ष से धर्मान्तण के विरुद्ध कर रहे कार्य --*
मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित सुदूर वनांचल में घने जंगलों के मध्य स्थित यह आश्रम सनातन समाजसेवियों की आस्था का केन्द्र रहा है । परमपूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती जी महाराज ने बतलाया कि यह आश्रम पिछले 45 वर्षो से अवैध धर्मान्तण के विरुद्ध मजबूती से कार्य कर रहे है ।
विगत वर्षों की भांति स्वामी भजनानन्द वनवासी सेवा आश्रम केंदई के तत्वावधान में पूज्य सद्गुरुदेव परमहंस श्री स्वामी शारदानन्द सरस्वती जी महाराज की कृपाछाया में सोमवार - 3 मार्च से मंगलवार 11 मार्च 2025 तक 44 वें विष्णु महायज्ञ एवं 25 वें वनवासी सामूहिक विवाह महोत्सव
का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोगों ने सहभागिता निभाई । इस वर्ष वनवासी सामूहिक विवाह महोत्सव को 25 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं । जिसे रजत जयंती महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है । यह स्थान वनवासी बाहुल्य क्षेत्र होने से यहाँ मानवीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु ऐसे आयोजन कम हो पाते हैं । तब भी आश्रम के विभिन्न प्रकल्प, यज्ञ और सामूहिक विवाह के महाकुंभ में क ई राज्यों के एवं छत्तीसगढ - मध्यप्रदेश के सैकडों गांव के लोगों ने आयोजन में शामिल होकर सुअवसर का लाभ उठाया ।
*44 वां पञ्चकुण्डीय विष्णु महायज्ञ -*
स्वामी हरिहरानंद सरस्वती जी ने बतलाया कि सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार और बीहड़ क्षेत्र में रहने वाले वनवासी बंधुओं के उत्थान एवं सभ्यता के मुख्यधारा में जोड़ने हेतु जागरण अभियान की शुरूआत 45 वर्ष पूर्व हुई । पञ्चकुण्डीय विष्णु महायज्ञ के माध्यम से पूरे क्षेत्र के समस्त ग्रामीण समूहों में एकत्र होने लगे । उनके जीवन स्तर में सुधार होने लगा । सामग्री - यज्ञ के लिये तिल , चावल , जौ , गुड , शक्कर , घी , लकड़ी (समिधा) इत्यादि सामग्री स्थानीय श्रद्धालुगण उपलब्ध करवाते हैं ।
*25 वां निःशुल्क जनजातीय सामूहिक विवाह -*
ईश्वर की प्रेरणा से विगत चौबीस वर्षों से वनवासी बालक-बालिकाओं के सामूहिक विवाह से इस जनजातीय क्षेत्र की दिशा ही बदल गई है । जो अपनी गरीबी के कारण विवाह जैसी पवित्र सनातन परम्परा को नहीं अपना पाते थे । आज बड़े उत्साह से अपने माता-पिता के साथ आकर नवदम्पत्ति अग्नि की साक्षी में वैदिक विद्वानों द्वारा वेद मंत्रों के साथ सात भांवरें लेकर पवित्र वैवाहिक जीवन बिताते है । सबके सहयोग से नव दम्पत्ति आश्रम द्वारा जीवन निर्वाह की आवश्यक सामग्री प्राप्त कर हर्षित होते हैं। हजारों वनवासी बिना किसी जाति, सम्प्रदाय, वर्ग के भाग लेते हैं और धीरे-धीरे दिल्ली, पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, आदि प्रान्तों से संपन्न उदारजन यज्ञ में पहुँचकर कन्यादान का सौभाग्य प्राप्त करने लगे हैं । छ.ग. शासन भी इस आश्रम से सामूहिक विवाह की प्रेरणा प्राप्त कर शासकीय स्तर पर सामूहिक कन्या विवाह आयोजित कर रहा है, जो गरीबों के लिये बहुत सुन्दर एवं मजबूत शुरुआत है। वर-वधुओं के अभिभावक, संरक्षक बनकर उनके सुखी जीवन में भागीदार बनकर उन्हें संबल प्रदान कर रहे हैं। ।
* *सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिदुखभाग्भवेत् के पवित्र भाव से कर रहे कार्य*
स्वामी भजनानन्द वनवासी सेवा आश्रम, केन्दई की स्थापनाआज से 45 वर्ष पूर्व ईश्वरीय प्रेरणा से प्पूज्य सद्गुरुदेव परमहंस श्री स्वामी शारदानन्द सरस्वती जी महाराज ने की थी। उन्हें इस दिव्य स्थान पर पूर्व में किसी सिद्ध संत की तपःस्थली होने का अनुभव हुआ । वातावरण में उपस्थित दिव्य अणु-परमाणुओं ने पूज्य महाराजश्री को अंतःप्रेरित किया और उन्होंने इस नैसर्गिक व दैवीय गुणों से आप्लावित स्थान के उत्थान के लिए संकल्प ले लिया 'तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु' और इस स्थान को 'कर्दम तीर्थ' के नाम से स्थापित कर दिया, जहां सेवा के अनेक प्रकल्प संचालित हैं।
*केन्दई जल प्रपात है आकर्षण का केन्द्र --*
केंदई जल प्रपात के तट पर अपने सद्गुरु स्वामी भजनानन्द सरस्वती जी महाराज के नाम से स्वामी भजनानन्द वनवासी सेवा आश्रम की आधारशिला रखी । आश्रम द्वारा हजारों वनवासियों (आबालवृद्ध) की पहनने के वस्त्र, कंबल, साड़ी, धोती, कुर्ता से सेवा होती है। नैसर्गिक प्रचुरता और आध्यात्मिक वातावरण के बीच यह आश्रम आस्था और श्रद्धा के ऊर्जा का स्रोत बन गया है।
श्रद्धालुगण प्रतिदिन निरंतर चलने वाले भण्डारे के लिये दाल, चावल, आटा, सब्जी, घी, सरसों तेल, रिफाइन्ड, हल्दी, धनिया, जीरा, गरम मसाला आदि देकर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं ।
यहाँ पूर्णतः निःशुल्क आवासीय विद्यालय स्वामी भजनानन्द वनवासी विद्यालय के द्वारा छात्र रूप में बालक बालिकाएं शिक्षा प्राप्त कर मानवता की सभ्य धारा में जुड़ रहे हैं। स्वावलम्बन के रूप में जहाँ वे साक्षरता की ओर आगे बढ़ रहे हैं ।
वहीं कुटीर उद्योग जैसे गाय के गोबर से दिया, धूपबत्ती, गोमूत्र अर्क, मोमबत्ती, अगरबत्ती, चटाई, कढ़ाई, सिलाई आदि के साथ बड़ी, पापड़ आदि का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
समाज के सम्पन्न वर्ग के लोग इन गरीब छात्र - छात्राओं की शिक्षा में मदद करके स्थानीय अभिभावक बन सकते हैं ।
छ.ग. गौ सेवा आयोग में पंजीकृत स्वामी भजनानन्द आदर्श गौशाला द्वारा गौ-संवर्धन एवं गौ पालन हो रहा है। गौ-धन से प्राप्त मूत्र को प्रसंस्कारित कर गौ-मूत्र अर्क बनाया जाता है तथा गोबर से दिया, धूपबत्ती जैसे कुटीर उद्योग भी संचालित हो रहे हैं।