विश्वविद्यालय में 47वें अखिल भारतीय नागरी लिपि सम्मेलन प्रारंभ  
अमरकंटक / मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में दिन  शुक्रवार 20-12-2024 को अमरकंटक एवं नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में 47वें अखिल भारतीय नागरी लिपि सम्मलेन का हुआ आयोजन । कार्यक्रम विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं संचार सभागार में शुरू हुआ । लिपि के कुछ पदाधिकारी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी जुड़े । कार्यक्रम दो दिन तक चलेगा । इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कार्यकारी कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी नागरी लिपि के अध्यक्ष प्रेमचंद पातंजलि,सहित तमाम गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता नागरी लिपि परिषद नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रेमचंद पातंजलि के द्वारा की गई।विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी ने अपने संबोधन में कहा कि मां नर्मदा के आशीर्वाद से नागरी लिपि का देश में ही नहीं अपितु विदेश में भी नाम हो । प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि भारत को जानना है तो देवनागरी लिपि को जानना पड़ेगा और देवनागरी लिपि पर ज्यादा से ज्यादा रिसर्ज हो । देवनागरी लिपि ही हजारों वर्षों से भारत को जोड़ रखा है।वही सम्मलेन में नागरी लिपि परिषद के महामंत्री हरि सिंह पाल ने कहा कि नागरी लिपि परिषद की स्थापना 1975 में हुई थी।कार्यक्रम में केरल–तेलंगाना डॉ  प्रसन्न कुमारी, डॉ विजया भारती,डॉ आशा नायर का स्वागत विश्वविद्यालय की प्रो रेनू सिंह,प्रो.मनीषा शर्मा एवं डॉ अर्चना श्रीवास्तव ने किया।कार्यक्रम में लिपि परिषद के उपलब्धियों का उल्लेख पूर्व हिंदी अधिकारी रक्षा मंत्रालय ओम प्रकाश को आमंत्रित किया गया।जिन्होंने परिषद् के संस्थापक के रूप में आर्चाय विनोबा भावे की भूमिका तथा त्रैमासिक पत्रिका ‘नागरी संगम’ पर व्यापक चर्चा किया।सम्मेलन  का उद्घाटन सत्र का समापन डॉ उमेश चंद्र त्यागी ने किया।वही सम्मलेन का संचालन वित्त अनुभाग के वित्ताधिकारी प्रो जितेंद्र कुमार शर्मा ने किया।सम्मलेन में डॉ अजय कुमार ओझा पूर्व अधिकारी भारतीय प्रसारण सेवा, IGNTU के प्रो अजय वाघ,प्रो.राघवेंद्र मिश्र भी शामिल हुए।