भोपाल ।  यदि देश में महिला आरक्षण आगामी दिनों में लागू हो जाता है तो मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से 77 सीटें आरक्षित होंगी। प्रदेश में एसटी वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। इनमें 15 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। इसी तरह एससी वर्ग के लिए सुरक्षित 35 सीटों में से 11 सीटें महिलाओं को मिलेंगी। शेष 51 सीटें अनारक्षित वर्ग की महिलाओं के लिए होंगी। लोकसभा की 29 सीटों में दस सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। प्रदेश में भाजपा हो या कांग्रेस, महिलाओं को आगे बढ़ाने की बात तो दोनों दल करते हैं पर विधानसभा चुनाव में इसके अनुरूप उनकी भागीदारी दिखाई नहीं देती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 24 सीटों पर महिलाओं को प्रत्याशी बनाया।

इसमें से 11 ने जीत प्राप्त की। वहीं, कांग्रेस ने 28 सीटों पर महिलाओं को मौका दिया, इनमें से नौ जीत हासिल कर सकीं। पथरिया सीट बसपा की रामबाई ने जीती। वर्तमान विधानसभा में 21 महिला विधायक हैं। इसी तरह 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने 23-23 महिला प्रत्याशी को उतारा। इनमें से भाजपा की 12 और कांग्रेस की नौ प्रत्याशी चुनाव जीतीं। 2008 में कांग्रेस ने 28 और भाजपा ने 23 टिकट महिलाओं को दिए। भाजपा की 15 और कांग्रेस की छह उम्मीदवार जीती थीं। इसी तरह प्रत्याशियों की स्थिति देखें तो वर्ष 2008 में 221, 2013 में 200 और 2018 में 255 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। महिला आरक्षण की स्थिति को देखते हुए अब भाजपा और कांग्रेस को महिला नेतृत्व भी तैयार करना होगा।