चार महीने के क्वारंटाइन के बाद नर चीतों वायु और अग्नि को बोमा बाड़े में आज शिफ्ट कर दिया गया है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। बोमा, मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में स्थित है।

चीता पुनरुत्पादन परियोजना ने रविवार को अपना एक साल पूरा कर लिया है। इसी के मद्देनजर नर चीता गौरव और शौर्य को भी संगरोध बाड़े से बोमा में स्थानांतरित कर दिया गया। चीता पुनरुत्पादन परियोजना यानी भारत में फिर से चीतों को बसाने की योजना, जिसे 17 सितंबर को पूरे एक साल हो गए है।

दोनों चीते स्वस्थ

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में सोमवार को कहा गया, 'वायु और अग्नि को स्वास्थ्य जांच पूरी होने के बाद प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सोमवार को सॉफ्ट रिलीज बोमा में छोड़ दिया गया। दोनों चीते स्वस्थ हैं। दोनों 27 जून से क्वारंटाइन बोमा में थे। रिहाई की प्रक्रिया वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में पशु चिकित्सा अधिकारियों की टीम द्वारा सफलतापूर्वक पूरी की गई।

फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते केएनपी पहुंचे

चीता पुनरुत्पादन परियोजना के तहत, पिछले साल 17 सितंबर को आठ नामीबियाई चीतों को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा गया था, जिनमें पांच मादा और तीन नर शामिल थे। इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते केएनपी पहुंचे। अधिकारियों ने कहा कि मार्च से अब तक तीन शावकों सहित नौ चीतों की मौत हो चुकी है, जबकि 14 चीते और एक शावक स्वस्थ स्थिति में हैं। 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। हालांकि, अब स्थिति में सुधार हुआ है।