अपने भविष्य को सिक्योर करने के लिए आपको एक अच्छा फंड तैयार करना चाहिए। आज के समय में निवेश करने के लिए सबसे अच्छा तरीका सेविंग इन्वेस्टमेंट म्यूचुअल फंड  माना जाता है। इन फंड में आपके पैसे सुरक्षित के साथ अच्छा रिटर्न भी मिलता है। निवेश के लिए आपको पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन रखना चाहिए। इसके लिए आप '100 माइनस एज' नियम का इस्तेमाल कर सकते हैं। आइए, जानते हैं कि 100 माइनस एज नियम क्या है?

100 माइनस एज नियम क्या है?

यह पोर्टफोलियो में डेट टू इक्विटी के अनुपात को तय करने में मदद करता है। इस नियम में निवेशक अपने पोर्टफोलियो में शेयरों के फंड की आयु 100 फीसदी घटकर बाकी लोन के रूप में शामिल करता है।

100 माइनस एज नियम का इस्तेमाल कैसे करें?

अगर आप अपने पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन का लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको सही जगह पर फंड का इस्तेमाल करना चाहिए। फंड का सही जगह पर आवंट होना बहुत जरूरी है। इसे हमेशा प्राथमिकता देनी चाहिए। ऐसे में कई निवेशकों के मन में सवाल आता है कि आखिर काल पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन इतना जरूरी क्यों है?

क्यों पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन होना चाहिए

अगर पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन होता है तो यह आपके रिटर्न को बढ़ाने में मदद करता है। इसी के साथ यह पोर्टफोलियो वोलैटिलिटी ड्रॉडाउन को भी कम करता है। ऐसे में आपको फंड से काफी अच्छा रिटर्न मिल सकता है। पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन होने से रिटर्न की वोलैटिलिटी भी मजबूत होती है। माना पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन काफी जरूरी है, लेकिन इस पर हमेशा ध्यान देना चाहिए कि यह नियम कैसे काम करता है?

कैसे काम करता है 100 माइनस एज नियम

100 माइनस एज नियम निवेशकों की उम्र में बढ़ोतरी के साथ हर साल पोर्टफोलियो के रिस्क को कम करने में मदद करता है।