गया को भगवान विष्णु का नगर माना जाता है. यह मोक्ष की भूमि भी कहलाती है. इस बात की चर्चा विष्णु पुराण और वायु पुराण में की गयी है.

विष्णु पुराण के अनुसार, गया में पिंडदान करने पर पूर्वज को मोक्ष मिल जाता है और वे सीधे स्वर्ग चले जाते है. माना जाता है कि गया में पितृ देवता के रूप में स्वयं भगवान विष्णु मौजूद है. इसलिए इस जगह को पितृ तीर्थ के नाम से जाना जाता है. गया को मोक्षस्थली भी कहा जाता है.

पितृ पक्ष श्राद्ध सामग्री

पितृ पक्ष
पितृ पक्ष श्राद्ध सामग्री रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी के पत्ते, पान, जौ, हवन सामग्री, गुड़, मिट्टी दीया, कपास, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर. इसी सामग्री से श्राद्ध पूजा की जाती है. केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वंक चावल, मूंग, गन्ना का प्रयोग पितरों को प्रसन्न करता है.

पिंडदान और ब्राह्मण भोज का भोग

शास्त्रों के अनुसार पिंडदान और ब्राह्मण भोज का भोग लगाकर पितरों का श्राद्ध करना चाहिए. श्राद्ध में ब्राह्मणों को आदरपूर्वक आमंत्रित करना चाहिए और पैर धोकर आसन पर बिठाना चाहिए. पंचबली भोजन का ब्राह्मण भोजन के साथ विशेष महत्व है.

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा

Pitru Paksha 2023
पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन शुरू होता है जो 15 दिनों तक चलता है. ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज कौवे के रूप में पृथ्वी पर आते हैं. पूर्वजों को अर्पण करने का अर्थ है उन्हें जल देना. पितरों का स्मरण करते हुए हाथ में जल, कुश, अक्षत, पुष्प और काले तिल लेकर उन्हें आमंत्रित करें. इसके बाद उनका नाम लेकर अंजलि का जल 5-7 या 11 बार धरती पर गिराएं. कौवे को पूर्वजों का रूप माना जाता है. पितृ पक्ष में कौवे को भोजन कराना चाहिए.

पितृ पक्ष तर्पण विधि

Pitru Paksha 2023 Pind Daan
हर साल पितरों को समर्पित एक निश्चित समय अवधि में पूर्वजों का तर्पण किया जाता है. इस कर्म में कुश, अक्षत, जौ, काले तिल और जल से तर्पण कर पितरों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए. कहा जाता है सच्चे मन से किया गया तर्पण मनुष्य को कई प्रकार के रोगों से मुक्ति दिलाता है और साथ ही हमेशा पितरों का आशीर्वाद हमारे ऊपर बना रहता है, जिससे जीवन के सभी क्षेत्रों में आसानी से सफलता मिल जाती है. इस अवधि में पितरों की आत्मा की शांति के लिए यथा संभव दान करना चाहिए. इस पूरे अवधि में हमें इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखनी चाहिए. पितृ पक्ष के दौरान बाल व दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए, घर में सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. आपको इस पूरे समय अवधि में किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन जैसे- मांस, मछली, मदिरा आदि का सेवन से बचना चाहिए.

श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां

29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार- पूर्णिमा श्राद्ध

29 सितंबर 2023 दिन शुक्रवार- प्रतिपदा श्राद्ध

30 सितंबर 2023 दिन शनिवार- द्वितीया श्राद्ध

01 अक्टूबर 2023 दिन रविवार- तृतीया श्राद्ध

02 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार- चतुर्थी श्राद्ध

03 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार- पंचमी श्राद्ध

04 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार- षष्ठी श्राद्ध

05 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार- सप्तमी श्राद्ध

06 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार- अष्टमी श्राद्ध

07 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार- नवमी श्राद्ध

08 अक्टूबर 2023 दिन रविवार- दशमी श्राद्ध

09 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार- एकादशी श्राद्ध

11 अक्टूबर 2023 दिन बुधवार- द्वादशी श्राद्ध

12 अक्टूबर 2023 दिन गुरुवार- त्रयोदशी श्राद्ध

13 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार- चतुर्दशी श्राद्ध

14 अक्टूबर 2023 दिन शनिवार- सर्व पितृ अमावस्या

 पूर्वजों के आशीर्वाद से दूर होती हैं बाधाएं

पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं ऐसा माना जाता है कि पूर्वजों के आशीर्वाद से व्यक्ति पर आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और जीवन सुखमय बना रहता है.

तर्पण की सम्पूर्ण विधि

सबसे पहले प्रातः काल उठकर स्नान करके पितरों के चित्र पर फूल चढ़ाएं.

देवताओं के लिए पूर्व दिशा में मुख करके कुश और अक्षत से तर्पण करें.

इसके बाद जौ और कुश लेकर ऋषियों के लिए तर्पण करें.

फिर दक्षिण दिशा में अपना मुख कर लें, उसके बाद कुश और जौ से तर्पण करें.

और दक्षिण दिशा में मुख करके काले तिल व कुश से तर्पण करें.

 पितरों के निमित्त यज्ञ स्वरूप है तर्पण

पितरों के निमित्त यज्ञ स्वरूप है तर्पण
पितृ पक्ष में ऐसे करें तर्पण : पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण किया जाता है. तर्पण के समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण किया जाता है. तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए. तर्पण करने के बाद पितरों से पूर्व में कर चुके गलतियों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि वे प्रसन्न हो जाए और आपको सुखी रहने का आशीर्वाद दें.

नियमित श्राद्ध करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद

मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों के नियमित श्राद्ध करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसीलिए हर साल पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. पितृ पक्ष हर साल भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है

 पितृ पक्ष में ऐसे करें तर्पण

पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण किया जाता है. इस समय सबसे पहले देवों के लिए तर्पण किया जाता है. तर्पण के लिए आपको कुश, अक्षत्, जौ और काला तिल का उपयोग करना चाहिए. तर्पण करने के बाद पितरों से पूर्व में कर चुके गलतियों के लिए प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि वे प्रसन्न हो जाए और आपको सुखी रहने का आशीर्वाद दें.