प्रयागराज: ज्ञानवापी परिसर के सांइटिफिक सर्वे मसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही बहस के दौरान मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने बुधवार को कहा कि वाराणसी में जिला जज के समक्ष अर्जी में कहा गया है कि गुंबद के नीचे स्ट्रक्चर है। सत्यता पता करने के लिए एएसआई सर्वे कराया जाए। वहां मंदिर है इसका साक्ष्य साइंटिफिक सर्वे से ही मिलेगा।

कोर्ट ने पूछा कि एएसआई को पार्टी क्यों नहीं बनाया तो जैन ने कहा, ऐसा कोई नियम नहीं है। एएसआई को विशेषज्ञ के तौर पर आदेश दिया गया है। जैसे किसी राइटिंग एक्सपर्ट को राइटिंग की जांच के लिए आदेशित किया जाता है। ठीक उसी प्रकार एएसआई को सर्वे के लिए आदेशित किया गया है। इसके लिए पार्टी बनाना जरूरी नहीं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या हाई कोर्ट भी एएसआई के तहत आता है, वहां भी सर्वे कर सकते हैं तो एएसजी आई ने कहा- हां आता है।

अंजुमन इंतेजामिया ने कहा- आदेश गलत

याची अंजुमन इंतेजामिया वाराणसी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी ने कहा कि बिना साक्ष्य ही सर्वे के लिए अर्जी दी गई है। कानून कहता है कि साइंटिफिक सर्वे के आदेश के पूर्व कमीशन भेजा जाता। वह मौके पर जाकर यह स्पष्ट कर सकते हैं कि विवादित स्थल पर साइंटिफिक सर्वे आसानी हो सकता है या नहीं और इसमें क्या दिक्कतें आ सकती हैं।

सहूलियत के लिए क्या कदम उठाए जा सकते है। एक अर्जी दाखिल होती है और इमिडियेट कोर्ट साइनटिफिक सर्वे का आदेश कर दिया जो गलत है। सीपीसी कहती है कि सर्वे कमीशन भेजा जा सकता है। सरकार को भी इस संदर्भ में निर्देश दिया जा सकता है। मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि खोदाई अंतिम स्टेज है।

इससे पहले ठीक 9.30 बजे इलाहाबाद हाई कोर्ट में इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर के कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 26 जुलाई की शाम पांच बजे तक परिसर में साइंटिफिक सर्वे संबंधी वाराणसी जिला जज के 22 जुलाई के आदेश पर रोक लगाते हुए याची को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया था।