सरकार की ओर से 1200 डॉलर (करीब 1,00,000 रुपये) प्रति टन से नीचे के बासमती चावल को निर्यात नहीं करने का फैसला लिया गया है। ये निर्णय बासमती चावल के रूप में गैर-बासमती चावल के निर्यात को रोकने को लेकर है। रविवार को वाणिज्य मंत्रालय की ओर से कहा गया कि ट्रेड प्रमोशन बॉडी APEDA को आदेश दिया गया है कि 1200 डॉलर प्रति टन से नीचे कॉन्ट्रैक्ट्स को पंजीकृत न किया जाए। 1,200 अमेरिकी डॉलर प्रति टन से नीचे के मौजूदा अनुबंधों को स्थगित रखा गया है। बता दें, बासमती चावल के कॉट्रैक्ट प्राइस में बड़ा उतार-चढ़ाव चालू महीने में देखा गया था। इस महीने सबसे कम कीमत पर बासमती चावल का कॉट्रैक्ट 359 डॉलर प्रति टन था, जबकि औसत भाव 1,214 डॉलर प्रति टन था।

घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी

सरकार की ओर से घरेलू बाजार में कीमतों को काबू में करने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे कि घरेलू बाजार में आपूर्ति बढ़े और सरकार द्वारा पिछले सप्ताह पक्के गैर-बासमती चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया था। इससे पहले सितंबर में सरकार ने टूटे चावलों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

भारत कितने चावल का निर्यात करता है?

चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-जून के बीच भारत की ओर से 15.54 लाख टन गैर-बासमती सफेल चावल का निर्यात किया गया था, जो कि पिछले साल केवल 11.55 लाख टन था। गैर-बासमती सफेद चावल पर बैन लगाने का कारण खाद्य वस्तुओं की अधिक कीमत का होना था। खाद्य वस्तुओं की कीमत बढ़ने के कारण ही जुलाई में खुदरा महंगाई दर 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो कि जून में 4.87 प्रतिशत थी।