भोपाल । 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख दलों को एक-एक वोट की अहमियत को समझाने वाला था। कांग्रेस ने जहां सत्ता में आई लेकिन बाद में सरकार बदल गई और भाजपा को एक बार फिर बहुमत मिला।
चुनाव में जो अहम बात थी वह यह विध्य-महाकोशल की 13 विधानसभा सीट ऐसी थी जहां पर हार-जीत का अंतर मामूली था। अंतर से ज्यादा मत निर्दलीय या नोटा में चले गए। 2023 के चुनाव में भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दल एक-एक वोट पर फोकस कर रही है। इतना ही नहीं जिन सीट पर निर्दलीय ने खेल बिगाड़ा था वहां भी डैमेज कंट्रोल किया जा रहा है। जबलपुर जिले की बात करे तो 2018 के विधानसभा चुनाव में पनागर, सिहोरा और उत्तर विधानसभा में निर्दलीय हावी थे।

जबलपुर में ऐसे बिगड़े थे समीकरण
जबलपुर समेत विध्य और महाकोशल अंचल की 13 विधानसभा सीट में हार-जीत का अंतर चार हजार के भीतर रहा। वोट प्रतिशत की बात की जाए तो आधे से लेकर ढाई फीसद वोट में हार-जीत तय हुई। इसमें जबलपुर उत्तर मध्य विधानसभा का मुकाबला सबसे रोचक था। कांग्रेस प्रत्याशी इस विधानसभा से 578 वोट से जीत दर्ज की थी। जबकि निर्दलीय 26.7 फीसद यानि 37176 वोट हासिल किए थे। इसके अलावा पनागर विधानसभा में निर्दलीय प्रत्याशी ने कांग्रेस से ज्यादा वोट हासिल किए थे। उस वक्त कांग्रेस को 40629 वोट मिले थे तो वहीं निर्दलीय प्रत्याशी को 45891 वोट मिले थे। इसी तरह सिहोरा विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस के बीच हार जीत का अंतर 6823 था। जबकि नोटा में 4620 और अन्य के नाम पर 9809 मत मिले थे। एक-एक वोट पर फोकस- भाजपा-कांग्रेस दोनों प्रमुख दल इस बार माइक्रो लेबल पर काम कर रहे हैं।
पन्ना प्रभारियों के जरिए भाजपा जहां एक-एक वोट हासिल करने पर फोकस कर रही है वहीं कांग्रेस प्रत्याशी भी डोर टू डोर लोगों तक पहुंच रहे हैं। करीब मुकाबले वाले क्षेत्रों में तो इस स्तर पर अधिक काम किया जा रहा है।

इन सीट पर करीबी मुकाबला-
विधानसभा हार-जीत का अंतर प्रतिशत
धौहनी 3792 - 2.39
जबलपुर उत्तर 578 - 1.35
पथरिया - 2205 - 1.35
दमोह - 798 - 0.46
जबेरा- 3485 - 2.10
गुन्नौर - 1984 - 1.34
नागौद- 1234 - 0.74
मैहर- 2984- 1.66
अमरपाटन- 3747 - 2.27
देवतालाब- 1080- 0.80
सिगरौंली- 3726- 2.52
बांधवगढ़- 3903 - 2.50
वारासिवनी- 3861- 2.51

प्रदेश में ये था हाल
भाजपा-कांग्रेस के बीच कई सीटों में मुकाबला कांटे का हुआ। इनमें हार जीत का अंतर बेहद मामूली था। इसमें 100 से एक हजार के अंतर से भाजपा ने जहां तीन सीट पर हार का मुंह देखा। कांग्रेस को सात सीट गंवानी पड़ी। इसी तरह एक हजार से दस हजार के अंतर से बसपा ने एक सीट, भाजपा ने 41 सीट, कांग्रेस ने 33 और निर्दलीय प्रत्याशी ने तीन सीट हारी थी। अभी ये है हाल- जबलपुर उत्तर विधानसभा में भाजपा से बगावत करने वालों को मना लिया गया है। फिलहाल पार्टी से नाराज होकर एक भी प्रत्याशी मैदान में नहीं है। इसके अलावा दोनों प्रमुख दल अन्य प्रत्याशियों के प्रभाव का आंकलन कर चुनावी प्रबंधन करने में जुटे हैं।