भुवनेश्वर । इन ‎दिनों पुरी का मं‎दिर में ‎‎‎स्थित रत्न भंडार चुनावी मुद्दा बना हुआ है। एक ओर जहां सरकार इस भंडार को खोलना नहीं चाहती वहीं भाजपा ने इसके ‎लिए अब हाई कोर्ट का रुख ‎किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार लंबे समय से रत्न भंडार को दोबारा खोलने की मांग की जा रही है। पिछले साल दिसंबर में अपने ओडिशा दौरे के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस मुद्दे को उठाया था और बीजेडी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की चाबियां गायब होने के बारे में पूछा था। भाजपा प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि बीजद सरकार महाप्रभु जगन्नाथ के बहुमूल्य रत्नों और संपत्तियों की रक्षा करने में विफल रही है। हालां‎‎कि अलग-अलग अवसरों पर, पार्टी ने रत्न भंडार को फिर से खोलने की मांग की है, जिसे कथित तौर पर कुछ मरम्मत की भी आवश्यकता है। केवल भाजपा ही नहीं, कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों, पुरी के राजा गजपति दिव्यसिंघा देब और पुरी मंदिर के कई वरिष्ठ सेवकों ने भी ओडिशा सरकार से मांग की है। हाथ में कोई विकल्प न होने पर, भाजपा ने हाल ही में उड़ीसा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष समीर मोहंती की याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने 5 जुलाई को श्रीजगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के उद्घाटन पर चार लोगों को नोटिस भी दिया था।
भाजपा नेता मोहंती ने आरोप लगाया ‎कि 45 साल बीत जाने के बावजूद सरकार ने रत्न भंडार को दोबारा नहीं खोला। जब पुरी के राजा और दुनिया भर के जगन्नाथ भक्त यह जानने का इंतजार कर रहे हैं कि रत्न भंडार में जगन्नाथ की कीमती वस्तुएं सुरक्षित हैं या नहीं, तो सरकार गहरी नींद में है। भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया है और अदालत ने इसे गंभीरता से लिया है। अगली सुनवाई 7 अगस्त को तय की गई है। जब मीडियाकर्मियों ने हाल ही में रत्न भंडार को फिर से खोलने के बारे में पूछा, तो कानून मंत्री जगन्नाथ सारका ने कहा ‎कि हमें नहीं पता कि रत्न भंडार की चाबियां गायब हो गई हैं या नहीं। मामला अब उड़ीसा उच्च न्यायालय के समक्ष है। 
खजाने को लेकर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने कहा ‎कि मंदिर के खजाने को दोबारा खोला जाना चा‎हिए। हालांकि, राज्य सरकार ने मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया। गौरतलब है ‎कि पुरी जगन्नाथ मंदिर का खजाना रत्न भंडार लोगों के लिए रहस्य बना हुआ है। इसमें संदेह है कि क्या भगवान के बहुमूल्य आभूषण बरकरार हैं या समय के साथ गायब हो गए हैं। ओडिशा विधानसभा और लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ, भाजपा ने रत्न भंडार को फिर से खोलने का मुद्दा सामने ला दिया है। विधानसभा में ओडिशा सरकार द्वारा दिए गए एक बयान के अनुसार, रत्न भंडार आखिरी बार 1985 में खोला गया था लेकिन क़ीमती सामानों की नवीनतम सूची 1978 में बनाई गई थी। 1985 तक दो हिस्सों में बंटे रत्न भंडार के अंदरूनी कक्ष को किसी ने नहीं देखा था। बाहरी कक्ष नियमित रूप से खोला जाता है और त्योहारों पर पुजारियों द्वारा आभूषण निकाले जाते हैं।