सीएम की सभाओं में उमड़ी भीड़ ने कांग्रेस की चिंताएं बढ़ाईं


भोपाल । मप्र में विधानसभा चुनावी के लिए भाजपा ने पूरा दमखम लगा दिया है। प्रदेश और केंद्र के दिग्गज नेता रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। लेकिन तमाम नेताओं की सक्रियता के बाद भी प्रदेश में जो मैदानी नजारा देखने को मिल रहा है उससे यह स्पष्ट है कि मप्र के आगामी चुनावों में भाजपा ने सारा दांव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर लगा दिया है। मुख्यमंत्री की सभाओं में जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है। सभाओं में उम्मीदवारों और टिकट पाने वालों का कोई जिक्र नहीं है। सभाओं में महिलाओं की सबसे अधिक भीड़ नजर आ रही है। इससे कांग्रेस में हडक़ंप मचा हुआ है। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस प्रदेश की सत्ता में वापसी का सपना देख रही है। इसके लिए उसने लोकलुभावन घोषणाएं की कर दी है, लेकिन शिवराज की लोकप्रियता के आगे कांग्रेस के सारे दांव फेल हो रहे हैं।
दरअसल, कांग्रेस को लग रहा है कि इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकम्बेंसी है। लेकिन सीएम की सभाओं में उमड़ रही भीड़ ने कांग्रेस के सारे मुगालते दूर कर दिया है। खुद मुख्यमंत्री का कहना है कि वह जननायक हैं और उन्हें पार्टी ने जननायक बनाया है। उन्हें जनता का काम करना है। वह सभाओं में लोगों से सीधा संवाद करके कह रहे हैं कि कि कमल का निशान देखो और मुझे देखो। इस बात को भूल जाओ कि किसे टिकट मिल रहा है और कौन उम्मीदवार है। मुख्यमंत्री की रणनीति यह है कि वह विधायकों के खिलाफ स्थानीय स्तर पर नाराजगी को खत्म करना चाहते हैं। चुनाव क्षेत्रों में बदलाव, कमजोर कामकाज वाले विधायकों को टिकट नहीं देने और मतदाताओं को सीधे पार्टी और अपनी छवि के साथ जोडऩा चाहते हैं। इन सभाओं को देखकर लगता नहीं कि पुरानी सरकार के खिलाफ कोई रुझान है।
गौरतलब है कि मप्र के इतिहास में शिवराज सिंह चौहान का सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड  है। लेकिन अपनी सक्रियता, जनता से सीधा संवाद और जनोपयोगी योजनाओं के कारण 17 वर्ष से अधिक के कार्यकाल के बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता कम नहीं हुई, बल्कि बढंी है। हाल ही में उनके नीमच, पिपलिया मंडी, गंधवानी, सिंगरौली और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में दौरे हुए जिनमें भारी संख्या में भीड़ उमड़ी। खास तौर पर लाडली बहना योजना लॉन्च होने के बाद मुख्यमंत्री की सभाओं में महिलाओं की जबरदस्त भीड़ उमड़ रही है। मुख्यमंत्री की भीड़ भरी सभाओं से भाजपा के चुनाव अभियान को नई गति मिली है। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मप्र के इकलौते ऐसे नेता हैं जिनकी हर वर्ग, हर जाति, हर धर्म के लोगों में मजबूत पकड़ है। शिवराज सिंह चौहान आज भी ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें भाजपा के कार्यकर्ता आसानी से अप्रोच कर सकते हैं। प्रदेश के  जितने कार्यकर्ताओं और नेताओं को मुख्यमंत्री  नाम से जानते हैं,वह अपने आप में मिसाल हैं। भाजपा के किसी अन्य नेता का  कार्यकर्ताओं से  इतना व्यापक संवाद नहीं है। मुख्यमंत्री मिशन 2023 के तहत भी संघ के एजेंडे को पूरा करने में लगे हुए हैं। मुख्यमंत्री का पूरा फोकस आदिवासियों पर लगा हुआ है। वे आदिवासी क्षेत्र के लगातार दौरे कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने संघ के एजेंडे पर चलते हुए लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाया और प्रदेश के प्रमुख मंदिरों को भव्य रुप से फिर से बनाने का जिम्मा  भी लिया।  इसी के तहत महाकाल  परिसर को भव्य  बनाया गया है। आने वाले दिनों में ओमकारेश्वर में भी करोड़ों रुपए की कार्य  होंगे।  इनके अलावा अन्य प्रमुख मंदिरों को भी  व्यवस्थित किया जाएगा।
शिवराज की लोकप्रियता की सबसे बड़ी वजह यह है कि वे मंत्रालय में बैठकर काम करने वाले नेताओं में नहीं हैं। वे लगातार प्रदेश का दौरा करते रहते हैं। कांग्रेस के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती भाजपा का शक्तिशाली संगठन और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता है। इन दोनों का कांग्रेस के पास जवाब नहीं है। शिवराज सिंह चौहान की जनता से संवाद करने की शैली जबरदस्त है। वे बेजोड़ मास कम्युनिकेटर हैं। इस मामले में कमलनाथ उनके समक्ष नहीं टिकते। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस जुनून के साथ चुनाव प्रचार करने मैदान में उतरते हैं उसका मुकाबला भी 77 वर्षीय कमलनाथ नहीं कर सकते। हालांकि कमलनाथ अब बेहतर वक्ता हो गए हैं लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष नहीं टिकते। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरे प्रदेश की प्रत्येक तहसील का कई बार दौरा किया है। जबकि कमलनाथ ने प्रदेश का कभी भी इतना व्यापक दौरा नहीं किया। ग्रामीण पृष्ठभूमि और कृषक होने के कारण शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में अपील कमलनाथ के मुकाबले कहीं अधिक हैं। दूसरी और कमलनाथ का व्यक्तित्व शहरी है लेकिन कांग्रेस शहरों में इतनी कमजोर है कि इसका लाभ उठाने की स्थिति में नहीं है। मुख्यमंत्री की महिलाओं में लोकप्रियता भी कांग्रेस के लिए चुनौती है। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री कांग्रेस के समक्ष एक चुनौती बन गए हैं।
मप्र में विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज अल्ट्रा एक्टिव मूड पर नजर आ रहे हैं। सीएम विकास पर्व के तहत हर जिले में पहुंच रहे हैं जहां विकास की सौगात देने के साथ कई दावे भी कर रहे हैं। गौरतलब है कि  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कारण भाजपा का सामाजिक आधार बढा है। पहली बार प्रदेश सरकार का एक तिहाई बजट महिलाओं को समर्पित किया गया। महिलाओं के अलावा आदिवासियों, दलितों और युवाओं पर भी प्रदेश सरकार विशेषकर मुख्यमंत्री का खास फोकस है। इसी माह भोपाल में यूथ महापंचायत होने वाली है जिसमें युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक योजनाओं की घोषणा की जाएगी। मुख्यमंत्री ने एक लाख से अधिक सरकारी पद भरने के निर्देश भी दे रखे हैं। औद्योगिक निवेश के मामले में भी मध्य प्रदेश देश के तेजी से बढ़ते हुए राज्यों में शामिल हो गया है। मुख्यमंत्री के प्रयासों से 15 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं जिन्हें अमलीजामा पहनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के जितने प्रवास करते हैं इसके पहले किसी मुख्यमंत्री ने शायद ही इतने दौरे किए हों। इसलिए उन्हें एक तरह से जनता का मुख्यमंत्री कहा जा सकता है। सुशासन के मोर्चे पर भी मुख्यमंत्री को अव्वल रेटिंग मिली है। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के एकमात्र मुख्यमंत्री जो चार अलग-अलग कार्यकाल के दौरान 17 साल से अधिक समय से मुख्यमंत्री हैं। उनकी गतिशीलता, परिश्रम करने की कूवत और संवेदनशीलता उन्हें प्रदेश की राजनीति में अलग मुकाम देती है।