इंदौर ।    सिंधी समाज द्वारा शहर के सिंधी मंदिरों और दरबारों से 92 श्री गुरुग्रंथ साहिब को सम्मान के साथ गुरुद्वारा इमली साहिब में विराजित करने का विवाद अमृतसर पहुंच गया। इसका कारण पता करने के लिए केंद्रीय गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी अमृतसर का पांच सदस्यीय जांच दल इंदौर आया। दल ने श्री गुरुग्रंथ साहिब लौटाने के लिए बनाई गई सिंधी समिति और पार्श्वनाथ नगर स्थित सिंधी दरबार के अनिल महाराज से चर्चा की। जांच दल प्रबंध कमेटी को रिपोर्ट सौंपेगा। सिंधी समाज की समिति के प्रकाश राजदेव ने जांच दल ने चर्चा की। उन्होंने कहा कि सिंधी समाज ने अपने मंदिरों में वर्षों से श्री गुरुग्रंथ साहिब विराजित कर रखा है। समाज के लोग पाकिस्तान में रहते थे। तब से वे गुरु नानकदेव और श्री गुरुग्रंथ साहिब को मानते आ रहे हैं। मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियां भी होती हैं, जिन्हें पूजा जाता है। पंजाब से आए कुछ निहंग सेवादारों द्वारा बगैर सूचना के साईं अनिल महाराज और पूनम दीदी के पार्श्वनाथ कालोनी और राजमहल कालोनी के दरबार में जाने से तनाव की स्थिति बनी। कुछ लोगों ने दरबार में जाकर कहा कि पूजा पद्धति सिख धर्म के अनुरूप नहीं है। इसके बाद सिंधी संतों द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार हमने सद्भाव के साथ श्री गुरुग्रंथ साहिब पुन: गुरुद्वारे में विराजित कर दिया। इसके बाद वर्षों से चली आ रही साथ पूजन की परंपरा समाप्त हो गई। इससे सिंधी समाज भी दुखी है। गुरुसिंघ सभा के सचिव जसबीर सिंह गांधी ने कहा कि पंजाब से कुछ सदस्य इंदौर आए थे तो उन्होंने ऐसे कई स्थान देखे जहां श्री गुरुग्रंथ साहिब हैं, लेकिन गुरु मर्यादा का पालन नहीं हो रहा था। उन्होंने इसके लिए सहयोग और समय देने की पेशकश की थी, लेकिन कुछ लोगों ने श्री गुरुग्रंथ साहिब को लौटाने की बात कही जो हमने स्वीकार कर ली। अगर अब भी कोई गुरु मर्यादा के पालन के साथ श्री गुरुग्रंथ साहिब को विराजित करना चाहता है तो कर सकता है। जांच दल लौट चुका है।