राजधानी समेत छत्‍तीसगढ़ में डेंगू के मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। प्रदेश में विगत दो दिनों में ही डेंगू के 15 नए मरीज सामने आए हैं, जिसमें रायपुर के दो शामिल हैं। आंबेडकर अस्पताल में डेंगू के 22 मरीज भर्ती हैं, जिनका इलाज चल रहा है। आंबेडकर अस्पताल में जुलाई-अगस्त में ही डेंगू के 84 से मरीज इलाज कराने पहुंच चुके हैं। अगस्त में ही 80 से ज्यादा मरीज इलाज कराने पहुंचे हैं।

यहां के डाक्टरों का दावा है कि डेंगू के रोजाना चार से पांच मरीज आ रहे हैं। निजी अस्पतालों में भी डेंगू के मरीज भर्ती हैं। होम्याेपैथ के डाक्टरों के पास भी बहुत से मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल में डेंगू के मरीजों के लिए 40 बिस्तरों का अलग से एक वार्ड बनाया गया है। यहां पर मरीजों का निश्शुल्क इलाज होगा।

हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट का दावा है कि इस सीजन में अब तक प्रदेश में अब तक डेंगू के 247 मरीज ही मिले हैं। दुर्ग जिले में सबसे अधिक 104 मरीज मिले हैं। रायगढ़ में 69, बेमेतरा में 19, रायपुर और बीजापुर में आठ-आठ मरीज सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मितानिन और स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले को घर-घर जाकर कूलर, गमले के पानी की सफाई कराने के निर्देश दिए गए हैं।

राजधानी के डेंगू संक्रमित दो लोगों की मौत का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों को संक्रमितों की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। जानकारी नहीं देने वाले अस्पतालों परकार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें प्रदेशभर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भी शामिल हुए। स्वास्थ्य सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेसी ने सभी सीएमएचओ को संक्रमित मरीजाें की जानकारी एकत्रित करने के निर्देश दिए।

महामारी नियंत्रण के संचालक डा सुभाष मिश्रा ने कहा, प्रदेश में डेंगू से अब तक एक भी मौत नहीं हुई है। जिस भी क्षेत्र में बुखार के अधिक मरीज की सूचना मिल रही है वहां स्वास्थ्य शिविर लगाकर जांच व इलाज के निर्देश दिए गए हैं। निजी अस्पतालों को भी डेंगू संक्रमितों की जानकारी देनी होगी।

भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने राजधानी सहित पूरे प्रदेश में डेंगू के बढ़ते भयावह स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए इसके रोकथाम में नाकामी के लिए राज्य सरकार को दोषी बताया है। भाजपा विधायक ने कहा कि शहर में चारों ओर नालियां बजबजा रही हैं।

गंदगी का आलम यह है कि नालियों का पानी सड़कों पर बह रहा है। मच्छर और लार्वा को समाप्त करने के लिए सरकार के पास कोई भी कारगर योजना नहीं है। नगर निगम भी चुप्पी साधे हुए है। डेंगू से राजधानी में पचासों लोग प्रभावित हैं। कई लोगों की मौत हो चुकी है। सरकारी सहित निजी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों की भीड़ लग गई है।

राजधानी के मठपारा, प्रोफेसर कालोनी, कुशालपुर, पुरानी बस्ती, टिकरापारा, संजय नगर, संतोषी नगर, अश्वनी नगर, चंगोराभाठा, भाठागांव, मठपुरैना, ब्राह्मण पारा, कंकाली पारा, रामकुंड, कोटा, रामनगर, खमतराई, तेलीबांधा सहित पूरा 70 वार्ड में डेंगू के मरीज हैं। साफ-सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किया जा रहा है, लेकिन चारों ओर गंदगी फैली हुई है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग विगत पौने पांच वर्षों से खुद बीमार पड़ा हुआ है। पूरे प्रदेश में डेंगू के मच्छर और लार्वा को समाप्त करने के लिए वृहद स्तर पर अभियान चलाया जाना चाहिए। साथ ही डेंगू के मरीजों का निजी अस्पतालों में भी निश्शुल्क इलाज की व्यवस्था की जानी चाहिए।