लगातार बढ़ते कंजंक्टिवाइटिस और आई-फ्लू के मामलों के बीच चिकित्सकों ने चेताया है कि स्टेरॉयड आई-ड्रॉप का अंधाधुंध उपयोग खतरनाक साबित हो सकता है। इनसे मरीज को तत्काल आराम तो मिलता है, लेकिन कुछ समय में कहीं अधिक नुकसान सामने आ सकते हैं। चिकित्सकों ने साफ किया है कि इस समय फैल रहा वायरल कंजंक्टिवाइटिस खुद ही ठीक हो सकता है, सभी मामलों में एंटीबायोटिक उपयोग करने की जरूरत नहीं है। एम्स के आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ. जेएस तितियाल ने बताया कि इस समय एडीनोवायरस की वजह से कंजंक्टिवाइटिस के मामले ही आ रहे हैं। इन्हीं में 20 से 30 प्रतिशत मामलों में बैक्टीरिया से हुआ संक्रमण भी है। अधिकतर मामलों में संक्रमण 7 से 14 दिन में खुद ही पूरी तरह ठीक हो जाता है। एडीनोवायरस कंजंक्टिवाइटिस के कुछ विशेष वर्ग में मरीजों में कोर्टिकोस्टेरॉइड मददगार होता है। बैक्टीरिया से संक्रमण के मामलों में सुधार देरी से होता है। इससे बचाव के लिए एंटीबायोटिक आई-ड्रॉप ली जा सकती हैं।

सही जांच जरूरी

डीडीयू अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जेएस भल्ला के अनुसार चिकित्सक बिना जांच के इलाज के लिए जल्दबाजी में एंटीबायोटिक दे सकते हैं। वायरस से हुए संक्रमण को बैक्टीरिया से हुआ कंजंक्टिवाइटिस मानने और गलत एंटीबायोटिक देने के मामले 50 प्रतिशत तक हो सकते हैं। एंटीबायोटिक रजिस्टेंस भी बढ़ सकता है। स्टेरॉइड आई-ड्रॉप पर डॉ. भल्ला और डॉ. तितियाल दोनों ही चेताते हैं कि इन्हें बिना डॉक्टर की सिफारिश के ओवर द काउंटर नहीं लेना चाहिए, बल्कि के चिकित्सक की सिफारिश पर यह बेचे जाने चाहिए।

खतरे...

डॉ. भल्ला चेताते हैं कि कॉर्टिकोस्टेरॉइड से संक्रमण लंबे समय तक बना रह सकता है। इसे लंबे समय लेने से मरीज में ग्लूकोमा या कैटरेक्ट भी हो सकता है। वहीं मरीज देखने की क्षमता भी गंवा सकता है। बच्चों में ज्यादा खतरे...डॉ. भल्ला के अनुसार स्टेरॉयड से बच्चों की आंखों पर वयस्कों के मुकाबले ज्यादा और तेजी से दबाव पड़ता है। उन्हें इनका ज्यादा नुकसान हो सकता है। संक्रमण : किसे, कौन सा ज्यादा वयस्कों में एडीनोवायरस कंजंक्टिवाइटिस ज्यादा बच्चों में बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस के मामले अधिक यह कर सकते हैं डॉ. तितियाल के अनुसार संक्रमण में आंखों में खुजली और कंकर होने जैसी चुभन महसूस हो सकती है। इसके लिए मरीज लुब्रिकेटिंग ड्रॉप उपयोग कर सकते हैं। ठंडे पानी या बर्फ बैग से भरे बैग से भी आंखों को हल्का कंप्रेस किया जा सकता है, जो चुभन में राहत देगा। कंजंक्टिवाइटिस में काला चश्मा पहनने से फोटोफोबिया (प्रकाश से होने वाली परेशानी) से राहत मिल सकती है। दूसरों में संक्रमण फैलने से रोकने के लिए आंख व हाथों को साफ रखें।