नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की अभी तारीखें भी घोषित नहीं हुई है और वित्त मंत्रालय ने 2024-2025 के पूर्ण बजट की तैयारी शुरु कर दी है। नीतिगत स्तर पर बड़े बदलाव या घोषणाएं नई सरकार के सत्ता संभालने के बाद ही की जाएंगी मगर सूत्रों ने इतना जरूर कहा है कि बजट के कुछ अन्य बिंदुओं पर काम शुरू हो चुका है। उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि उन्होंने कर के बारे मे कई प्रस्ताव दिए हैं, जिन पर वित्त मंत्रालय विचार कर रहा है। उद्योग जगत के एक प्रतिनिधि ने कहा, ‘नई सरकार के गठन के बाद कर प्रस्तावों पर उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से चर्चा हो सकती है। मगर बजट से जुड़ी कवायद अभी से शुरू हो चुकी हैं। बता दें कि अंतरिम बजट (लेखानुदान) में नई सरकार का गठन होने तक राजस्व एवं व्यय प्रबंधन तथा राजकाज चलाने के लिए वित्तीय प्रावधानों की घोषणा की गई थी। अप्रैल-मई में आम चुनाव संपन्न होने के बाद नई सरकार चालू वित्त वर्ष की बची अवधि के लिए पूर्ण बजट पेश करेगी। सरकार आर्थिक सुधारों को गति देने के लिए राज्यों को 50 साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने की भी घोषणा करेगी।
सूत्रों ने बताया कि अभी से तैयार हो रहा वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट जून या जुलाई में पेश किया जा सकता है। वित्त मंत्रालय चुनाव के बाद अगले 100 दिनों के लिए दृष्टिपत्र तैयार कर रहा है। इसके अलावा अगले पांच वर्षों में विकसित भारत लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भी तैयारी चल रही है। माना जा रहा है कि 2024-25 के बजट में बुनियादी ढांचे और पूंजीगत व्यय पर सरकार का जोर बना रहेगा। पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में सुधारों के अगले दौर पर जोर देगी। सीतारमण ने कहा था कि उत्पादन में अहम भूमिका निभाने वाले कारकों जैसे जमीन, श्रम, पूंजी और उद्यमशीलता सहित डिजिटल ढांचे पर विशेष जोर रहेगा।फिक्की के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, ‘अगली पीढ़ी के सुधारों में उत्पादन में अहम भूमिका निभाने वाले सभी मोर्चों पर सुधार किए जाएंगे। इसमें मैं डिजिटल ढांचे का भी जिक्र करना चाहूंगी, जिसे अगले चरण के सुधारों में शामिल किया जाएगा। यह उत्पादन में योगदान करने वाले परंपरागत कारकों में शामिल नहीं रहा है मगर अब इसकी अहमियत कई गुना बढ़ गई है।’ सीतारमण ने इस साल 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया था। पहले की गई घोषणा के मुताबिक सरकार का जोर खजाने को मजबूती देने पर ही रहा। माना जा रहा है कि इससे सरकार को राजकोषीय घाटा 2025-26 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत से नीचे रखने में मदद मिलेगी। वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.1 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में यह जीडीपी का 5.8 प्रतिशत रह सकता है।