नई दिल्ली। राजधानी के 1043 सरकारी स्कूलों में से 543 में शिक्षा निदेशालय ने शैक्षिक और व्यावसायिक मार्गदर्शन परामर्शदाता (ईवीजीसी) के पद समाप्त कर दिए हैं। ये परामर्शदाता अभी तक दिल्ली के स्कूलों में क्लस्टर आधार पर छठीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को व्यक्तिगत मुद्दों के साथ-साथ उच्च अध्ययन और करियर के बारे में परामर्श देने का कार्य करते थे।

शिक्षा निदेशालय ने क्लस्टर व्यवस्था को समाप्त करते हुए कुल 500 सरकारी स्कूलों में परामर्शदाता का एक पद निर्धारित कर दिया। क्लस्टर व्यवस्था में एक परामर्शदाता दो से तीन स्कूलों में विद्यार्थियों को अलग-अलग दिन पर परामर्श देने जाते थे।

निदेशालय ने चिन्हित किए 500 स्कूल

नई व्यवस्था के तहत निदेशालय ने 500 स्कूलों को चिन्हित किया है, जहां पर ईवीजीसी नियमित तौर पर जाएंगे। इन स्कूल के प्रधानाचार्यों को निर्देश दिया कि स्कूलों में परामर्शदाताओं को अलग से एक परामर्श (काउंसलिंग) कक्ष दिया जाएगा।

इस कक्ष में सभी जरूरी संसाधन भी सुनिश्चित किए जाएंगे। कक्ष में विद्यार्थियों और ईवीजीसी के लिए अनुकूल सामग्री व संबंधित सूचनाओं को प्रदर्शित हो। प्रत्येक ईवीजीसी को कक्षा संबंधी गतिविधि के लिए रोजाना चार पीरियड आवंटित किए जाएंगे। जहां पर विद्यार्थियों के बदमाशी, अनुशासन, सामाजिक-मनोवैज्ञानिक मुद्दे, खराब शैक्षणिक प्रदर्शन, मादक पदार्थ के सेवन और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मामलों की काउंसलिंग की जाएगी।

विद्यार्थियों की काउंसलिंग भी करेंगे ईवीजसी शिक्षक

ईवीजीसी को सभी विद्यार्थियों का रिकार्ड भी रखना होगा। इसके साथ ही ईवीजीसी विद्यार्थियों के स्वास्थ्य से लेकर करियर तक संवारने के लिए काउंसलिंग करेंगे। बाद में देखना होगा कि विद्यार्थी में कितना सुधार हुआ है। वहीं, जिन स्कूलों में ईवीजीसी के पद नहीं आवंटित किए गए हैं। वहां पर स्कूल के प्रधानाचार्य खुद किसी शिक्षक को बतौर परामर्शदाता नियुक्त कर विद्यार्थियों से प्रार्थना सभा और कक्षाओं में समय के आधार पर करियर व अन्य समस्याओं पर चर्चा करेंगे। केवल 500 सरकारी स्कूलों में पढ़ाएंगे ईवीजीसी

परामर्शदाताओं ने जताया विरोध

दिल्ली के स्कूलों में कार्यरत परामर्शदाताओं ने इस फैसले का विरोध जताते हुए कहा कि जिन स्कूलों में छठीं से 12वीं के विद्यार्थियों की संख्या 1800 से अधिक है, केवल वहीं पर परामर्शदाता का पद होगा बाकियों में नहीं। इस फैसले से विद्यार्थियों को नुकसान होगा।

विद्यार्थियों को जो उचित परामर्श मिलता है, वह नहीं मिल पाएगा। परामर्शदाताओं के मुताबिक ये पद सभी स्कूलों में होने चाहिए। खासकर की 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों के लिए। चूंकि ये दो वर्ष उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण वर्ष होते हैं, जब वो अपना संकाय चुनते हैं और भविष्य के लिए अपने करियर विकल्प निर्धारित करते हैं।