कोलंबो । चीनी कर्ज के तले दबा श्रीलंका डिफॉल्‍ट होने के बाद फिर से पटरी पर लौट रहा है। श्रीलंकाई अर्थव्‍यवस्‍था जैसे-जैसे गति पकड़ रही है, उसके सुर बदल रहे हैं। दरअसल श्रीलंका के डिफॉल्‍ट होने के दौरान भारत ने खाने पीने के सामान से लेकर अरबों डॉलर की मदद दी थी। अब श्रीलंकाई विदेश मंत्री अली साबरी चीन पहुंचे हैं। जहां उन्‍होंने कहा है कि भारत-चीन प्रतिस्‍पर्द्धा में उनका देश तटस्‍थ रहेगा। यह वहीं चीन है जिसके बेल्‍ट एंड रोड कर्ज ने श्रीलंकाई अर्थव्‍यवस्‍था को तबाह कर दिया था। अब श्रीलंका फिर से चीन के गुणगान करने लगा है।
श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने भारत-चीन को नसीहत देकर कहा कि यह दोनों देशों और दुनिया के लिए अच्‍छा होगा कि वे अपने मतभेदों को कम करें। साबरी ने कहा कि भारत बनाम चीन होने पर वह किसी का पक्ष नहीं लेने वाले हैं। हालांकि उन्‍होंने कहा कि उनका देश भारत और चीन को नुकसान पहुंचाने वाला कोई भी कदम नहीं उठाएगा। उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों के तनाव में कई क्षेत्रीय देशों के फंसने का खतरा है। साबरी ने चीनी मीडिया से कहा, हम चाहते हैं कि भारत और चीन एक-दूसरे से बातचीत करें तथा अपने मतभेदों को दूर करें। यह दोनों देशों और दुनिया के लिए बेहतर होगा।
गलवान घाटी में चीन की खूनी हिंसा के बाद भारत और चीन के बीच तनाव बहुत गंभीर हो गया है। दोनों देशों के 50-50 हजार सैनिक आमने-सामने हैं। 
चीन को करारा जवाब देने के लिए भारत अमेरिका के साथ अपने रिश्‍ते मजबूत कर रहा है। अली साबरी ने श्रीलंकाई दूतावास में कहा, हमने चीन और भारत दोनों को ही यह साफ कह दिया है कि हम बिजनस के लिए किसी के साथ तैयार हैं लेकिन एक-दूसरे देश को नुकसान पहुंचाने वाला कदम नहीं उठाएंगे। उनका यह बयान उस समय पर आया है जब श्रीलंका चीन से कर्ज को रीस्‍ट्रक्‍चर करने के लिए गुहार लगा रहा है लेकिन ड्रैगन अभी इधर-उधर कर रहा है। श्रीलंका के कुल विदेशी कर्ज का 10 प्रतिशत चीन का है। विश्‍लेषकों के मुताबिक चीन की कोशिश श्रीलंका को कर्ज जाल में फंसाकर रखने की है।
विश्‍लेषकों के मुताबिक श्रीलंका की बदहाली के अभी एक साल भी नहीं बीते हैं और उसके सुर बदल गए हैं। अली साबरी ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की है। इस दौरान श्रीलंका ने वचन दिया है कि वह देश में बीआरआई प्रॉजेक्‍ट की सफलता को सुनिश्चित करेगा। साथ ही साबरी ने यह भी कहा कि श्रीलंका एक चीन नीति का पालन करता रहेगा।