प्रदूषण से राजधानीवासियों को निजात दिलाने के लिए दिल्ली सरकार समर एक्शन प्लान तैयार करेगी। पर्यावरण विभाग तात्कालिक और दीर्घकालिक योजना बनाकर इसे लागू करेगा। इस संबंध में 11 अप्रैल को दिल्ली सचिवालय में बैठक होगी। इसमें डीपीसीसी, डीडीए, निगम, फायर सर्विस, डूसिब, राजस्व सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहेंगे। सभी विभागों के सुझावों के आधार पर समर एक्शन प्लान को सरकार जारी करेगी। इसी आधार पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए गर्मियों में सरकार काम करेगी।

बुधवार को पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण एक बड़ी चुनौती के रूप में हर समय मौजूद रहता है। आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार काम किए गए हैं। उन तमाम उपायों के परिणाम स्वरूप प्रदूषण के स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। सरकार की ओर से लागू किए गए विंटर एक्शन प्लान के परिणामस्वरूप दिल्ली में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मौजूदगी में लगातार गिरावट दर्ज की गई है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के मुताबिक साल 2016 से 2021 के बीच दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में अच्छी, संतोषजनक और मध्यम श्रेणी के दिनों की संख्या 109 से बढ़कर 160 हो गई है। खराब व बहुत खराब श्रेणी के दिनों की संख्या घटकर 217 से 196 हो गई है। साथ ही, सबसे खतरनाक श्रेणी की संख्या में वर्ष 2016 से 2022 के बीच गिरावट दर्ज की गई है, जो 2016 में 26 थी, अब वह 2022 में घटकर केवल 6 रह गई है। विंटर एक्शन प्लान कि तर्ज पर अब समर एक्शन प्लान कि नई रूपरेखा तैयार की जाएगी, ताकि गर्मियों के मौसम में होने वाले प्रदूषण से भी लोगों को बचाया जा सके। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक एक्शन प्लान बनाकर उसे लागू किया जाएगा।

आप ने यमुना सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये भ्रष्टाचार  की भेंट चढ़ाए : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने बुधवार को कहा कि दिल्ली सरकार ने आठ वर्षों के शासन में यमुना सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिए। यमुना में प्रदूषण हर दिन बढ़ता जा रहा है। पांच वर्षों में यमुना की सफाई पर 6800 करोड़ खर्च करने का दावा दिल्ली सरकार ने किया है, लेकिन यमुना का प्रदूषित काला पानी दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर कर रहा है।

केजरीवाल के राज में दिल्ली वाले जीते जी काले पानी की सजा भोगने को मजबूर हैं। हर घर नल से जल देने वायदा किया गया जो पूरी तरह से दिल्लीवासियों के साथ धोखा साबित हुआ। जल बोर्ड पर 71000 करोड़ का कर्ज है, जबकि कांग्रेस शासन में जल बोर्ड मुनाफा कमाने वाली संस्था थी। यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ने से झाग बढ़ता जा रहा है।