झाबुआ ।   बुधवार को विश्व आदिवासी दिवस पर ही एक आदिवासी किशोरी के लव जिहाद जैसे मामले में फंसने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।

बहला-फुसलाकर बंगाल ले गया था

किशोरी को आरोपित 21 वर्षीय जहांगीर खान प्रेमजाल में फंसाकर और बहला-फुसलाकर अपने साथ बंगाल ले गया था। किशोरी को वहां उसके असली नाम और धर्म का पता चला तो साथ रहने से मना कर दिया। इस पर आरोपित ने उससे मोबाइल फोन स्विच आफ कर दिया और मारपीट करने लगा। बाल कल्याण समिति के प्रयासों से किशोरी को झाबुआ लाया गया।

काम के दौरान हुआ था परिचय

समिति के अनुसार कक्षा 11वीं में पढ़ने वाली यह 16 वर्षीय किशोरी थांदला क्षेत्र से गर्मी की छुट्टियों के दौरान मई में अपने भाई के साथ मजदूरी करने कोटा (राजस्थान) गई थी। कार्य स्थल पर उसका परिचय आरोपित से हो गया।

पहचान छिपाकर गलत नाम बताया

आरोपित ने अपनी पहचान छिपाकर अपना नाम जांगिदे बताया। उसने किशोरी को अपने जाल में फंसा लिया। एक माह बाद आरोपित मुंबई चला गया व किशोरी अपने घर आ गई। मोबाइल पर दोनों की बातें होती रहीं। आरोपित जून में जब मुंबई से ट्रेन से बंगाल जा रहा था तो उसने किशोरी को 15 जून को थांदला रोड रेलवे स्टेशन बुलवाया। यहां से वह उसे सिलीगुड़ी फिर कूच बिहार स्थित अपने घर ले गया।

पैसा मंगवाने से पकड़ा गया

आरोपित ने किशोरी को अपने पिता से पैसे मंगवाने का कहा। ऐसा नहीं करने पर अकेले छोड़कर जाने की धमकी दी। इस पर किशोरी ने 20 जून को पैसे मंगवाने के लिए अपने पिता को मोबाइल काल किया। पिता ने पैसे भेजने के बाद तत्काल झाबुआ की बाल कल्याण समिति से संपर्क किया। इस पर समिति सक्रियता से कार्य में लग गई।

पुलिस पहुंची तो भागा

समिति के अथक प्रयासों से कूचबिहार में मुकदमा दर्ज हो गया। मोबाइल फोन की लोकेशन ट्रेस हो चुकी थी। बंगाल की पुलिस जब 26 जून को आरोपित के घर पहुंची तो वह भाग खड़ा हुआ। किशोरी को बंगाल की बाल कल्याण समिति ने शहीद वंदना स्मृति बालिका आवास गृह कूच बिहार को सौंप दिया।

43 दिन लगे झाबुआ आने में

बाल कल्याण समिति झाबुआ के सदस्य प्रदीप जैन ने बताया कि 43 दिन की लंबी प्रक्रिया व व्यापक प्रयासों के बाद आखिरकार नौ अगस्त को बंगाल के समिति सदस्य किशोरी को भोपाल से होते हुए झाबुआ लेकर आए। यहां तमाम कार्रवाई करते हुए समिति ने कन्या को उसके अभिभावकों को सुपर्द करने के आदेश दे दिए।