नई दिल्ली । सत्ता पक्ष और विपक्ष जिस तरह से एक दूसरे के ऊपर आक्रमक हो गए हैं। उसके बाद यह स्पष्ट होने लगा है,कि लोकसभा के चुनाव समय के पूर्व हो सकते हैं। नवंबर माह में 5 राज्यों के विधान सभा के चुनाव होने हैं। उनमें मध्य प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी भाषी राज्य शामिल हैं। उसके साथ ही लोकसभा के चुनाव कराने की रणनीति भाजपा ने बनाना शुरू कर दी है। राज्यों के और लोकसभा के चुनाव मोदी के नाम पर लड़ने की रणनीति तैयार की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित सभी केंद्रीय नेताओं ने पूरे देश में सभी लोकसभा सीटों को ध्यान में रखते हुए अपने दौरे शुरू कर दिए हैं। 
विपक्ष अभी भी बिखरा हुआ है। राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त होने के बाद अब विपक्ष भी इकट्ठा होता नजर आ रहा है। अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव के स्वर भी बदल गए हैं। भाजपा की रणनीति है,कि विपक्षी एकता में किसी तरह से दरार पैदा की जाए। उसके लिए लोकसभा और विधानसभा सीटों के बंटवारे को लेकर विपक्षी दल आपस में बंट सकते हैं। विपक्षी दलों को कोई समय ना मिले, इसके पहले ही भाजपा लोकसभा के चुनाव करा लेना चाहती है। 
सभी विपक्षी दलों ने एकत्रित होकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। केंद्रीय जांच एजेंसियों की भूमिका और अदालतों द्वारा जमानत नहीं दिए जाने को लेकर ईडी को मिले विशेष अधिकारों का दुरुपयोग का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में चला गया है। ऐसी स्थिति में अब भाजपा कांग्रे सहित सभी विपक्षी दलों को संभलने का मौका नहीं देना चाहती है। लोकसभा के चुनाव समय पूर्व होना लगभग लगभग तय माना जा रहा है। हो सकता है, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय यदि लोकसभा के चुनाव की परिस्थितियां बन जाएं, तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा।