मुंबई। तटीय सड़क परियोजना (कोस्टल रोड), जो कि मुंबई महानगरपालिका की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना है, इसका कार्य जोरों पर चल रही है। अभी तक इस कोस्टल रोड का 76 फीसदी काम पूरा हो चुका है और बाकी काम के लिए नवंबर 2023 तक इंतजार करना होगा। अगर यह काम पूरा हो जाता है तो मुंबईकरों को दिवाली में कोस्टल रोड की सौगात मिलने की संभावना है। गौरतलब हो कि करीब साढ़े बारह हजार करोड़ रुपए खर्च कर मुंबई में तटीय सड़क बन रही है। मुंबई की तटीय सड़क परियोजना को दो भागों में बांटा गया है, दक्षिणी भाग और उत्तरी भाग। इसका 76 फीसदी काम पूरा हो चुका है। मरीन लाइन्स से प्रियदर्शिनी पार्क तक सुरंग के माध्यम से यात्रा करने के बाद, अगली तटीय सड़क भरी हुई भूमि पर है। इसमें नरीमन प्वाइंट के समान समुद्री चेहरा भी है। समुद्र के बगल में बैठने के लिए एक चट्टान, उस तरफ चलने के लिए एक बड़ी जगह, दक्षिण और उत्तर दिशा में रास्ते और उसके आगे की जगह पर हरियाली का निर्माण किया जा रहा है। यह सी फेस यानी प्रोमेनेड लगातार साढ़े सात किलोमीटर लंबा होने वाला है। कोस्टल रोड के लिए बनाई जा रही टनल का काम अब शत प्रतिशत पूरा हो गया है। साउथ चैनल और नॉर्थ चैनल सीरीज के लिए दो अलग-अलग सुरंगों का निर्माण किया गया है। ये दोनों सुरंगें भारत में टीबीएम मशीनों द्वारा खोदी गई सबसे बड़ी सुरंगें हैं। इसमें यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए गए हैं कि आग लगने की स्थिति में सुरंग प्रभावित न हो और आपात स्थिति में जल्दी से दूसरी सुरंग में चली जाए। इस तटीय सड़क की योजना अगले सौ वर्षों के लिए बनाई गई है। उपयोगिता केबलों और अग्निशमन प्रणालियों के लिए सड़क के नीचे एक छोटी सुरंग भी बनाई गई है जिससे तटीय सड़क गुजरेगी। यहां किसी को जाने की इजाजत नहीं है। हालांकि, यह छोटी सुरंग भविष्य में काफी अहम भूमिका निभाएगी। यह तटीय सड़क मुंबई से कांदिवली तक 29 किमी लंबी होगी। दक्षिण तटीय सड़क 10.58 किमी लंबी है और परियोजना का 76 प्रतिशत पूरा हो चुका है। साउथ कोस्टल रोड प्रोजेक्ट प्रिंसेस स्ट्रीट फ्लाईओवर से बांद्रा वर्ली सी लिंक तक होगा। कुल परियोजना लागत 12,721 करोड़ रुपये है। इसमें 15.66 किमी के तीन इंटरचेंज और 2.7 किमी की कुल लंबाई की दो सुरंगें शामिल होंगी। तटीय सड़क के पूरा होने के बाद यात्रा में 70 प्रतिशत समय की बचत और 34 प्रतिशत ईंधन की बचत होगी। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण में भी कमी आने का दावा किया जा रहा है। 111 हेक्टेयर भूमि को भरकर कोस्टल रोड का निर्माण किया गया है। हालांकि कई लोगों ने आशंका व्यक्त की है कि प्राकृतिक आपदाओं और मानसून के दौरान समुद्र फिर से तटीय सड़क को अपने आगोश में ले सकता है। इसलिए इसके समाधान के तौर पर समुद्री दीवार बनाई गई है। इससे तूफानी समुद्री लहरों की तीव्रता को कम करने में मदद मिलेगी। तटीय सड़क बांद्रा वर्ली सी लिंक परियोजना से जुड़ने वाले बिंदु पर भी तेजी से काम कर रही है। इस स्थान पर वर्ली के मछुआरों की मांग के अनुरूप 120 मीटर की दूरी वाले खंभे खड़े किए गए हैं। इससे कोलीवाड़ा में मछुआरों का विरोध शांत हो गया है।